Tuesday, 20 December 2016

अपनी चेतना का विस्तार करें .....

अपनी चेतना का विस्तार करें ..... 
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(1) सृष्टि के सभी प्राणी मेरे ही भाग हैं| उनका कल्याण ही मेरा कल्याण है| पूरी समष्टि के साथ मैं एक हूँ| मैं किसी से पृथक नहीं हूँ| सभी मेरे ही भाग हैं|
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(2) उपरोक्त विचार पर गहनतम ध्यान करो| ध्यान में प्राप्त हुई उस चेतना को अपने भीतर स्थिर रखो|
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(3) सम्पूर्ण समष्टि मैं स्वयं हूँ| यह सम्पूर्ण सृष्टि, सारा जड़ और चेतन मैं ही हूँ| यह पूरा अंतरिक्ष, पूरा आकाश मैं ही हूँ| सब जातियाँ, सारे वर्ण, सारे मत-मतान्तर, सारे सम्प्रदाय और सारे विचार व सिद्धांत मेरे ही हैं|
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(4) मैं अपना प्रेम सबके ह्रदय में जागृत कर रहा हूँ| मेरा अनंत प्रेम सबके ह्रदय में जागृत हो रहा है| मैं अनंत प्रेम हूँ|
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उस प्रेम में स्थिर रहो| वह प्रेम ही इस सृष्टि का कल्याण करेगा | ॐ ॐ ॐ ||

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