मकर-संक्रांति की अग्रिम शुभ कामनायें ---
Tuesday, 14 January 2025
मकर-संक्रांति की अग्रिम शुभ कामनायें ---
आप सभी को मकर-संक्रांति की मंगलमय शुभ कामनायें !! --
आप सभी को मकर-संक्रांति की मंगलमय शुभ कामनायें !! --
मैं अपनी आस्था और विचारों पर दृढ़ हूँ ---
मैं अपनी आस्था और विचारों पर दृढ़ हूँ। मेरे विचार और मेरी सोच -- श्रीमद्भगवद्गीता, उपनिषदों, गुरु-परंपरा व निजानुभूतियों पर आधारित हैं। जिन सनातन धर्मावलंबी मनीषियों से मेरे मतभेद हैं, उन्हें मैं व्यक्त नहीं करता। सब का सम्मान करता हूँ। आसुरी विचारों का सदा विरोध करता हूँ, उनसे कोई समझौता नहीं करता। परमात्मा सम भाव से सर्वत्र व्याप्त सत्ता है। श्रुतियाँ अपौरुषेय और अंतिम प्रमाण हैं। यही मेरी चिंतनधारा है।
आप सभी महान आत्माओं को नमन !! मैं उन सभी सत्यनिष्ठ धर्मावलम्बी महान आत्माओं के चरण-स्पर्श करता करता हूँ जो निरंतर ईश्वर की चेतना में रहते हैं| वे इस पृथ्वी पर चलते-फिरते देवता है| यह पृथ्वी उन्हीं के कारण सनाथ है|
जिसे हम ढूंढ़ रहे थे वह तो हम स्वयं हैं ---
जिसे हम ढूंढ़ रहे थे वह तो हम स्वयं हैं ---
ध्यान में दिखाई दे रहा पंचकोणीय नक्षत्र बहुत अधिक चमकीला होता है जिसके चारों ओर एक नीला आवरण होता है, उसके भी चारों ओर एक स्वर्णिम आवरण होता है। इस ध्वनि और प्रकाश में स्वयं को विलीन कर दीजिये।
सभी को मकर संक्रान्ति, लोहिड़ी और पोंगल की अनंत मंगलमय शुभ कामनाएँ॥ हम सब का जीवन उत्तरायण, धर्मपरायण और राममय बने।
सभी को मकर संक्रान्ति, लोहिड़ी और पोंगल की अनंत मंगलमय शुभ कामनाएँ॥ हम सब का जीवन उत्तरायण, धर्मपरायण और राममय बने।
>>>आप आज चाहे इस पृथ्वी के किसी भी स्थान पर हों, देवाधिदेव महादेव भगवान शिव का ध्यान करेंगे, और घर बैठे बैठे गंगा-स्नान का पुण्य लाभ भी प्राप्त करेंगे। मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण होता है, इसलिए इस समय किए गए ध्यान, जप, पुण्य और दान का फल अनंत होता है।
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भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र अमर वाणी से इस लेख का आरंभ कर रहा हूँ, जो आपका मंगल ही मंगल करेगी और आपके जीवन को धन्य भी कर देगी ---
"यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागाः।
यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये॥
सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च।
मूर्ध्न्याधायात्मनः प्राणमास्थितो योगधारणाम्॥
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्॥
अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः।
तस्याहं सुलभः पार्थ नित्युक्तस्य योगिनः॥"
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मकर संक्रांति के दिन गंगा-स्नान का बहुत महत्व है। आज अभी इसी समय हम गंगा जी में स्नान करेंगे। उसकी विधि बताता हूँ ---
"ज्ञान संकलिनी तन्त्र" के अनुसार इड़ा भगवती गंगा है, पिंगला यमुना नदी है, और उनके मध्य में सुषुम्ना सरस्वती है। इस त्रिवेणी का संगम तीर्थराज है जहाँ स्नान करने से सर्व पापों से मुक्ति मिलती है।
> वह तीर्थराज त्रिवेणी प्रयाग का संगम कहाँ है ?
> वह स्थान -- तीर्थराज त्रिवेणी का संगम हमारे भ्रूमध्य में है।
अपनी चेतना को भ्रूमध्य में और उससे ऊपर रखना ही त्रिवेणी संगम में स्नान करना है।
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भूमि पर एक ऊनी कंबल का आसन बिछा कर मेरुदण्ड को उन्नत रखते हुए पूर्व या उत्तर दिशा में मुख रखते हुए पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ। किसी भी परिस्थिति में कमर सीधी हो अन्यथा कोई लाभ नहीं होगा। जिनकी कमर झुक गई है उन्हें दुबारा जन्म लेना होगा, इस जन्म में उन्हें सिद्धि नहीं मिल सकती। वे पूर्ण भक्ति से भगवान का नाम जप करें,। कमर सीधी रखने में यदि कोई कठिनाई है तो नितंबों के नीचे एक पतली गद्दी लगा लें। जो भूमि पर नहीं बैठ सकते, वे भूमि पर ऊनी कंबल बिछा कर उस पर एक बिना हत्थे की कुर्सी रखकर उस पर बैठें। कमर किसी भी परिस्थिति में सीधी हो।
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अजपा-जप (हंसःयोग/हंसवतिऋक) द्वारा सर्वव्यापी ज्योतिर्मय ब्रह्म के रूप में देवाधिदेव महादेव भगवान शिव का ध्यान भ्रूमध्य में करें। मानसिक रूप से मूर्धा में प्रणव का मानसिक जप व श्रवण करें। यह आपका पवित्र गंगा जी में स्नान है। आपको पवित्र गंगा जी में स्नान का पुण्य लाभ हो रहा है।
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नित्य रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान कर के निश्चिन्त होकर जगन्माता की गोद में सो जाएँ।
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दिन का प्रारम्भ परमात्मा के प्रेम रूप पर ध्यान से करें।
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पूरे दिन परमात्मा को अपनी स्मृति में रखें। यदि भूल जाएँ तो याद आते ही पुनश्चः मानसिक स्मरण प्रारम्भ कर दें। उन्हें ही अपने जीवन का केंद्र-बिन्दु और कर्ता बनाएँ। स्वयं एक निमित्त मात्र होकर साक्षी भाव में जीयें।
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आज मकर-संक्रांति का दिन सम्पूर्ण समष्टि के लिए कल्याणकारी और ,मंगलमय हो।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ जनवरी २०२४