Saturday 30 July 2016

वास्तविक गुरु कौन हैं ......

वास्तविक गुरु कौन हैं .........
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'गु' शब्द का अर्थ है --- अन्धकार, और 'रू' अर्थ है दूर करने वाला|
जो अज्ञान रूपी अन्धकार को दूर करते हैं वे ही गुरु हैं|
परमेष्टिगुरु (परम इष्ट आदिगुरू) परमेश्वर महादेव ही वास्तविक गुरु हैं| यदि वे ही कृपा करें तो एकमात्र सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है| वे ही एक जड़बुद्धि व्यक्ति को दिव्य ज्ञानी बना सकते हैं| वे ही शिष्य की चेतना के अनुसार अनेक रूपों में आकर ज्ञान देते हैं|
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योगियों के कूटस्थ में वे सर्वदा प्रणवनाद और ज्योतिर्मय ब्रह्म के रूप में बिराजते हैं| वे पंचमुखी महादेव ही हैं जो एक पञ्चकोणीय श्वेत नक्षत्र (ज्योतिर्मय ब्रह्म) के रूप में योगियों को दर्शन देते हैं, जिसे भेदकर योगियों की चेतना उन्हीं की कृपा से उन्हीं में मिल जाती है|
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शिष्य को गुरु का निरंतर ध्यान सहस्त्रार में करना चाहिए| गुरु की कृपा से ही सुषुम्ना का द्वार खुलता है| गुरु की कृपा से ही नाद का श्रवण और ज्योति के दर्शन होते हैं| वे गुरु ही हैं जो मेरुदंड में प्राणऊर्जा को ऊर्ध्वगामी बनाते हैं, जिसकी प्रतिक्रिया स्वरुप श्वास-प्रश्वास चलती है|
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शैवागम और शाक्त्यागम के प्राचीन ग्रंथों में गुरुप्रणाम के कुछ सिद्ध मंत्र हैं जिनके उच्चारण मात्र से तप, जाप, योग क्रियाएँ सब कुछ सूक्ष्म रूप में एकसाथ संपन्न हो जाती हैं| अलग से किन्ही सांध्य क्रियाओं की आवश्यकता नहीं पड़ती| उन मन्त्रों की प्राप्ति भी गुरु कृपा से ही होती है|
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ॐ नमो भगवते सनत्कुमाराय|
ॐ परात्पर गुरवे नम:| ॐ परमेष्टि गुरवे नमः| ॐ नम:शिवाय|