Friday 18 May 2018

मैं तो फूल हूँ .. मुरझा गया तो मलाल कैसा ? .....

मैं तो फूल हूँ .. मुरझा गया तो मलाल कैसा ?
तुम तो महक हो...तुम्हें अभी हवाओं में समाना है.....
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रमज़ान या रमदान (رمضان) इस्लामी कैलेण्डर का नवाँ महीना है जो मुस्लिम समुदाय के लिए परम पवित्र है| चीन को छोड़कर दुनियाँ के सभी देशों में यह धूमधाम से मनाया जाता है| चीन में रोजे रखने और रमजान मनाने पर बड़ी सख्ती के साथ पूर्ण प्रतिबन्ध हैं|
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मेरे ह्रदय में सब के प्रति खूब प्रेम और सद्भावना है, किसी भी तरह का कोई द्वेष किसी के लिए भी नहीं है| भगवान सब का कल्याण करे| सब का ह्रदय प्रेम, करुणा, शांति, भाईचारा, सब के भले और सब के प्रति सम्मान के भाव से कूट कूट कर भर दे| सब के प्रति सब के ह्रदय में सच्चा प्रेम हो और किसी के प्रति भी किसी में कोई द्वेष न हो| सारे अच्छे से अच्छे मानवीय गुण सब में आ जाएँ| सब अच्छे से अच्छे इंसान बनें और किसी में कोई भी बुराई का अवशेष ना रहे|
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कुछ दिनों में खूब इफ्तार की दावतें होंगी| जो हिन्दू राजनेता और व्यापारी लोग इफ्तार पार्टी देते हैं यह उनका एक पाखण्ड है| क्या उनमें इतना साहस है कि वे उस दिन ईमानदारी से पूरे दिन रोजा रखकर और सार्वजनिक नमाज़ पढ़कर ही इफ्तार में शामिल हों| इन इफ्तार पार्टी करने वाले हिन्दू राजनेताओं व्यापारियों को नवरात्रों में कन्याओं को भोजन भी कराना चाहिए, श्रावण के महीने में शिव जी पर जल भी चढ़ाना चाहिए और कभी कभी हिन्दू त्योहारों पर सार्वजनिक पूजा, गीताज्ञानयज्ञ और भंडारे भी करने चाहिएँ|
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सब सुखी हों, सब निरोगी हों, किसी को कोई दुःख या पीड़ा ना हो, सब के ह्रदय में सद्भावना हो| भगवान सब का भला करे|
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यह लेख प्रस्तुत करने का मेरा एकमात्र उद्देश्य यह बताना है कि किसी को किसी के प्रति भी द्वेष नहीं रखना चाहिए| राग और द्वेष ये दो ही पुनर्जन्म यानि इस संसार में बारम्बार आने के कारण हैं| जिससे भी हम द्वेष रखते हैं, अगले जन्म में उसी के घर जन्म लेना पड़ता है| जिस भी परिस्थिति और वातावरण से भी हमें द्वेष हैं वह वातावरण और परिस्थिति हमें दुबारा मिलती है|
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बुराई का प्रतिकार करो, युद्धभूमि में शत्रु का भी संहार करो पर ह्रदय में घृणा बिलकुल भी ना हो|
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परमात्मा को कर्ता बनाकर सब कार्य करो| कर्तव्य निभाते हुए भी अकर्ता बने रहो| सारे कार्य परमात्मा को समर्पित कर दो, फल की अपेक्षा या कामना मत करो|
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मुझे पतझड़ों की कहानियाँ, न सुना सुना के उदास कर.
तू खिज़ाँ का फूल है, मुस्कुरा, जो गुज़र गया सो गुज़र गया.

तुझे एतबार-ओ-यकीं नहीं, नहीं दुनिया इतनी बुरी नहीं.
ना मलाल कर, मेरे साथ आ, जो गुज़र गया सो गुज़र गया.
वो नही मिला तो मलाल क्या, जो गुज़र गया सो गुज़र गया.
उसे याद करके ना दिल दुखा, जो गुज़र गया सो गुज़र गया.
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ॐ तत्सत् ! ॐ शांति शांति शांति ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ जुलाई २०१८