आध्यात्मिक चुम्बकत्व ......
------------------------
जैसे भौतिक चुम्बकत्व होता है, वैसे ही एक आध्यात्मिक चुम्बकत्व भी होता है | जिस में आध्यात्मिक चुम्बकत्व विकसित हो जाता है वह व्यक्ति मौन हो जाता है | उसे कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती | उसका चुम्बकत्व ही सब कुछ कह देता है |
ऐसे व्यक्ति ही मुनि होते हैं | वे जहाँ भी जाते हैं, जहाँ भी रहते हैं, उनकी उपस्थिति मात्र ही एक दिव्यता और आनंद का प्रकाश फैला देती है | उनकी उपस्थिति मात्र से से ही हम सब धन्य हो जाते हैं | ऐसे अनेक महात्माओं का सत्संग लाभ मुझे सौभाग्य से प्राप्त हुआ है |
ऐसे महात्माओं का सत्संग हमें सदा प्राप्त होता रहे | हम स्वयं भी उस महत्ता को प्राप्त हों |
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२८ अगस्त २०१७
------------------------
जैसे भौतिक चुम्बकत्व होता है, वैसे ही एक आध्यात्मिक चुम्बकत्व भी होता है | जिस में आध्यात्मिक चुम्बकत्व विकसित हो जाता है वह व्यक्ति मौन हो जाता है | उसे कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती | उसका चुम्बकत्व ही सब कुछ कह देता है |
ऐसे व्यक्ति ही मुनि होते हैं | वे जहाँ भी जाते हैं, जहाँ भी रहते हैं, उनकी उपस्थिति मात्र ही एक दिव्यता और आनंद का प्रकाश फैला देती है | उनकी उपस्थिति मात्र से से ही हम सब धन्य हो जाते हैं | ऐसे अनेक महात्माओं का सत्संग लाभ मुझे सौभाग्य से प्राप्त हुआ है |
ऐसे महात्माओं का सत्संग हमें सदा प्राप्त होता रहे | हम स्वयं भी उस महत्ता को प्राप्त हों |
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२८ अगस्त २०१७