भगवान तो अनंत हैं, वे इस छोटे से हृदय में कैसे समा सकते हैं?
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भगवान अनंत हैं, वे इस छोटे से भौतिक हृदय में नहीं समा सकते| ये आँखें तो हृदय से भी छोटी हैं जो उनकी सीमित अनंतता को ही देख पा रही हैं| इस भौतिक दृष्टी की एक सीमा है, दृश्य तो अनंत है| पर जिनसे यह सम्पूर्ण सृष्टि आच्छादित है, वे वासुदेव ही सर्वस्व हैं| उनकी अनंतता ही मेरा ह्रदय है| उनका अस्तित्व ही मेरा अस्तित्व है, जो वे हैं वह ही मैं हूँ| उनसे पृथक अन्य कुछ भी नहीं है| वे असीम हैं, उन्हें किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता| स्कन्दपुराण में वे स्वयं ही स्वयं को नमन कर रहे हैं ....
नमस्तुभ्यं नमो मह्यं तुभ्यं मह्यं नमोनमः | अहं त्वं त्वमहं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ||
.
गीता में वे कहते हैं .....
"बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते| वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः||७:१९||
.
वे अंतर्रात्मा परमात्वतत्व वासुदेव ही सर्वस्व हैं| सम्पूर्ण सृष्टि उन्हीं की स्वतन्त्र सत्ता है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय || ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२० दिसंबर २०१८
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भगवान अनंत हैं, वे इस छोटे से भौतिक हृदय में नहीं समा सकते| ये आँखें तो हृदय से भी छोटी हैं जो उनकी सीमित अनंतता को ही देख पा रही हैं| इस भौतिक दृष्टी की एक सीमा है, दृश्य तो अनंत है| पर जिनसे यह सम्पूर्ण सृष्टि आच्छादित है, वे वासुदेव ही सर्वस्व हैं| उनकी अनंतता ही मेरा ह्रदय है| उनका अस्तित्व ही मेरा अस्तित्व है, जो वे हैं वह ही मैं हूँ| उनसे पृथक अन्य कुछ भी नहीं है| वे असीम हैं, उन्हें किसी सीमा में नहीं बांधा जा सकता| स्कन्दपुराण में वे स्वयं ही स्वयं को नमन कर रहे हैं ....
नमस्तुभ्यं नमो मह्यं तुभ्यं मह्यं नमोनमः | अहं त्वं त्वमहं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ||
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गीता में वे कहते हैं .....
"बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते| वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः||७:१९||
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वे अंतर्रात्मा परमात्वतत्व वासुदेव ही सर्वस्व हैं| सम्पूर्ण सृष्टि उन्हीं की स्वतन्त्र सत्ता है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय || ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२० दिसंबर २०१८