सृष्टिकर्ता परमात्मा कहीं दूर नहीं है .......
ये पंक्तियाँ मैं मेरे निज अनुभव से लिख रहा हूँ | संसार को मैंने खूब अच्छी तरह देखा है | बाहरी जीवन में विषमताएँ, और अन्याय ही दिखाई देता है, जिसका कोई समाधान समझ में ही नहीं आता | यह सृष्टि हमारी नहीं, परमात्मा की है | परमात्मा अन्यायी और क्रूर नहीं हो सकता | सृष्टि अपने नियमों के अनुसार चल रही है, उन नियमों को न समझना या न जानना हमारी कमी है | वास्तव में परमात्मा की सृष्टि में कुछ भी गलत नहीं है, सब अन्धकार और प्रकाश का खेल है | इस खेल में अपना भाग ठीक से निभाएँ |
ये पंक्तियाँ मैं मेरे निज अनुभव से लिख रहा हूँ | संसार को मैंने खूब अच्छी तरह देखा है | बाहरी जीवन में विषमताएँ, और अन्याय ही दिखाई देता है, जिसका कोई समाधान समझ में ही नहीं आता | यह सृष्टि हमारी नहीं, परमात्मा की है | परमात्मा अन्यायी और क्रूर नहीं हो सकता | सृष्टि अपने नियमों के अनुसार चल रही है, उन नियमों को न समझना या न जानना हमारी कमी है | वास्तव में परमात्मा की सृष्टि में कुछ भी गलत नहीं है, सब अन्धकार और प्रकाश का खेल है | इस खेल में अपना भाग ठीक से निभाएँ |
हर घटना के पीछे कुछ न कुछ कारण अवश्य है | जहाँ बुद्धि कार्य नहीं करती
वहाँ शास्त्र प्रमाण हैं | उपनिषदों में, गीता में और रामचरितमानस जैसे
ग्रंथों में सब कुछ बहुत अच्छी तरह से समझाया गया है| ये ग्रन्थ भी समझ में
नहीं आते तो पूर्ण श्रद्धा से भगवान से प्रार्थना करें, जिसका उत्तर अवश्य
मिलता है |
भगवान ने विवेक दिया है उसका उपयोग करें | जीवन में जो भी सर्वश्रेष्ठ हम कर सकते हैं वह करना चाहिए और उसे परमात्मा को समर्पित कर दें | जब माया का आवरण हटेगा तो सृष्टिकर्ता परमात्मा को हम अपने साथ ही पायेंगे | वह कहीं दूर नहीं है |
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!
भगवान ने विवेक दिया है उसका उपयोग करें | जीवन में जो भी सर्वश्रेष्ठ हम कर सकते हैं वह करना चाहिए और उसे परमात्मा को समर्पित कर दें | जब माया का आवरण हटेगा तो सृष्टिकर्ता परमात्मा को हम अपने साथ ही पायेंगे | वह कहीं दूर नहीं है |
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ !!