माया का आकर्षण मनुष्य के कल्याण के लिए ही है| परमात्मा की सृष्टि में जो कुछ भी सृष्ट है वह सृष्टि के कल्याण के लिए ही हो सकता है, किसी अनिष्ट के लिए नहीं| भगवान की माया का आवरण और विक्षेप भी मनुष्य के कल्याण के लिए ही है| इस समय मेरे मानस पटल पर संसार की अनेक विसंगतियाँ हैं, जो समझ से परे हैं| मैनें इन सब विसंगतियों का कारण जानने की इच्छा की तो मुझे अंतर में स्पष्ट उत्तर मिला कि भगवान ने मनुष्य को माया का आकर्षण यह देखने के लिए दिया है कि संभवतः कोई तो इस मायाजाल से ऊपर उठकर उन मायापति को जानने का प्रयास करेगा जिन्होनें इस सृष्टि की रचना की है| हमारी सब समस्याओं का पता भगवान को है| सब समस्याएँ उन्हीं की हैं, हम तो जबरदस्ती ही उन समस्याओं को पकड़ कर बैठे हैं| हमारी एकमात्र समस्या परमात्मा को प्राप्त करना है, अन्य कोई समस्या हमारी नहीं है|
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गुरु महाराज ने भी कहा है कि तुम्हारी एकमात्र समस्या ईश्वर को प्राप्त करना है, कूटस्थ में ईश्वर का सदा निरंतर ध्यान करो, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रेम उन्हें दो, फिर अन्य सब समस्याएँ भी उन्हीं की हैं|
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गुरु महाराज ने भी कहा है कि तुम्हारी एकमात्र समस्या ईश्वर को प्राप्त करना है, कूटस्थ में ईश्वर का सदा निरंतर ध्यान करो, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रेम उन्हें दो, फिर अन्य सब समस्याएँ भी उन्हीं की हैं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
९ जून २०१९
कृपा शंकर
९ जून २०१९