Tuesday, 17 December 2024

"ब्रह्मशक्ति" शब्द से मेरा क्या तात्पर्य है? ---

मैं समस्त दैवीय शक्तियों, सप्त चिरंजीवियों, सिद्ध योगियों और तपस्वी महात्माओं का आवाहन और प्रार्थना करता हूँ कि उनके आध्यात्म-बल से भारत में एक ब्रह्मशक्ति का तुरंत प्राकट्य हो। भारत के सभी आंतरिक और बाह्य शत्रुओं का नाश हो। समय आ गया है -- "इस राष्ट्र भारत में धर्म की पुनःस्थापना और वैश्वीकरण हो।" ॐ स्वस्ति !!
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ दिसंबर २०२४

. "ब्रह्मशक्ति" शब्द से मेरा क्या तात्पर्य है? ---

.
राष्ट्र की ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व की सबसे बड़ी आवश्यकता इस समय सत्य-सनातन-धर्म की पुनःप्रतिष्ठा और वैश्वीकरण है। इसके लिए भारत में एक ब्रह्मशक्ति का प्राकट्य परमावश्यक है। ब्रह्मशक्ति का अर्थ है -- हमारी भक्ति और आध्यात्मिक साधना के प्रभाव से प्रकट हुई एक ईश्वरीय शक्ति, जो हमारे चारों ओर छाये हुये अंधकार को दूर करने में हमारी सहायता करे। इसके लिए हमें ईश्वर की उपासना करते हैं।
.
सूक्ष्म जगत के कुछ अदृश्य महात्माओं का मुझे संरक्षण और मार्गदर्शन प्राप्त है। वे मुझे भटकने नहीं देते। भटक भी जाता हूँ तो बापस खींचकर ईश्वरीय मार्ग पर ले आते हैं। वे ही प्रेरणा दे रहे हैं कि मुझे अपना शेष सारा जीवन परमात्मा की उपासना में ही व्यतीत करना चहिए। बौद्धिक स्तर पर मुझे किसी भी तरह का कोई संशय नहीं है, हर चीज स्पष्ट है। मुझे कहा गया है कि अपने अन्तःकरण (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) का परमात्मा को पूर्ण समर्पण ही परमात्मा की प्राप्ति है। मुझे यह भी कहा गया है कि जन्म-जन्मांतरों से मेरे अवचेतन मन में छिपे सारे कुसंस्कार, सारे पाप और सारी कमियाँ भी भगवत्-प्राप्ति से नष्ट हो जायेंगी। भगवत्-प्राप्ति ही आत्म-साक्षात्कार है जो मेरी सबसे बड़ी और एकमात्र आवश्यकता है।
.
अपने दिन का आरंभ, समापन और पूरा दिन परमात्मा की चेतना में ही व्यतीत करें। भगवान ने हम सब को विवेक दिया है। उस ईश्वर-प्रदत्त विवेक के प्रकाश से ही मार्गदर्शन प्राप्त करें और जीवन के सारे कार्य संपादित करें।
ॐ स्वस्ति !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
३ दिसंबर २०२४

No comments:

Post a Comment