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एक व्यक्ति का दृढ़ संकल्प भी विश्व के घटना क्रम और विचारों को बदल सकता है| अनेक व्यक्तियों का शिव संकल्प राष्ट्र की नियति बदल सकता है|
अपने संकल्प को ईश्वर के संकल्प से जोड़कर हम भारतवर्ष को परम वैभव के साथ अखंड हिन्दू राष्ट्र भी बना सकते हैं और रामराज्य की स्थापना भी कर सकते हैं|
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भारत की आत्मा आध्यात्मिक है| भारत का पुनरोत्थान एक प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति से होगा| इसके लिए हम सब सब की सहभागिता अपेक्षित है| अब समय आ गया है| यह कार्य आरम्भ हो चुका है| हम सब इस संकल्प से जुड़ें और परम वैभव युक्त आध्यात्मिक अखंड भारत का ध्यान अपनी चेतना में सदैव करें| भारत पुनश्च अखंड होगा और धर्म की पुनर्स्थापना होगी| अज्ञान और असत्य का अन्धकार दूर होगा और भारत माँ अपने परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर विराजमान होगी|
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हमें सब सिद्धियाँ भी चाहिएँ, देवत्व भी चाहिए, दिव्यास्त्र भी चाहिएँ और समस्त शक्तियाँ भी चाहिएँ| अपने अहम् के लिए नहीं, राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए इन सब का होना अति आवश्यक है| न तो हमें मोक्ष की कामना है और न मुक्ति की| ईश्वर की आराधना भी हम सिर्फ धर्म और राष्ट्र के लिए करते हैं|
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जीवन में संकल्पों का बहुत महत्व है| हमारे द्धारा लिए गये संकल्प हमारी इच्छाशक्ति और जीवन सिद्धांतों के प्रति दृढता को प्रतिबिंबित करते हैं| संकल्प हमारे मन को बांधने का कार्य करते हैं| उसे दिशाहीनता से बचाते हैं| मन में आए दिन अनगिनत इच्छाएं पैदा होती हैं| अक्सर हर तरह विचार बिना दस्तक दिए ही भीतर चले आते हैं| ऐसे में ज्ञान और नियमों के सहारे सही मार्ग को चुनने की आवश्यकता होती है जो बिना संकल्प लिए नहीं किया जा सकता| संकल्प कुछ भी हो सकता है, कैसा भी हो सकता है, मौन रहने का संकल्प....... सुबह जल्दी उठ जाने का संकल्प....... किसी बुरी आदत या लत से मुक्ति पाने का संकल्प........ स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का संकल्प........ या फिर अपनी दिनचर्या व्यवस्थित रखने का संकल्प..........! संकल्प कोई भी हो उसे निभाने के लिए एक संघर्ष करना पङता है| खुद से लड़ना पड़ता है|
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मुझे तो कभी कभी यह भी महसूस होता है कि अपने आप से लड़ना सबसे मुश्किल है| शायद यही कारण है कि खुद से द्वंद्व करते समय हमारा मन किसी संकल्प के टूट जाने की स्थिति में कई सारे विकल्प हमारे सामने ले आता है| विशेष बात यह भी है कि इन परिस्थितियों में हमारा अंर्तमन हमें उलाहना भी नहीं देता| आज हमारा जीवन कुछ ऐसा बन गया है कि ही जैसे ही संकल्प लेने की सोचते हैं उससे जुड़े विकल्पों तक मन-मस्तिष्क पहले पहुंच जाता है|
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संकल्प एक विचार है, जब तक चित्त एकाग्र नहीं होता तब तक कोई संकल्प साकार नहीं होता| जिधर संकल्प जाता है उधर प्राण चेतना स्वत: सक्रिय हो जाती है| संकल्प के घर्षण से प्राण में एक प्रकार का विद्युतीय प्रवाह उत्पन्न होता है जो लक्ष्य बिंदु पर केन्द्रित होकर व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण करता है|
हमारा संकल्प हमारा शत्रु भी है और हमारा मित्र भी|
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विचारपूर्वक दृढ़ निश्चय से हमारा संकल्प हो --- अखंड भारत हिन्दू राष्ट्र|
लोग मेरी बात पर हंसते हैं की ऐसा नहीं हो सकता| पर मुझे पता है की एक दिन ऐसा निश्चित होगा| हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपू, रावण और कंस, व यवनों और अंग्रेजों का शासन भी रहा है जिसमे किसी ने कल्पना भी नहीं की थी इन से मुक्ति मिल भी सकती है क्या|
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विगत दो शताब्दियों में अनेक चमत्कार हुए हैं जिनकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी .......
(1) सन १९०५ में रूस की जापान द्वारा पराजय और मंचूरिया का पतन,
(2) तुर्की में खिलाफत का अंत और ओटोमन साम्राज्य का विघटन,
(3) बोल्शेविक क्रांति,
(4) जर्मनी की पराजय,
(5) ब्रिटिश साम्राज्य का पतन और विघटन,
(6) बंगला देश का जन्म,
(7) सोवियत रूस का विघटन और साम्यवाद का पतन .....
...... आदि आदि अनेक ऐसी घटनाएं हुई हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं थीं| कल को कुछ भी हो सकता है| वर्त्तमान सभ्यता वैसे भी विनाश के कगार पर है| आसुरी भाव जैसे जैसे बढ़ रहे हैं विनाशकाल सनीप आता जा रहा है जो अवश्यम्भावी है| उसके बाद हिन्दू राष्ट्र का निर्माण निश्चित रूप से होगा|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
एक व्यक्ति का दृढ़ संकल्प भी विश्व के घटना क्रम और विचारों को बदल सकता है| अनेक व्यक्तियों का शिव संकल्प राष्ट्र की नियति बदल सकता है|
अपने संकल्प को ईश्वर के संकल्प से जोड़कर हम भारतवर्ष को परम वैभव के साथ अखंड हिन्दू राष्ट्र भी बना सकते हैं और रामराज्य की स्थापना भी कर सकते हैं|
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भारत की आत्मा आध्यात्मिक है| भारत का पुनरोत्थान एक प्रचंड आध्यात्मिक शक्ति से होगा| इसके लिए हम सब सब की सहभागिता अपेक्षित है| अब समय आ गया है| यह कार्य आरम्भ हो चुका है| हम सब इस संकल्प से जुड़ें और परम वैभव युक्त आध्यात्मिक अखंड भारत का ध्यान अपनी चेतना में सदैव करें| भारत पुनश्च अखंड होगा और धर्म की पुनर्स्थापना होगी| अज्ञान और असत्य का अन्धकार दूर होगा और भारत माँ अपने परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर विराजमान होगी|
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हमें सब सिद्धियाँ भी चाहिएँ, देवत्व भी चाहिए, दिव्यास्त्र भी चाहिएँ और समस्त शक्तियाँ भी चाहिएँ| अपने अहम् के लिए नहीं, राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए इन सब का होना अति आवश्यक है| न तो हमें मोक्ष की कामना है और न मुक्ति की| ईश्वर की आराधना भी हम सिर्फ धर्म और राष्ट्र के लिए करते हैं|
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जीवन में संकल्पों का बहुत महत्व है| हमारे द्धारा लिए गये संकल्प हमारी इच्छाशक्ति और जीवन सिद्धांतों के प्रति दृढता को प्रतिबिंबित करते हैं| संकल्प हमारे मन को बांधने का कार्य करते हैं| उसे दिशाहीनता से बचाते हैं| मन में आए दिन अनगिनत इच्छाएं पैदा होती हैं| अक्सर हर तरह विचार बिना दस्तक दिए ही भीतर चले आते हैं| ऐसे में ज्ञान और नियमों के सहारे सही मार्ग को चुनने की आवश्यकता होती है जो बिना संकल्प लिए नहीं किया जा सकता| संकल्प कुछ भी हो सकता है, कैसा भी हो सकता है, मौन रहने का संकल्प....... सुबह जल्दी उठ जाने का संकल्प....... किसी बुरी आदत या लत से मुक्ति पाने का संकल्प........ स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का संकल्प........ या फिर अपनी दिनचर्या व्यवस्थित रखने का संकल्प..........! संकल्प कोई भी हो उसे निभाने के लिए एक संघर्ष करना पङता है| खुद से लड़ना पड़ता है|
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मुझे तो कभी कभी यह भी महसूस होता है कि अपने आप से लड़ना सबसे मुश्किल है| शायद यही कारण है कि खुद से द्वंद्व करते समय हमारा मन किसी संकल्प के टूट जाने की स्थिति में कई सारे विकल्प हमारे सामने ले आता है| विशेष बात यह भी है कि इन परिस्थितियों में हमारा अंर्तमन हमें उलाहना भी नहीं देता| आज हमारा जीवन कुछ ऐसा बन गया है कि ही जैसे ही संकल्प लेने की सोचते हैं उससे जुड़े विकल्पों तक मन-मस्तिष्क पहले पहुंच जाता है|
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संकल्प एक विचार है, जब तक चित्त एकाग्र नहीं होता तब तक कोई संकल्प साकार नहीं होता| जिधर संकल्प जाता है उधर प्राण चेतना स्वत: सक्रिय हो जाती है| संकल्प के घर्षण से प्राण में एक प्रकार का विद्युतीय प्रवाह उत्पन्न होता है जो लक्ष्य बिंदु पर केन्द्रित होकर व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण करता है|
हमारा संकल्प हमारा शत्रु भी है और हमारा मित्र भी|
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विचारपूर्वक दृढ़ निश्चय से हमारा संकल्प हो --- अखंड भारत हिन्दू राष्ट्र|
लोग मेरी बात पर हंसते हैं की ऐसा नहीं हो सकता| पर मुझे पता है की एक दिन ऐसा निश्चित होगा| हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपू, रावण और कंस, व यवनों और अंग्रेजों का शासन भी रहा है जिसमे किसी ने कल्पना भी नहीं की थी इन से मुक्ति मिल भी सकती है क्या|
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विगत दो शताब्दियों में अनेक चमत्कार हुए हैं जिनकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी .......
(1) सन १९०५ में रूस की जापान द्वारा पराजय और मंचूरिया का पतन,
(2) तुर्की में खिलाफत का अंत और ओटोमन साम्राज्य का विघटन,
(3) बोल्शेविक क्रांति,
(4) जर्मनी की पराजय,
(5) ब्रिटिश साम्राज्य का पतन और विघटन,
(6) बंगला देश का जन्म,
(7) सोवियत रूस का विघटन और साम्यवाद का पतन .....
...... आदि आदि अनेक ऐसी घटनाएं हुई हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं थीं| कल को कुछ भी हो सकता है| वर्त्तमान सभ्यता वैसे भी विनाश के कगार पर है| आसुरी भाव जैसे जैसे बढ़ रहे हैं विनाशकाल सनीप आता जा रहा है जो अवश्यम्भावी है| उसके बाद हिन्दू राष्ट्र का निर्माण निश्चित रूप से होगा|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||