विनाश के लक्षण .....
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जहाँ अपूज्य व्यक्तियोंका पूजन होता है और पूज्य व्यक्तियों का तिरस्कार होता है, वहाँ ये तीन बातें अवश्य होती है ..... "अकाल, मृत्यु और भय" | स्कंदपुराण में कहा है ...
अपूज्य यत्र पूज्यन्ते पूज्यपूजाव्यतिक्रमः |
त्रीणि तत्र प्रजायन्ते दुर्भिक्षं मरणं भयम् || (स्कन्दपुराण, मा॰के॰३/४८)
.
प्राचीन भारत के राजा बड़े गर्व से कहते थे कि ....."मेरे राज्यमें न तो कोई चोर है, न कोई कृपण है, न कोई मदिरा पीनेवाला है, न कोई अनाहिताग्नि (अग्निहोत्र न करनेवाला) है, न कोई अविद्वान् है और न कोई परस्त्रीगामी ही है, फिर कुलटा स्त्री (वेश्या) तो होगी ही कैसे ?’
न मे स्तेनो जनपदे न कदर्यो न मद्यपः |
नानाहिताग्निर्नाविद्वान्न स्वैरी स्वैरिणी कुतः || (छान्दोग्योपनिषद ५/११/५)
.
जिस गति से अधर्म बढ़ रहा है, वह दिखाता है कि विनाशकाल अब दूर नहीं है|
भगवान सब की रक्षा करें| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ अप्रेल २०१८
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जहाँ अपूज्य व्यक्तियोंका पूजन होता है और पूज्य व्यक्तियों का तिरस्कार होता है, वहाँ ये तीन बातें अवश्य होती है ..... "अकाल, मृत्यु और भय" | स्कंदपुराण में कहा है ...
अपूज्य यत्र पूज्यन्ते पूज्यपूजाव्यतिक्रमः |
त्रीणि तत्र प्रजायन्ते दुर्भिक्षं मरणं भयम् || (स्कन्दपुराण, मा॰के॰३/४८)
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प्राचीन भारत के राजा बड़े गर्व से कहते थे कि ....."मेरे राज्यमें न तो कोई चोर है, न कोई कृपण है, न कोई मदिरा पीनेवाला है, न कोई अनाहिताग्नि (अग्निहोत्र न करनेवाला) है, न कोई अविद्वान् है और न कोई परस्त्रीगामी ही है, फिर कुलटा स्त्री (वेश्या) तो होगी ही कैसे ?’
न मे स्तेनो जनपदे न कदर्यो न मद्यपः |
नानाहिताग्निर्नाविद्वान्न स्वैरी स्वैरिणी कुतः || (छान्दोग्योपनिषद ५/११/५)
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जिस गति से अधर्म बढ़ रहा है, वह दिखाता है कि विनाशकाल अब दूर नहीं है|
भगवान सब की रक्षा करें| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ अप्रेल २०१८