आज मैंने फ़ेसबुक और व्हाट्सएप्प पर मित्रों से एक प्रश्न पूछा था कि -- "आवरण, विक्षेप और दीर्घसूत्रता -- ये आध्यात्मिक साधक के सबसे बड़े शत्रु हैं। इन पर कैसे विजय पायें ?? मित्रों/शुभचिंतकों से उत्तर अपेक्षित हैं।" --
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इन जिज्ञासाओं का समाधान -- रामचरितमानस, भगवद्गीता, और उपनिषदों के स्वाध्याय से तुरंत हो जाता है। इसका उत्तर -- भक्ति और प्रार्थना है।
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रही ध्यान की बात तो इसमें कोई जटिलता नहीं है। भक्ति-सूत्रों में देवर्षि नारद जी ने भक्त की तीन अवस्थाएँ बताई हैं --
तो यह "आत्मारामो भवति" वाली स्थिति यानि आत्माराम हो जाना ही भगवान का ध्यान है। जो अपनी आत्मा में रमण करता है, वह आत्माराम है।
भगवान की भक्ति कोई जटिल विषय नहीं है। यह स्वभाविक और हमारी विशुद्ध प्रकृति है।
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भगवान की माया के दो अस्त्र हैं -- आवरण और विक्षेप। यह दीर्घसूत्रता - एक तरह का आवरण ही है। जहाँ भक्ति होती है, वहाँ माया काम नहीं कर सकती। भक्ति में कोई मांग नहीं होती, सिर्फ समर्पण होता है। जहाँ मांग होती है, वह व्यापार होता है, भक्ति नहीं। भक्तों के गुरु तो स्वयं श्रीहनुमान जी, और भगवान श्रीराधाकृष्ण अपने आप ही हो जाते हैं।
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हाँ, जब हम भूमा-तत्व का ज्ञान पाना चाहते है, और भूमा का ध्यान करना चाहते हैं, तब अवश्य एक ब्रह्मनिष्ठ श्रोत्रीय आचार्य गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है। यह योग और वेदान्त का विषय है। भक्ति की उच्च अवस्थाओं में भी सद्गुरु की आवश्यकता है, ताकि कोई भटकाव नहीं हो। उपनिषदों का स्वाध्याय ईशावास्योपनिषद से आरंभ करना चाहिए। फिर केनोपनिषद, और फिर अपनी अपनी रुचि के अनुसार अन्य उपनिषद। साथ साथ श्रीमद्भगवद्गीता का भी समय समय पर स्वाध्याय करते रहें।
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परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति आप सब को मैं नमन करता हूँ। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
२ जनवरी २०२२
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पुनश्च :-- परमात्मा का ध्यान करते समय बंद आँखों से घर-परिवार, सगे-संबंधी सब, यहाँ तक कि यह शरीर भी लुप्त हो जाता है। सारे संबंध छूट जाते हैं। लेकिन ध्यान के पश्चात आँख खुलते ही फिर उनसे मोह जागृत हो जाता है। यह माया का "आवरण" है। इस आवरण से परमात्मा का ध्यान करने की इच्छा ही समाप्त हो जाती है।
परमात्मा का ध्यान करने का समय होता है तब सोचते हैं कि अभी इतनी जल्दी क्या है, बहुत समय पड़ा है, बाद में कर लेंगे। पर वह "बाद में" कभी नहीं आता। इसे दीर्घसूत्रता कहते हैं। यह एक प्रमाद है जिसे भगवान सनत् कुमार ने मृत्यु बताया है।