(Re-Posted) २ सितम्बर १९४५ को अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत USS Missoury पर जापान के औपचारिक आत्म-समर्पण के साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुआ था। ६ और ९ अगस्त १९४५ को अमेरिका ने जापान के हीरोशीमा व नागासाकी नगरों पर अणु बम गिराये थे जो जापान की पराजय के कारण बने। इससे पूर्व ८ मई १९४५ को यूरोप में नाजी जर्मनी को रूसी सेना ने परास्त कर आत्म-समर्पण करने को बाध्य कर दिया था। इस युद्ध का आरम्भ १ सितम्बर १९३९ को जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण के साथ हुआ था। यह युद्ध ६ वर्षों तक चला और इसमें ७ करोड़ से अधिक लोग मारे गये थे। लगभग ६१ देशों की सेनाएँ इस युद्ध में शामिल हुईं थीं।
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भारत के लाखों सिपाही इस युद्ध में मारे गये। अग्रेजों ने भारतीय सिपाहियों का उपयोग युद्ध में चारे के रूप में किया। आग में ईंधन की तरह मरने के लिए लाखों भारतीयों को झोंक दिया गया था। बर्मा के क्षेत्र में तो लगभग १५ लाख भारतीय सैनिकों को भूख से मरने के लिए छोड़ दिया गया। उनका राशन यूरोप भेज दिया गया। प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध में सबसे अधिक भारतीय सैनिक ही वीर गति को प्राप्त हुये। इस युद्ध में सबसे अधिक संख्या में भारतीय सैनिकों ने ही भाग लिया था। दोनों विश्व युद्धों में लगाया गया अंग्रेजों का सारा धन अंग्रेजों द्वारा भारत से ही लूटा हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों ने भारत का सारा अनाज यूरोप भेज दिया था, जिसके कारण भारत में तीन करोड़ से अधिक लोग भूख से मर गये। द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत उत्पन्न हुई परिस्थितियों के कारण ही पूरे विश्व से अंग्रेजों का राज समाप्त हुआ। भारत में हम द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ती का उत्सव नहीं मनाते। इसे रूसी परंपरा ही कहते हैं।
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भारत तो अंग्रेजों के आधीन था, अतः भारतीय सिपाहियों का लड़ना उनकी विवशता थी। प्रथम विश्व युद्ध में केवल जयपुर (राजस्थान) राज्य के (जिसमें शेखावाटी भी सम्मिलित था) सात हजार से अधिक सैनिक वीर गति को प्राप्त हुये, व द्वितीय विश्वयुद्ध में उनकी संख्या चालीस हजार से अधिक थी।
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इस युद्ध में अंग्रेजों की कमर टूट गयी थी जिसके परिणाम स्वरुप भारत को स्वतन्त्रता मिली। भारतीय सैनिकों ने अङ्ग्रेज़ी अधिकारियों के आदेश मानने व उन्हें सैल्यूट मारने से मना कर दिया था। तभी अङ्ग्रेज़ी सरकार ने भारत का अधिकतम विनाश करके भारत छोडने का निर्णय लिया। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना भी इस युद्ध के बाद ही हुई थी।
दोनों विश्वयुद्धों में आहूत हुए सभी भारतीय सैनिकों को विनम्र श्रद्धांजलि व नमन !!
कृपा शंकर
२ सितंबर २०१८
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