Saturday, 24 February 2018

भारत सिर्फ भगवान की कृपा से ही जीवित है, अपने बलबूते से नहीं .....

भारत सिर्फ भगवान की कृपा से ही जीवित है, अपने बलबूते से नहीं .....
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पृथ्वी पर इस समय तीन स्थानों से पूरा दिमाग लगाकर सारी कूटनीतिक चालें चली जा रही हैं| वे तीन स्थान हैं ... (१) वाशिंगटन डी.सी., (२) वेटिकन सिटी, और (३) सिटी ऑफ़ लन्दन| इनका लक्ष्य पूरी दुनिया पर अपना अधिकार करना है| ये तीनों आपस में मिले हुए हैं, और इनका लक्ष्य एक ही है| ऊपर से तो ये मित्रता का दिखावा करते हैं, पर भीतर से ये भारतीयता के परम शत्रु हैं|
एक दूसरी शक्ति है ... इस्लामिक जिहाद जो सिर्फ भौतिक बल और आतंक के जोर पर पूरी दुनिया पर शासन करना चाहती है| पर पहले वाली शक्ति के समक्ष यह टिक नहीं पायेगी|
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भगवान की कृपा ही भारत की शक्ति है | भगवान ने भारत को जीवित रखा है सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए | भारत की अस्मिता पर जितने प्रहार हुए हैं उनका दस लाखवाँ हिस्सा भी अन्य किसी संस्कृति पर होता तो वह नष्ट हो जाती| सनातन धर्म ही भारतवर्ष का प्राण है| भारत तो सिर्फ भगवान की कृपा से ही जीवित है| उसमें इतना बल नहीं है कि इनमें से किसी का भी सामना कर सके| जब तक परमात्मा की कृपा है तभी तक भारत भारत रहेगा| उपरोक्त शक्तियों का वश चले तो वे भारत को अभी नष्ट कर दें| पर भारत भगवान की कृपा से ही जीवित है और सदा रहेगा|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!

1 comment:

  1. भारत के गौरवमय इतिहास से सम्बंधित अनेक तथ्य ऐसे हैं जो हमें कभी पढाये ही नहीं गए| हमें सिर्फ पराजय का ही इतिहास पढ़ाया गया है जिस से हमारे में आत्म-हीनता का बोध सदा बना रहे| हमें वही इतिहास पढ़ाया गया है जो अँगरेज़ चाहते थे| सही इतिहास पर अनेक संस्थाओं व व्यक्तियों द्वारा शोध कार्य हो रहे हैं| अगले दस-बीस वर्षों में हमें सही इतिहास का भी ज्ञान होगा, पर मेरी आयु की पीढ़ी तब तक जीवित नहीं रहेगी|
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    हमारी तो एक ही इच्छा थी कि हमारे जीवन काल में ही भारत माता द्विगुणित परम वैभव के साथ अखण्डता के सिंहासन पर बिराजमान हो और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार सम्पूर्ण विश्व में हो| पर अब नहीं लगता कि इस जीवनकाल में यह देख सकेंगे| यदि सत्य का और ईश्वर का अस्तित्व है तो यह कार्य निश्चित रूप से होगा| इसके हम साक्षी भी होंगे|
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    परमात्मा से निरंतर प्रेरणा मिल रही है आध्यात्म की गहनतम गहराइयों में ही जाने की| अब वही काम करेंगे जिस से परमात्मा को प्रसन्नता हो| परमात्मा हमारे से प्रसन्न हों बस यही चाहिए, और कुछ नहीं| सभी को नमन और शुभ कामनाएँ|
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    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !
    १० मार्च २०१८

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