यह लेख उनके लिए है जो परमात्मा की उपासना मातृरूप में करते हैं| स्वनामधन्य भगवान आचार्य शंकर (आदि शंकराचार्य) साक्षात शिव थे पर भगवती के उपासक थे| उनके ग्रंथ "सौंदर्य लहरी" के स्वाध्याय से लगता है वे श्रीविद्या के उपासक थे, यद्यपि सभी विद्यायें उन्हें सिद्ध थीं| इस ग्रंथ में एकसौ श्लोक हैं| उनका उपरोक्त ग्रंथ भगवती के उपासकों के लिए अति महत्वपूर्ण है| इस ग्रंथ के २७ वें श्लोक में वे माँ भगवती से निवेदन करते हैं .....
Thursday, 11 September 2025
यह लेख उनके लिए है जो परमात्मा की उपासना मातृरूप में करते हैं ---
कुछ दिन पूर्व जयपुर के डा.योगेश चन्द्र मिश्र के देहावसान से एक विलक्षण व्यक्तित्व का अभाव हो गया| ----
कुछ दिन पूर्व जयपुर के डा.योगेश चन्द्र मिश्र के देहावसान से एक विलक्षण व्यक्तित्व का अभाव हो गया| वर्षों पूर्व जब मेरा उनसे परिचय हुआ था तब वे जयपुर में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज में नेत्र चिकित्सा विभाग के प्रमुख थे| मेरे बड़े भाई साहब भी नेत्र शल्य चिकित्सक हैं, और दोनों में अच्छी आत्मीयता थी, इसी कारण मेरा परिचय उनसे हुआ था| मेडिकल कॉलेज में आने से पूर्व डा.मिश्र स्थल सेना में डॉक्टर थे|
भगवान की माया के दो अस्त्र हैं; एक है "आवरण" और दूसरा है "विक्षेप ---
भगवान की माया के दो अस्त्र हैं; एक है "आवरण" और दूसरा है "विक्षेप"। माया का आकर्षण बड़ा प्रबल है। माया से मुक्ति मायापति की परमकृपा ही दिला सकती है। इस समय उनकी माया का प्रकोप प्रबलतम है। भगवान वासुदेव मेरी रक्षा करें।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री (पंडित?) जवाहर लाल नेहरू के एक सगा बड़ा भाई भी था जिसका नाम मंजूर अली था ---
https://www.youtube.com/watch?v=ooxKk_HcuvQ
ब्रह्म-चिंतन करते-करते, हम स्वयं भी ब्रह्म ही हो जाते हैं ---
जिस प्रकार जल की एक बूंद, जल में मिलने पर, जल ही हो जाती है; उसी प्रकार ब्रह्म-चिंतन करते-करते, हम स्वयं भी ब्रह्म ही हो जाते हैं। वीतराग होकर आत्मा में रमण ही वास्तविक पुरुषार्थ है। हम सदा ब्रह्मभाव में स्थित रहें। हम बूँद नहीं, महासागर हैं। कण नहीं, प्रवाह हैं। अंश नहीं, पूर्णता हैं। परमशिव के साथ एक है। परमशिव ही यह "मैं" बन गए हैं। वास्तव में हमारी आयु एक ही है और वह है --- 'अनंतता'। परमात्मा की सर्वव्यापकता हमारा अस्तित्व है, और उसका दिव्य प्रेम ही हमारा आनन्द।
२ सितम्बर १९४५ को अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत USS Missoury पर जापान के औपचारिक आत्म-समर्पण के साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुआ था।
अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए पूरे हिन्दू समाज को अपनी सोच में, और अपने बच्चों के विवाह की आयु में परिवर्तन करना ही पड़ेगा।
अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए पूरे हिन्दू समाज को अपनी सोच में, और अपने बच्चों के विवाह की आयु में परिवर्तन करना ही पड़ेगा। बाकी सब अपने आप ही होगा।
सम्पूर्ण भारत से असत्य का अंधकार दूर हो ---
इस समय भारत को Ex-India बनाने यानि तोड़कर अनेक अधर्मी देश बनाने का अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र चल रहा है, जिसे कभी सफल नहीं होने देंगे। कुछ असत्य और अंधकार की शक्तियाँ भारत से सनातन धर्म और संस्कृति को समूल नष्ट करना चाहती हैं। सबसे पहिले वे ब्राह्मणों के विरुद्ध अधिकतम दुष्प्रचार कर ब्राह्मणों की संस्था को नष्ट कर सत्य सनातन धर्म को ही मिटाना चाहती हैं। वे असुर कभी सफल नहीं होंगे।
भारत की अस्मिता को सबसे बड़ा खतरा किससे है? --
भारत की अस्मिता को सबसे बड़ा खतरा किससे है? --
भारत सरकार के ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट का मैं पूरी तरह समर्थन करता हूँ ---
भारत सरकार के ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट का मैं पूरी तरह समर्थन करता हूँ। भारत की सुरक्षा के लिए यह बहुत आवश्यक है। मुझे इस विषय की जानकारी है इसीलिये मैं यह पोस्ट लिख रहा हूँ। इसका कुछ भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।
आत्म-ज्ञान के बिना जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने का कोई अन्य मार्ग संभव नहीं है।
आत्म-ज्ञान के बिना जीवन का लक्ष्य प्राप्त करने का कोई अन्य मार्ग संभव नहीं है। आत्म-ज्ञान ही एकमात्र मार्ग है जो हमें परमात्मा से संयुक्त कर सकता है ---
सनातन धर्म बहुत समृद्ध है। उसे किसी रिलीजन या मज़हब के सहारे, या किसी विदेशी देवता की आवश्यकता नहीं है।
सनातन धर्म बहुत समृद्ध है। उसे किसी रिलीजन या मज़हब के सहारे, या किसी विदेशी देवता की आवश्यकता नहीं है। हमारी सबसे बड़ी समस्या है कि हम --