Tuesday 23 October 2018

आततायी को चाहे वह गुरु हो या बालक,वृद्ध हो या बहुश्रुत-ब्राह्मण, बिना सोचे शीघ्र मार देना चाहिये .....

आततायी को चाहे वह गुरु हो या बालक,वृद्ध हो या बहुश्रुत-ब्राह्मण, बिना सोचे शीघ्र मार देना चाहिये .....
.
कोई आततायी आपको मारने आ रहा है या आपके राष्ट्र और धर्म का अहित करने आ रहा है, तब क्या आप उस में परमात्मा का भाव रखेंगे?
.
मेरे आदर्श तो भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण हैं| कहीं भी कोई संदेह या भ्रम होता है तो मैं स्वयं से यह प्रश्न करता हूँ कि यदि भगवान् श्रीराम मेरे स्थान पर होते तो वे क्या करते? जो भगवान करते या भगवान ने किया है वही मेरा आदर्श है और वही मुझे करना चाहिए| इस से सारे भ्रम दूर हो जाते हैं|
.
'वशिष्ठ-स्मृति' के अनुसार आततायी का लक्षण निम्नलिखित है―
*अग्निदो गरदश्चैव शस्त्रपाणिर्धनापहः । क्षेत्रदारहरश्चैव षडेते आततायिनः ।।-(वशिष्ठ-स्मृति ३/१९)
आग लगाने वाला,विष देने वाला,हाथ में शस्त्र लेकर निरपराधों की हत्या करने वाला,दूसरों का धन छीनने वाला,पराया-खेत छीनने वाला,पर-स्त्री का हरण करने वाला-ये छह आततायी हैं।
.
ऐसे आततायी के वध के लिए मनुजी का आदेश है―
गुरुं वा बालवृद्धौ वा ब्राह्मणं वा बहुश्रुतम् । आततायिनमायान्तं हन्यादेवाविचारयन् ।।--(मनु० ८/३५०)
आततायी को चाहे वह गुरु हो या बालक,वृद्ध हो या बहुश्रुत-ब्राह्मण, बिना सोचे शीघ्र मार देना चाहिये।
.
भगवान् राम ने इसी मनुस्मृति वचन का उल्लेख रामायण में किया है-
श्रूयते मनुना गीतौ श्लोकौ चारित्रवत्सलौ।
गृहीतौ धर्मकुशलैस्तत्तथा चरितं हरे॥(किष्किन्धा काण्ड, १८/३१)

इसके पूर्व ताड़का (ताटका) के वध के लिये भी विश्वामित्र ने राम को कहा था कि स्त्री का वध करने में उनको संकोच नहीं होना चाहिये।
बालकाण्ड, (सर्ग २५)-न हि ते स्त्री वधकृते घृणा कार्या नरोत्तम॥१६॥
चातुर्वर्ण्य हितार्थाय कर्तव्यं राजसूनुना।
नृशंसमनृशंसं वा प्रजारक्षणकारणात्॥१७॥
पातकं वा सदोषं वा कर्तव्यं रक्षता सदा।
राज्यभारनियुक्तानामेष धर्मः सनातनः॥१८॥
.
२४ अक्टूबर २०१८

"निर्गुण" शब्द का क्या अर्थ हो सकता है ? हम "निर्गुण" कैसे हों ? ...

"निर्गुण" शब्द का क्या अर्थ हो सकता है ? हम "निर्गुण" कैसे हों ? ....
------------------------------------------------------------------------
इस सृष्टि में कुछ भी या कोई भी .... "गुणहीन" नहीं है| जो कुछ भी व्यक्त हो रहा है वह अपने "गुणों" से ही हो रहा है, यानि हर जीव या हर पदार्थ जो कुछ भी है, वह अपने "गुणों" से ही है| फिर "निर्गुण" तो कुछ है ही नहीं| अतः "निर्गुण" का क्या अर्थ हो सकता है? पारंपरिक रूप से जो निराकार ब्रह्म की उपासना करते हैं उन्हें "निर्गुणी" कहा जाता है, और प्रचलन में निराकार ब्रह्म ही "निर्गुण" कहा जाता है| पर यह बात पूरी तरह गले नहीं उतरती यानि कुछ जँचती नहीं है|
.
एक दूसरा दृष्टिकोण भी है| गीता में भगवान "निस्त्रैगुण्य" होने का उपदेश करते हैं.....
"त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन| निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्||२:४५||
अतः मेरी तो अल्प व सीमित बुद्धि से यही समझ में आता है कि जो "गुणातीत" है वही "निर्गुण" है| शास्त्रों में तीन गुण बताएँ हैं जिनसे यह सृष्टि संचलित है, वे हैं .... "सत्त्व, रज, तम", इनसे परे जाना ही "निर्गुण" होना हो सकता है|
.
अब प्रश्न उठता है कि हम "निर्गुण" यानी "गुणातीत" कैसे हों?
------------------------------------------------------------------
अब इधर-उधर की बात न करते हुए मैं अपने निज अनुभव की बात करता हूँ| साधना द्वारा अनुभूत मेरा निजी अनुभव तो यही है कि ..... "स्वयं में व्यक्त हो रहे प्राण तत्व की स्थिरता" ही "गुणातीत" यानि "निर्गुण" होना है| प्राण तत्व की अनुभूति निष्ठावान साधकों को हर समय निरंतर होती है| यह प्राण तत्व ही सुषुम्ना नाड़ी में कुण्डलिनी, और नासिका में वायु के रूप में व्यक्त होता है|
.
शास्त्रों में कहा है .... "ॐ नमो ब्रह्मणे नमस्ते वायो त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि"| यहाँ मेरे विचार से वायु जो श्वास रूप में चल रहा है वह व्रह्म बताया गया है| श्वास-प्रश्वास एक प्रतिक्रया है चंचल प्राण की| प्राण की चंचलता ही चंचल मन के रूप में व्यक्त होती है| श्वास में सत्व, रज व तम न हो, ..... यानि कोई स्पंदन न हो, यही "निर्गुण" होने का लक्षण है| यह पूर्ण रूप से संभव है| प्राण तत्व को स्थिर कर के खेचरी मुद्रा में बिना श्वास लिए भी जीवित रहा जा सकता है| (आगे साधना का विषय है, अतः और नहीं लिख रहा).
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२३ अक्तूबर २०१८

सबरीमाला के भगवान अय्यपा के मंदिर की आस्थाहीन नास्तिकों से रक्षा करो, और पूरे भारत में हिन्दू मंदिरों की सरकारी लूट बंद हो .....

सबरीमाला के भगवान अय्यपा के मंदिर की आस्थाहीन नास्तिकों से रक्षा करो, और पूरे भारत में हिन्दू मंदिरों की सरकारी लूट बंद हो .....
.
भगवान शिव और विष्णु के मिश्रित बालरूप अय्यप्पा का मंदिर दक्षिण भारत का सबसे अधिक लोकप्रिय मंदिर है जिसकी पवित्रता को भंग करने पर केरल की नास्तिक मार्क्सवादी सरकार, जिहादी और क्रूसेडरी शक्तियाँ लगी हुई हैं| अपने इस कुत्सित उद्देश्य में उन्होंने भारत के उच्चतम न्यायालय को भी सम्मिलित कर लिया है| अय्यप्पा का विग्रह आजीवन बाल ब्रह्मचारी का है अतः एक विशेष आयुवर्ग की महिलायें मंदिर के भीतर प्रवेश नहीं करतीं| इस शताब्दियों से प्रचलित प्रथा से किसी भी श्रद्धालु हिन्दू महिला को कोई शिकायत नहीं है| मंदिर में जाने वाले श्रद्धालु दर्शन करने से पूर्व ४१ दिनों तक की एक तपस्या करते हैं, जिसमें वे भूमि पर सोते हैं, ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं और शाकाहारी भोजन करते हैं|
.
मार्क्सवादियों के आराध्य देव कार्ल मार्क्स, लेनिन, स्टालिन, फ्रेडरिक एंगेल्स, माओ, फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेरा, आदि हैं| ये मार्क्सवादी उन्हीं आस्थाविहीन नास्तिकों के चश्मों से हिन्दुओं की आस्था को मापते हैं, और इन्होनें नास्तिक आस्थाहीनों को मंदिर के पदाधिकारियों के रूप में नियुक्त कर रखा है|
.
स्वतन्त्रता के समय से ही पूरे भारत के सारे प्रमुख हिन्दू मंदिर अधर्मसापेक्ष (धर्मनिरपेक्ष) सरकारों के आधीन है, और जो धन सिर्फ हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार में लगना चाहिए वह अल्पसंख्यक तुष्टिकरण में खर्च होता है| यह हिन्दुओं का दुर्भाग्य है| भारत की सभी धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने ईसाई अंग्रेजों के अंग्रेज़ी चश्में से हिन्दुओं की आस्था का आंकलन किया है|
.
केरल की मार्क्सवादी सरकार ने भारी पुलिस संरक्षण में विधर्मी महिलाओं को महिला स्वतन्त्रता के नाम पर मंदिर में घुसा कर मंदिर की पवित्रता भंग करने का पूरा प्रयास किया है जिसे हजारों श्रद्धालु हिन्दू महिलाओं ने अपनी जान पर खेल कर विफल कर दिया| वयोवुद्ध श्रद्धालु महिलाओं पर बहुत अधिक अत्याचार हुआ है|
.
भगवान हमारी सहायता करे|
कृपा शंकर
२२ अक्टूबर २०१८

पुलिस शहीद स्मृति दिवस :---

पुलिस शहीद स्मृति दिवस :---
-----------------------------
पुलिस शहीद स्मृति दिवस पर आज २१ अक्तूबर को मैं उन लगभग ३४८०० पुलिस के जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ जो स्वतन्त्रता के पश्चात आज तक अपना कर्तव्य निभाते हुए शहीद हुए हैं| उनके परिवारों को भी भगवान अपने प्रियजनों को खोने का दुःख सहन करने की शक्ति दे|
.
कहीं पर कोई भी दुर्घटना हो जाए, अपराध हो जाए या प्राकृतिक प्रकोप हो जाए तो पुलिस बल ही सर्वप्रथम पहुँचता है| हम आज अपराधियों से सुरक्षित होकर सुख की सांस ले रहे हैं, यह कर्तव्यनिष्ठ और साहसी पुलिस वालों के कारण हैं|
.
पुलिस में अगर कहीं कोई बुराई है तो वह अंग्रेजों की डाली हुई है जिसमें अपने हित के लिए राजनीतिकों ने स्वतंत्र भारत में कोई सुधार नहीं किया| इस विषय पर बहुत अनुसंधान हुआ है, बहुत सारे लेख और पुस्तकें भी लिखी गयी हैं| अतः इन पंक्तियों का यहीं समापन करता हूँ|

अंत में सभी कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मियों व उनके परिवारों को शुभ कामनाएँ !
कृपा शंकर
२१ अक्टूबर २०१८

भारत की प्रथम स्वतंत्र सरकार के ७५ वें स्थापना दिवस पर सभी देशवासियों का अभिनन्दन .....

भारत की प्रथम स्वतंत्र सरकार के ७५ वें स्थापना दिवस पर
सभी देशवासियों का अभिनन्दन .....
.
आज से ७५ वर्ष पूर्व २१ अक्तूबर १९४३ को नेताजी सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी थी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुरिया और आयरलैंड ने मान्यता दे दी थी| जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये| सुभाष बोस उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया| अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप तथा निकोबार का स्वराज्य द्वीप रखा गया| ३० दिसंबर १९४३ को पोर्ट ब्लेयर के जिमखाना मैदान में पर स्वतन्त्र भारत का ध्वज भी फहरा दिया गया था|
.
इससे पहले प्रथम विश्व युद्ध के बाद अफ़ग़ानिस्तान में महान् क्रान्तिकारी राजा महेन्द्र प्रताप ने आज़ाद हिन्द सरकार और फ़ौज बनायी थी जिसमें ६००० सैनिक थे|
.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इटली में क्रान्तिकारी सरदार अजीत सिंह ने 'आज़ाद हिन्द लश्कर' बनाई तथा 'आज़ाद हिन्द रेडियो' का संचालन किया|
.
जापान में रासबिहारी बोस ने भी आज़ाद हिन्द फ़ौज बनाकर उसका जनरल कैप्टेन मोहन सिंह को बनाया था|
.
इन सभी का लक्ष्य भारत को अंग्रेज़ों के चंगुल से सैन्य बल द्वारा मुक्त कराना था| पर स्वतंत्र सरकार की स्थापना नेताजी ने ही ७५ वर्ष पूर्व आज ही के दिन की थी| अतः वास्तविक स्वतंत्रता दिवस तो आज ही है| १५ अगस्त १९४७ तो भारत का विभाजन दिवस था|
.
तेरा गौरव अमर रहे माँ हम दिन चार रहें न रहें| भारत माता की जय !
वन्दे मातरं ! जय हिन्द !
कृपा शंकर
२१ अक्तूबर २०१८

हिन्दू मंदिरों की पवित्रता की रक्षा हो .....

हिन्दू मंदिरों की पवित्रता की रक्षा हो .....
.
जिस मंदिर के नियमानुसार मंदिर में दर्शन से पूर्व हर दर्शनार्थी को ४१ दिनों तक तपस्या करनी पड़ती हो ..... शाकाहारी भोजन, भूमि पर शयन और ब्रह्मचर्य के पालन के रूप में ..... फिर तुलसी व रुद्राक्ष की माला पहिन कर नेवैद्य सिर पर रखकर ले जाना पड़ता हो ..... उस मंदिर में उच्चतम न्यायालय के आदेश की अनुपालना करते हुए केरल की मार्क्सवादी अधर्मी सरकार द्वारा अश्रद्धालु और अधर्मी महिलाओं को भारी पुलिस बल के संरक्षण में ...... उन विधर्मी महिलाओं को जो छिपा कर प्रसाद के रूप में मंदिर की पवित्रता भंग करने के लिए अपने साथ मासिक धर्म के खून से सना सेनेट्री नेपकीन पेड और ब्रा लेकर जाती हो ....... उन विधर्मी महिलाओं को जो भगवान की मूर्ति के समक्ष मंदिर में अपने पुरुष मित्र के साथ सम्भोग करना चाहती हो ..... उन विधर्मी महिलाओं को जो सिर्फ देवता का मखौल उड़ाना चाहती हो ..... क्या श्रद्धालुओं का अपमान नहीं है?
मंदिर की पवित्रता की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाल कर एकत्र हुई हज़ारों वयोवृद्ध श्रद्धालु महिलाओं पर लाठीचार्ज कर सैंकड़ों श्रद्धालु महिलाओं को घायल करना कहाँ का धर्म है? लगता है यही मार्क्सवाद है|
.
किन महिलाओं को समानता का अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने दिया है? मंदिर की परम्पराओं की रक्षा करने वाली लाखों श्रद्धालु महिलाओं को या इन गिनी चुनी धर्मद्रोही अधर्मी/विधर्मी महिलाओं को?
.
अब मार्क्सवादियों का अंत आ गया है| वे इतिहास का विषय बन कर रह जायेंगे|
कृपा शंकर
२१ अक्टूबर २०१८