आप सभी को मकर-संक्रांति की मंगलमय शुभ कामनायें !! --
आज (१४ जनवरी २०२५) का बहुत अधिक शुभ दिन है। आज परमात्मा के आशीर्वादों की निरंतर अथाह वर्षा हो रही है। आज गंगा-सागर में स्नान का भी मुहूर्त है। पद्मपुराण के अनुसार जो श्रद्धालु -- "ॐ कपिलाय नमः, ॐ सागराय नमः, ॐ गंगाय नमः" -- इस मंत्र को श्रद्धा से दस बार जप कर के स्नान करते हैं, उन्हें गंगा-सागर में स्नान का पुण्यफल मिल जाता है। इस मंत्र को नित्य भी दस बार जप कर के स्नान कर सकते हैं, गंगासागर में स्नान का पुण्यलाभ नित्य प्राप्त होगा।
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हम अनंत, सर्वव्यापक, असम्बद्ध, अलिप्त व शाश्वत हैं। हमारा जीवन उत्तरायण हो व हम धर्मपरायण हों। भगवान श्रीकृष्ण भी उत्तरायण हैं, वे उत्तरा के गर्भ में परीक्षित की रक्षा के लिए स्वयं आए थे। वे हमारे जीवन में भी आयें। आज प्रभु से प्रार्थना है कि हमारा हर संकल्प शिव-संकल्प हो, और हर विचार सर्वश्रेष्ठ हो।
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पतंग आसमान में उड़ता है, और चाहता है कि मैं ऊँचा, और ऊँचा व और अधिक ऊँचा सदा उड़ता ही रहूँ; कभी लौट कर बापस न आऊँ। ऐसी ही हमारी चेतना और आकांक्षाएँ हैं जो निरंतर उत्थान ही उत्थान चाहती हैं। लेकिन कर्मों की डोर खींच कर हमें बापस ले आती है। उन डोर रूपी पाशों से हम मुक्त हों। जब तक इन पाशों से बंधे हैं, तब तक हम पशु ही हैं। ईश्वरीय चेतना ही हमें इन पाशों से मुक्त कर सकती है।
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हमारे मन में किसी भी परिस्थिति में किसी भी तरह का कोई बुरा विचार न आये। भगवान स्वयं ही हमारे बिखरे हुए विचारों के ध्रुव बनें। जिस क्षण भी भगवान की याद आती है, वह सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। हर क्षण हम भगवान की चेतना में निरंतर प्रेम व आनंदमय होकर रहें।
पुनश्च: मकर-संक्रांति की अनंत मंगलमय शुभ कामनाएँ। हम सब का जीवन उत्तरायण व धर्मपरायण हो। भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है अतः मन प्रसन्न होकर नृत्य कर रहा है। हरिः ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ जनवरी २०२५
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