"आचारहीनं न पुनन्ति वेदाः" अर्थात् आचारहीन को वेद भी नहीं पवित्र कर
सकते| श्रुति भगवती कहती है कि दुश्चरित्र कभी भी आत्मज्ञान को प्राप्त
नहीं कर सकता। सदाचार होने पर ही धर्म उत्पन्न होता है| किसी भी आध्यात्मिक
साधना में सिद्धि उसी को मिलती है जिसका आचार विचार सही होता है| इसलिए
ऋषि पातंजलि ने यम नियमों की आवश्यकता पर बल दिया है| योग मार्ग में जो
उच्चतर साधनाएँ हैं उन्हें गुरुमुखी यानि गुरुगम्य रखा गया है| वे
प्रत्यक्ष गुरु द्वारा शिष्य की पात्रता देखकर ही दी जाती है| उनके बारे
में सार्वजनिक चर्चा का भी निषेध है| सूक्ष्म प्राणायाम की क्रियाओं व
ध्यान साधना के साधना काल में यदि साधक का आचरण सही नहीं होता तो उसे या तो
मस्तिष्क की गंभीर विकृति हो जाती है या वह असुर बन जाता है| जिनके आचार
विचार सही थे वे देवता बने, जिनके गलत थे वे असुर बने|
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हमें मंत्रसिद्धि असत्यवादन के कारण नहीं होती| असत्य बोलने के कारण हमारी वाणी दग्ध हो जाती है| जैसे जला हुआ पदार्थ यज्ञ के काम का नहीँ होता है, वैसे ही जिसकी वाणी झूठ बोलती है, उससे कोई जप तप नहीं हो सकता| वह चाहे जितने मन्त्रों का जाप करे, कितना भी ध्यान करे, उसे फल कभी नहीं मिलेगा| दूसरों की निन्दा या चुगली करना भी वाणी का दोष है। जो व्यक्ति अपनी वाणी से किसी दूसरे की निन्दा या चुगली करता है वह कोई जप तप नहीं कर सकता| इसलिए अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की आवश्यकता है|
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शिष्यत्व की भी पात्रता होती है जिसके होने पर भगवन स्वयं गुरु रूप में साधक का मार्गदर्शन करते हैं| सभी को शुभ मंगल कामनाएँ| आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन! वे सब का कल्याण करें|
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हमें मंत्रसिद्धि असत्यवादन के कारण नहीं होती| असत्य बोलने के कारण हमारी वाणी दग्ध हो जाती है| जैसे जला हुआ पदार्थ यज्ञ के काम का नहीँ होता है, वैसे ही जिसकी वाणी झूठ बोलती है, उससे कोई जप तप नहीं हो सकता| वह चाहे जितने मन्त्रों का जाप करे, कितना भी ध्यान करे, उसे फल कभी नहीं मिलेगा| दूसरों की निन्दा या चुगली करना भी वाणी का दोष है। जो व्यक्ति अपनी वाणी से किसी दूसरे की निन्दा या चुगली करता है वह कोई जप तप नहीं कर सकता| इसलिए अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की आवश्यकता है|
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शिष्यत्व की भी पात्रता होती है जिसके होने पर भगवन स्वयं गुरु रूप में साधक का मार्गदर्शन करते हैं| सभी को शुभ मंगल कामनाएँ| आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को नमन! वे सब का कल्याण करें|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०४ फरवरी २०१८
कृपा शंकर
०४ फरवरी २०१८