Sunday 4 February 2018

सृष्टि का सब से बड़ा वरदान .....

सृष्टि का सब से बड़ा वरदान .....
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रात्रि में गहरा ध्यान कर के निश्चिन्त और निर्भय होकर अपने हृदय के पूर्ण प्रेम के साथ इस भाव के साथ सोना चाहिए जैसे हम एक छोटे बालक की तरह अपनी माता की गोद में सो रहे हैं| अपने सिर के नीचे तकिया नहीं, माँ भगवती का बायाँ हाथ है, और दायें हाथ से वे वे थपथपाकर हमें सुला रही हैं| अपनी सारी चिंताएँ, सारे भय और जीवन का सारा भार उन्हें सौंप दो|
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प्रातःकाल उठते ही हम पाएँगे कि माँ भगवती जो सारी सृष्टि का संचालन कर रही हैं, वे स्वयं ही हम से प्यार कर रही हैं| उन्हें प्रणाम करो और सीधे बैठकर कुछ समय के लिए ध्यानस्थ हो जाओ|
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जगन्माता के चेहरे की जो मोहक मधुर मुस्कान है, उस से अधिक सुन्दर इस सृष्टि में अन्य कुछ भी नहीं है| यदि माँ सारे वरदान भी देना चाहे तब भी हम माँ की उस मोहक मुस्कान के समक्ष उन से कुछ भी नहीं माँग पाएँगे| माँ की वह मधुर मुस्कान इस सृष्टि का सब से बड़ा वरदान है जो किसी को मिल सकता है| एक बार भगवती की उस मुस्कान को देख लोगे तो जीवन तृप्त और निहाल हो जाएगा, सारी कामनाएँ नष्ट हो जायेंगी, और सारा जीवन ही परमात्मा को समर्पित हो जाएगा| जगन्माता से हमें अन्य कुछ भी नहीं चाहिए, हम निरंतर उनके हृदय में रहें, और उनका सौम्यतम रूप सदा हमारे समक्ष रहे|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
०३ फरवरी २०१८

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