Tuesday, 14 January 2025

मैं अपनी आस्था और विचारों पर दृढ़ हूँ ---

 मैं अपनी आस्था और विचारों पर दृढ़ हूँ। मेरे विचार और मेरी सोच -- श्रीमद्भगवद्गीता, उपनिषदों, गुरु-परंपरा व निजानुभूतियों पर आधारित हैं। जिन सनातन धर्मावलंबी मनीषियों से मेरे मतभेद हैं, उन्हें मैं व्यक्त नहीं करता। सब का सम्मान करता हूँ। आसुरी विचारों का सदा विरोध करता हूँ, उनसे कोई समझौता नहीं करता। परमात्मा सम भाव से सर्वत्र व्याप्त सत्ता है। श्रुतियाँ अपौरुषेय और अंतिम प्रमाण हैं। यही मेरी चिंतनधारा है।

आप सभी महान आत्माओं को नमन !! मैं उन सभी सत्यनिष्ठ धर्मावलम्बी महान आत्माओं के चरण-स्पर्श करता करता हूँ जो निरंतर ईश्वर की चेतना में रहते हैं| वे इस पृथ्वी पर चलते-फिरते देवता है| यह पृथ्वी उन्हीं के कारण सनाथ है|

हमें ईश्वर का स्मरण हर समय क्यों व कैसे करना चाहिए ? इसका उत्तर श्रीमद्भगवद्गीता के आठवें अध्याय "अक्षरब्रह्मयोग" में दिया है। जो मुमुक्षु हैं वे इसका स्वाध्याय करें। जिन्हें प्यास लगी है वही पानी पीयेगा। धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो !!

ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ जनवरी २०२५

No comments:

Post a Comment