Sunday, 1 August 2021
हम अपनी अस्मिता की रक्षा कैसे करें? ---
भगवान एक प्रवाह हैं, जिन्हें स्वयं के माध्यम से प्रवाहित होने दें ---
भगवान हमारे जीवन में आ कर हमारे हृदय में स्थायी रूप से बिराजमान हो जायें, तो जीवन में सब सही होगा। किसी भी न्यायालय में जब तक न्यायाधीश आकर अपनी कुर्सी पर नहीं बैठता, तब तक सब कुछ अव्यवस्थित रहता है। ज्यों ही न्यायाधीश आकर अपनी कुर्सी पर बैठता है, सब कुछ व्यवस्थित हो जाता है।
स्वधर्म ---
स्वधर्म ---
पलटू सोइ सुहागनी, हीरा झलके माथ ---
पलटू सोइ सुहागनी, हीरा झलके माथ ---
"म्लेच्छ" कौन है? ---
संसार में असत्य का अन्धकार म्लेच्छों ने ही फैला रखा है। "म्लेच्छ" कौन है? ---
सबसे बड़ी सेवा ---
सबसे बड़ी सेवा जो हम अपने स्वयं, परिवार, समाज, देश और विश्व की कर सकते हैं, और सबसे बड़ा उपहार जो हम किसी को दे सकते हैं, वह है -- आत्मसाक्षात्कार, यानि परमात्मा की प्राप्ति। निरंतर परमात्मा की चेतना में स्थिर रहें, यह बोध रखें कि हमारी आभा और स्पंदन पूरी सृष्टि और सभी प्राणियों की सामूहिक चेतना में व्याप्त हैं, और सब का कल्याण कर रहे हैं। परमात्मा की सर्वव्यापकता हमारी सर्वव्यापकता है, सभी प्राणियों और सृष्टि के साथ हम एक हैं। हमारा प्रेम पूरी समष्टि का कल्याण कर रहा है। हम और परमात्मा एक हैं।
आप ही जानने योग्य (वेदितव्यम्) परम अक्षर हैं ---
आप ही जानने योग्य (वेदितव्यम्) परम अक्षर हैं ---