Monday, 10 June 2019

माया का आकर्षण मनुष्य के कल्याण के लिए ही है ....

माया का आकर्षण मनुष्य के कल्याण के लिए ही है| परमात्मा की सृष्टि में जो कुछ भी सृष्ट है वह सृष्टि के कल्याण के लिए ही हो सकता है, किसी अनिष्ट के लिए नहीं| भगवान की माया का आवरण और विक्षेप भी मनुष्य के कल्याण के लिए ही है| इस समय मेरे मानस पटल पर संसार की अनेक विसंगतियाँ हैं, जो समझ से परे हैं| मैनें इन सब विसंगतियों का कारण जानने की इच्छा की तो मुझे अंतर में स्पष्ट उत्तर मिला कि भगवान ने मनुष्य को माया का आकर्षण यह देखने के लिए दिया है कि संभवतः कोई तो इस मायाजाल से ऊपर उठकर उन मायापति को जानने का प्रयास करेगा जिन्होनें इस सृष्टि की रचना की है| हमारी सब समस्याओं का पता भगवान को है| सब समस्याएँ उन्हीं की हैं, हम तो जबरदस्ती ही उन समस्याओं को पकड़ कर बैठे हैं| हमारी एकमात्र समस्या परमात्मा को प्राप्त करना है, अन्य कोई समस्या हमारी नहीं है|
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गुरु महाराज ने भी कहा है कि तुम्हारी एकमात्र समस्या ईश्वर को प्राप्त करना है, कूटस्थ में ईश्वर का सदा निरंतर ध्यान करो, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रेम उन्हें दो, फिर अन्य सब समस्याएँ भी उन्हीं की हैं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
९ जून २०१९

आसनं उपासनं, अच्युतस्य पादाम्बुजोपासनं .....

आसनं उपासनं, अच्युतस्य पादाम्बुजोपासनं .....
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भगवान अच्युत हैं, उन के चरण कमलों में आसन जमा लो| एक पुरानी कहानी है .... एक मछली मारने वाला मछुआरा नदी में जाल फैलाकर मछली पकड़ रहा था, वहीं एक संत नहा रहे थे| एक मछली ने संत को देखा और उन से प्रार्थना की कि हे महाराज, मुझे बचा लो| संत ने संकेत किया कि तुम मछुआरे के पाँव के पास चली जाओ| मछली मछुआरे के पाँव के पास ही रही, अंततः मछली जाल में नहीं फँसी, जाल से छूट गयी| यह जो मायाजाल जिसने फैलाया हुआ है, उसके चरणों में बैठ जाओ| मायाजाल में नहीं फँसोगे|
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दाल दली जा रही थी, आटा पिसा जा रहा था। उसमें था एक घुन जिसने अपने गुरुदेव का स्मरण किया| गुरुदेव ने कहा कि तुम कील के पास चले जाओ, जहाँ से चक्की घूमती है| वह तो बच गया, पर अन्य सारे पिस गए| यह संसार जिस कील पर घूम रहा है, यह मायाजाल जिसने बनाया है, उसके चरणों में जाकर बैठ जाओ| कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता|
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प्रार्थना :--- हे जगन्माता, हे परमशिव, जैसे सारी नदियाँ समुद्र में समाहित होती हैं वैसे ही ये सारी दृष्टियाँ आप में ही समाहित हैं| हमें इतनी सामर्थ्य दो की हम अपना दिव्य प्रेमरस .... शत्रु और मित्र दोनों में समान रूप में परोस सकें|
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इति शुभम् ! ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
८ जून २०१९

पृथ्वी पर नर्क .....

पृथ्वी पर नर्क .....
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यह सत्य है कि इसी पृथ्वी पर कई ऐसे स्थान हैं जो साक्षात् नर्क हैं| कुछ तो ऐसे देश भी हैं जहाँ जन्म लेना और रहना ही नर्क की सजा है| सार्वजनिक रूप से किसी देश को नर्क बताना अनुचित है अतः मैं ऐसे देशों के नाम नहीं लिखूँगा|
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कुछ देशों में ऐसे स्थान हैं जो वास्तव में नर्क हैं| उनके बारे में सार्वजनिक चर्चा हो सकती है| कई ऐसे पर्यटकों ने जिन्होनें पूरे विश्व की यात्रा की है, पृथ्वी पर दस ऐसे स्थानों के बारे में लिखा है जो वास्तव में नर्क के द्वार हैं| ऐसा ही एक स्थान "डानाकिल डिप्रेशन" है जो उत्तरी अफ्रीकी देश इथियोपिया के अफ़ार इलाक़े में समुद्र तल से लगभग एक-सौ मीटर नीचे है| यह विश्व का सबसे अधिक गर्म और सूखा स्थान है| यहाँ का तापमान ५० से ५५ डिग्री सेल्सियस के आसपास या अधिक ही रहता है फिर भी लोग यहाँ रहते हैं| यहाँ वर्षा नहीं के बराबर होती है| यहाँ भूमिगत एक ज्वालामुखी है जहाँ से गर्म पानी के झरने निकलते हैं जो गर्मियों में सूख जाते हैं| वे सूखे हुए झरने नमक की एक चट्टान बन जाते हैं| वह नमक बिलकुल सैंधे नमक जैसा होता है| उस नमक की चट्टान को तोड़कर बेचना ही यहाँ के लोगों का व्यवसाय है जिस की आय पर ये जीवित रहते हैं| यहाँ से सबसे पास मेकेले नाम का एक नगर है, जहाँ पर ये लोग गधों और ऊंटों पर नमक लाद कर बेचने लाते हैं| इस नगर तक गधों और ऊँट पर यात्रा करने में पांच-सात दिन लग जाते हैं|
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दूसरे देशों से यहाँ आने लोग इसे नर्क का द्वार कहते हैं|
कभी समय मिला तो इसी पृथ्वी पर नर्क के अन्य नौ द्वारों के बारे में भी लिखूंगा|
कृपा शंकर
६ जून २०१९