जीवन का एक भटकाव समाप्त हुआ। अब किसी के उपदेश, प्रवचन या मार्गदर्शन की कोई आवश्यकता नहीं रही है। जब गंतव्य समक्ष होता है तब किसी मार्गदर्शिका या मानचित्र की आवश्यकता नहीं पड़ती।
Wednesday, 25 June 2025
जीवन का एक भटकाव समाप्त हुआ ---
ये ढाई अक्षर क्या हैं? ---
जीवन की भागदौड़ में कुछ भी पाने के लिए बहुत दौड़ना पड़ता है। लेकिन सुख, शांति और परमात्मा ठहराव से ही मिलते हैं। एक दोहा है --

हम परमात्मा के किस रूप का ध्यान करें ?
ध्यान -- उस परम ज्योति का किया जाता है, जिसकी आभा सहस्त्रों सूर्यों के संयुक्त प्रकाश से भी अधिक हो। परमात्मा के अनंत ज्योतिर्मय रूप का ही ध्यान किया जाता है। आकाश में सहस्र सूर्यों के एक साथ उदय होने से उत्पन्न जो प्रकाश होगा, वह उस (विश्वरूप) परमात्मा के प्रकाश के सदृश होगा।
जब सब कुछ परमात्मा ही है तो अब उनके अतिरिक्त अन्य किसी से कोई अपेक्षा भी नहीं रही है ---
२६ जून २०२४
मेरे बिना वे नहीं रह सकते
किसी ने मुझ से कहा कि भगवान तुम्हारे से कभी प्रसन्न नहीं हो सकते। मैंने कहा कि यह उनकी समस्या है, मेरी नहीं। मेरे हृदय में बिराजित होकर तो वे बड़े प्रसन्न हैं। मुझे भी अपने स्वयं के हृदय में स्थायी स्थान दे रखा है। मेरे बिना वे नहीं रह सकते।
तन्मे मनः शिव संकल्पमस्तु। सारे शिव संकल्प प्रत्यक्ष शिव ही हैं ---
तन्मे मनः शिव संकल्पमस्तु। सारे शिव संकल्प प्रत्यक्ष शिव ही हैं ---
.जब भी भगवान कि गहरी स्मृति आये और भगवान पर ध्यान करने कि प्रेरणा मिले तब समझ लेना कि प्रत्यक्ष भगवान वासुदेव वहीँ खड़े होकर आदेश दे रहे हैं| उनके आदेश का पालन करना हमारा परम धर्म है|
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जब भी भगवान से किसी भी समय कोई भी शुभ कार्य करने की प्रेरणा मिले तो वह शुभ कार्य तुरंत आरम्भ कर देना चाहिए| सारी शुभ प्रेरणाएँ भगवान के द्वारा ही मिलती हैं|
जब भी मन में उत्साह जागृत हो उसी समय शुभ कार्य प्रारम्भ कर देना चाहिये| भगवान ने जो आदेश दे दिया उसका पालन करने में किसी भी तरह के देश-काल शौच-अशौच का विचार करने की आवश्यकता नहीं है|
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सबसे बड़ा और सबसे बड़ा महत्वपूर्ण शुभ कार्य है ---- भगवान का ध्यान|
शुभ कार्य करने का उत्साह भगवान् की विभूति ही है| निरंतर भगवान का ध्यान करो| कौन क्या कहता है और क्या नहीं कहता है इसका कोई महत्व नहीं है|
हम भगवान कि दृष्टी में क्या हैं ---- महत्व सिर्फ इसी का है|
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |
ॐ शिव | ॐ ॐ ॐ ||
कृपाशंकर
२५ जून २०१५
भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे समाप्त हो गये ?
भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे समाप्त हो गये ? .