Tuesday 20 December 2016

बौद्ध धर्म का तांत्रिक मत 'वज्रयान' .....

बौद्ध धर्म का तांत्रिक मत 'वज्रयान' .....
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गौतम बुद्ध के प्रामाणिक उपदेश क्या थे इनके बारे में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता| उनके उपदेश उनके देहावसान के पांच सौ वर्षों बाद तक तो लिखे ही नहीं गए थे| हर सौ वर्ष में उनके अनुयायियों की एक सभा होती थी जिसमें उनके उपदेशों पर विचार विमर्श होता था| पांचवीं और अंतिम सभा श्रीलंका के अनुराधापुर नगर में हुई थी| वहाँ पर जो विचार विमर्श हुआ उसको पहली बार पाली भाषा में लिपिबद्ध किया गया| जिन्होंने उस समय लिपिबद्ध किये गए आलेखों को प्रामाणिक माना वे हीनयान कहलाये, और जिन्होंने नहीं माना वे महायान कहलाये| भारत के उत्तर में स्थित देशों में महायान मत फैला और दक्षिण के देशों में हीनयान| अतः बुद्ध के क्या उपदेश थे वे तो वे स्वयं ही बता सकते हैं| वर्तमान में उपलब्ध उनके उपदेशों की प्रामाणिकता पर कुछ नहीं कहा जा सकता|
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सन 0067 ई.में भारत से कश्यप मातंग और धर्मारण्य नाम के दो ब्राह्मण चीन गए और उन्होंने पूरे चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार किया| चीन से ही बौद्ध धर्म कोरिया और मंगोलिया में गया|
ईसा की छठी शताब्दी में भारत से बोधिधर्म नाम का एक ब्राह्मण चीन के हुनान प्रान्त में स्थित शाओलिन मंदिर में गया| वहाँ कुछ समय रहकर वह जापान गया जहाँ उसने 'झेन' (Zen) बौद्ध मत स्थापित किया जो कई शताब्दियों तक वहाँ का राजधर्म रहा|
इस्लाम के जन्म से पूर्व पूरा मध्य एशिया बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया था| तुर्किस्तान तक बौद्ध मत था|
दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत से जो बौद्ध धर्म के प्रचारक गए उन्होंने एक विशाल नदी को देखा जिसका नाम उन्होंने 'माँ गंगा' रखा जो बाद में अपभ्रंस होकर 'मेकोंग' नदी हो गया जो वहां की जीवन रेखा है|
ईसा की पांचवी सदी में वज्रयान और सहजयान नाम के दो और तांत्रिक मत फैले| सहजयान में ६४ योगिनियों और उनके अनुचरों आदि की साधनाएँ थीं|
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तिब्बत में जो बौद्ध मत है वह वज्रयान है| सुषुम्ना में तीन उपनाड़ियाँ होती हैं ..... ब्राह्मी, चित्रा और वज्रा| वज्रा नाड़ी में जो शक्ति प्रवाहित होती है उसकी साधना वज्रयान है| वह शक्ति मणिपुर चक्र में स्थित होती है| तंत्र कि दश महाविद्याओं में वह छिन्नमस्ता देवी है| वज्रयान मत का मन्त्र है .... "ॐ मणिपद्मे हुम्"|
मणिपद्मे का अर्थ है .... जो मणिपुर चक्र में स्थित है| हुम् .... छिन्नमस्ता का बीज है, और उनका निवास मणिपुर चक्र में है| इसका अर्थ है ..... मैं उस महाशक्ति (छिन्नमस्ता) का ध्यान करता हूँ जो मणिपुर चक्रस्थ पद्म में स्थित है| माँ छिन्नमस्ता का मन्त्र है .... ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं अईं वज्र वैरोचनीये हुम् हुम् फट स्वाहा| वज्रयान मतानुयायी अप्रत्यक्ष रूप से उन्हीं (माँ छिन्नमस्ता) की साधना करते हैं| कुण्डलिनी महाशक्ति जागृत होकर यदि वज्रा उपनाड़ी में प्रवेश करती है तो समस्त सिद्धियाँ प्रदान करती हैं| ब्राह्मी व चित्रा उपनाड़ी का फल अलग है|
योग साधना में गुरु कृपा से कुण्डलिनी शक्ति जागृत होकर सुषुम्ना में प्रवेश तो करती है पर आगे सब गुरु कृपा पर ही निर्भर है| साधक को तो सब कुछ गुरु को ही समर्पित करना होता है|
ॐ ॐ ॐ ||
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(Note: यह लेख चार-पांच वर्ष पूर्व लिखा था| इसमें काफी शोध की आवश्यकता है)

आज के हिन्दू समाज की एक अति ज्वलंत समस्या .....

आज के हिन्दू समाज की एक अति ज्वलंत समस्या .....
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हमारी युवा पीढ़ी संस्कारविहीन और दिशाभ्रमित हो रही है| संयुक्त परिवार टूट गए हैं| बड़े-बूढों की समाज में अब कोई पूछ नहीं रही है|
धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं के बच्चे धार्मिक शिक्षा नहीं पा सकते जब कि यह अधिकार तथाकथित अल्पसंख्यकों को है| तथाकथित अल्पसंख्यक अपने बच्चों को अपने विद्यालयों में अपने धर्म की शिक्षा दे सकते हैं पर हिन्दू नहीं|
अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पश्चिमी संस्कार ही दिए जाते हैं| आज के हिन्दू किशोरों व युवाओं को न तो रामायण महाभारत का ज्ञान है और न अपने अन्य धर्मग्रंथों का|
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हिन्दू युवा दिशाविहीन होकर नशे कि लत में पड़ने लगे हैं जिससे अपराध बहुत बढ़ गए हैं| सरकार भी असहाय है क्योंकि नशे के कारोबार में बड़े बड़े लोगों का बहुत अधिक धन लगा हुआ है| वे देश को बर्बाद कर मात्र पैसा बनाना चाहते हैं|
देश का भविष्य देश के युवा हैं| यदि देश के युवा बिगड़ गए तो देश का भविष्य अंधकारमय होगा| देश के युवाओं में अच्छे संस्कार देना और उन्हें नशे से बचाना हम सब का परम कर्तव्य है|
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सूचनार्थ बताता हूँ कि भारत को छोड़कर अन्य सारे देश अपने युवाओं को नशे से बचाने के प्रति बहुत सजग हैं| सिंगापूर, मलयेशिया और इंडोनेशिया में नशीले पदार्थ रखने पर मृत्युदंड की सजा है| जापान में तो बहुत कठोरता हैं, वहाँ ड्रग्स का धंधा करते कोई पकड़ा जाए तो मरते दम तक वह जेल में ही सड़ेगा| अमेरिका योरोपीय देशों व चीन में भी बहुत अधिक सख्ती है| चीन के लगभग सभी लोगों को अंग्रेजों ने गुलाम बनाने के लिए अफीमची बना दिया था| चीन ने अपने नागरिकों को अफीम के नशे से मुक्त कर लिया है| वहाँ अब कोई अफीम का सेवन नहीं करता| ज़रा सा संदेह होते ही वहाँ विदेशी पर्यटकों की भी जूते और मोज़े तक उतरवा कर तलाशी ली जाती है| भारत में भी नियमों को कठोर बना कर ड्रग्स के धंधे को बंद करना ही पड़ेगा नहीं तो देश का भविष्य अंधकारमय है|
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साथ साथ ध्यान आदि का अभ्यास करा कर व परमात्मा के प्रति भक्ति के संस्कार देकर युवा वर्ग को चरित्रवान बनाना ही पड़ेगा| बच्चों में सद्साहित्य का वितरण और लोकप्रिय बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए|
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फिर हमें सरकार पर दबाव डालकर संविधान से उन प्रावधानों को हटवाना चाहिए जिनके अंतर्गत हिन्दू धर्म की शिक्षा विद्यालयों में नहीं दी जा सकती| धर्म-निरपेक्षता के नाम पर हिन्दुओं के साथ बहुत अन्याय हो रहा है|
ॐ ॐ ॐ ||

अपनी चेतना का विस्तार करें .....

अपनी चेतना का विस्तार करें ..... 
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(1) सृष्टि के सभी प्राणी मेरे ही भाग हैं| उनका कल्याण ही मेरा कल्याण है| पूरी समष्टि के साथ मैं एक हूँ| मैं किसी से पृथक नहीं हूँ| सभी मेरे ही भाग हैं|
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(2) उपरोक्त विचार पर गहनतम ध्यान करो| ध्यान में प्राप्त हुई उस चेतना को अपने भीतर स्थिर रखो|
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(3) सम्पूर्ण समष्टि मैं स्वयं हूँ| यह सम्पूर्ण सृष्टि, सारा जड़ और चेतन मैं ही हूँ| यह पूरा अंतरिक्ष, पूरा आकाश मैं ही हूँ| सब जातियाँ, सारे वर्ण, सारे मत-मतान्तर, सारे सम्प्रदाय और सारे विचार व सिद्धांत मेरे ही हैं|
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(4) मैं अपना प्रेम सबके ह्रदय में जागृत कर रहा हूँ| मेरा अनंत प्रेम सबके ह्रदय में जागृत हो रहा है| मैं अनंत प्रेम हूँ|
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उस प्रेम में स्थिर रहो| वह प्रेम ही इस सृष्टि का कल्याण करेगा | ॐ ॐ ॐ ||

आध्यात्मिक क्षेत्र में मेरा किसी से कोई विवाद नहीं है .....

आध्यात्मिक क्षेत्र में मेरा किसी से कोई विवाद नहीं है|


मैं अपने आप में पूर्ण संतुष्ट हूँ, मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है और न ही कोई आलोचना और निंदा का विषय मेरे पास है|
मेरी सोच और मेरे विचार एकदम स्पष्ट हैं, मुझे किसी भी तरह का कोई संदेह या शंका नहीं है|


मुझे Chatting यानि गपशप की आदत नहीं है अतः किसी से बेकार की बातें नहीं करता जिसके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ|


सभी को मेरी शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ ॐ ॐ ||