राष्ट्रहित में ---
Tuesday, 17 December 2024
राष्ट्रहित में ---
भगवान को हम दे ही क्या सकते हैं? सब कुछ तो उनका ही दिया हुआ है .....
भगवान को हम दे ही क्या सकते हैं? सब कुछ तो उनका ही दिया हुआ है .....
निकट भविष्य में भारत को एक बड़े युद्ध में उतरना पड़ सकता है ---
निकट भविष्य में भारत को एक बड़े युद्ध में उतरना पड़ सकता है ---
"ब्रह्मशक्ति" शब्द से मेरा क्या तात्पर्य है? ---
. "ब्रह्मशक्ति" शब्द से मेरा क्या तात्पर्य है? ---
सत्य को जानने की शाश्वत जिज्ञासा ही धर्म है ---
सत्य को जानने की शाश्वत जिज्ञासा ही धर्म है ---
किस चीज ने मुझे इस संसार से बांध रखा है? मैं कैसे व क्यों जीवित हूँ? ---
किस चीज ने मुझे इस संसार से बांध रखा है? मैं कैसे व क्यों जीवित हूँ? ---
गीता जयंती ---
गीता जयंती ---
जिनका हम ध्यान करते हैं, वह तो हम स्वयं हैं ---
परमात्मा की उपासना कौन कर सकता है? ---
परमात्मा की उपासना कौन कर सकता है? ---
मेरी राष्ट्रभक्ति और धार्मिक आस्था के विरुद्ध सोचने या बोलने वालों से मैं कोई संबंध नहीं रखता ---
आजकल मेरे में न तो धैर्य है, और न मेरे पास समय है बेकार की बहसबाजी करने का। जो भी व्यक्ति सनातन-धर्म, परमात्मा के अस्तित्व, और राष्ट्र के प्रति मेरी आस्था के विरुद्ध कुछ भी कहता है, उसे मैं तत्क्षण अमित्र और अवरुद्ध कर देता हूँ। मैंने साम्यवाद को भी बहुत समीप से देखा है, अनेक कट्टर पूर्व व वर्तमान साम्यवादी देशों का भ्रमण भी किया है। इसी तरह बहुत सारे इस्लामी देशों का भी भ्रमण किया है और उन्हें बहुत समीप से देखा है। देश-विदेश के अनेक पादरियों से भी मेरी मित्रता रही है। बाइबिल के पुराने व सभी नये Testaments को पढ़ा है। सारे इब्राहिमी मज़हबों को अच्छी तरह समझता हूँ। कभी इजराइल जाने का अवसर तो नहीं मिला लेकिन उनके मजहबी साहित्य का कुछ कुछ अध्ययन भी किया है। मुझे जीवन में पूर्ण संतुष्टि है। अब परमात्मा ने ही मुझे इस आयु में जीवित और स्वस्थ रखा है, अतः मेरा समर्पण उन्हीं के प्रति है। .
जो समस्या इस समय इस सम्पूर्ण विश्व की है, मेरी समस्या भी वही है। इसका समाधान भी एक ही है --
जो समस्या इस समय इस सम्पूर्ण विश्व की है, मेरी समस्या भी वही है। इसका समाधान भी एक ही है --
ब्रह्मज्ञानी (आत्मज्ञानी) कौन है? ---
(प्रश्न) ब्रह्मज्ञानी (आत्मज्ञानी) कौन है?
एक दिन ध्यान में गुरु महाराज आये थे ---
एक दिन ध्यान में गुरु महाराज आये, उनकी देह भुवन-भास्कर की तरह देदीप्यमान और घनीभूत प्रकाशमय थी। उनकी आँखें बड़ी तेजस्वी थीं, जिनकी ओर देखा भी नहीं जा रहा था। कुछ समय तक उन्होने बड़े ध्यान से मेरी ओर देखा और मुंह से कुछ कहे बिना ही एक उपदेश देकर अपनी घनीभूत प्रकाशमय देह को परमात्मा के प्रकाश में विलीन कर दिया।
16 दिसंबर को विजय दिवस है ----
कल 16 दिसंबर को विजय दिवस है जो 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस युद्ध के अंत में ढाका में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। इस युद्ध में लगभग 3,900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए और 9851 घायल हुए।
सन १९७१ के युद्ध में झुंझुनूं के ही मेरे एक पूर्व नौसैनिक मित्र द्वारा किया गया अद्वितीय पराक्रम ---
भारत का अभ्युदय एक प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति से होगा --- .
भारत का अभ्युदय एक प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति से होगा ---
भक्ति का दिखावा, भक्ति का अहंकार, और साधना का समर्पण ---
भक्ति का दिखावा, भक्ति का अहंकार, और साधना का समर्पण ......
हमारी साँसें प्राणों से नियंत्रित होती हैं या प्राण साँसों से ---
हमारी साँसें प्राणों से नियंत्रित होती हैं या प्राण साँसों से नियंत्रित होते हैं इसका मुझे नहीं पता, लेकिन दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। साँसों पर ध्यान करने से ही प्राण-तत्व की अनुभूति होती है, और प्राण-तत्व ही हमें परमात्मा की अनुभूति कराता है।