मनुष्य का जन्म शुभ और अशुभ विभिन्न प्रकार की योनियों में क्यो होता है? ....
Tuesday, 10 December 2024
मनुष्य का जन्म शुभ और अशुभ विभिन्न प्रकार की योनियों में क्यो होता है? ....
"कुंडलिनी महाशक्ति" का "परमशिव" से मिलन ही "योग" है ---
"कुंडलिनी महाशक्ति" का "परमशिव" से मिलन ही "योग" है ---
हमें अपने से मिलाने की ज़िम्मेदारी भगवान की है, हमारी नहीं ---
हमें अपने से मिलाने की ज़िम्मेदारी भगवान की है, हमारी नहीं| हमारा काम तो उन्हें अपने हृदय में, और स्वयं को उन के हृदय में बैठाये रखना है| जो भी साधना या जो कुछ भी करना है, वे ही करेंगे| जैसे माता-पिता अपनी संतान के बिना नहीं रह सकते, वैसे ही भगवान भी हमारे बिना नहीं रह सकते|
परमात्मा के प्रेम से ही हमें संतुष्टि और तृप्ति मिलेगी ---
परमात्मा के प्रेम से ही हमें संतुष्टि और तृप्ति मिलेगी ---
मन पर नियंत्रण और गीता का कर्मयोग ---
मन पर नियंत्रण और गीता का कर्मयोग ---
जब हम साँस लेते हैं तब वास्तव में स्वयं सृष्टिकर्ता परमात्मा ही अपनी सम्पूर्ण सृष्टि के साथ ये साँसें हमारे माध्यम से लेते हैं ---
जब हम साँस लेते हैं तब वास्तव में स्वयं सृष्टिकर्ता परमात्मा ही अपनी सम्पूर्ण सृष्टि के साथ ये साँसें हमारे माध्यम से लेते हैं। उनसे पृथकता का बोध एक भ्रम है। हम यह मनुष्य देह नहीं, उन की अनंत ज्योतिर्मय सर्वव्यापकता हैं।
खेचरी और शांभवी मुद्रा में ध्यान साधना का महत्व :---
खेचरी और शांभवी मुद्रा में ध्यान साधना का महत्व :---
परमात्मा कोई भय या डरने का विषय नहीं है ---
१० दिसंबर २०१८
जीवन में सुख, शांति और समृद्धि से भी अधिक महत्वपूर्ण है परमात्मा से परम प्रेम ---
जीवन में सुख, शांति और समृद्धि से भी अधिक महत्वपूर्ण है परमात्मा से परम प्रेम और स्वयं में परमात्मा की अभिव्यक्ति| इसके लिए स्वयं को निरंतर अभ्यास करना होता है| जब कोई कुआँ खोदता है तब प्रचुर जल प्राप्त होने तक जल के सिवा प्राप्त अन्य सब कुछ दूर हटा देता है| सोने की खदान में टनों मिटटी हटाने पर कुछ ग्राम सोना प्राप्त होता है| धैर्य खो देने पर कुछ भी नहीं मिलता| उसी लगन से परमात्मा की खोज हमें करनी होती है| वह तभी होगी जब हमें उस से प्रेम होगा| उस प्रेम को निरंतर समर्पित करते रहो| ॐ ॐ ॐ ||
ये प्रश्न उन लोगों से है जिन्होंने देश पर छः दशकों से अधिक तक राज्य किया है .......
ये प्रश्न उन लोगों से है जिन्होंने देश पर छः दशकों से अधिक तक राज्य किया है .......
भारतवर्ष और सनातन/हिन्दू धर्म रक्षार्थ अब धर्माचरण और धर्मजागरण अति आवश्यक है ----
भारतवर्ष और सनातन/हिन्दू धर्म रक्षार्थ
"हिन्दू स्वयंसेवक संघ" के प्रमुख माननीय श्री रविकुमार जी से भेंट ---
आज वयोवृद्ध माननीय श्री रवि कुमार जी से बहुत अच्छा सत्संग हुआ| आप हिन्दुत्व के एक अंतर्राष्ट्रीय चिंतक, प्रखर तपस्वी विद्वान और लेखक हैं| मूल रूप से आप तमिलनाडु से हैं पर आपका हिन्दी का ज्ञान अनुपम है| भारत से बाहर के 40 देशों में जा कर वहाँ रहने वाले हिंदुओं को संगठित करने हेतु पूरे विश्व में 1500 के लगभग इकाइयाँ खोलने में आपका बहुत बड़ा योगदान है| आप रा.स्व.संघ के पूर्णकालिक प्रचारक हैं जिन का कार्य विदेशों में "हिन्दू स्वयंसेवक संघ" के नाम से प्रवासी भारतीय हिंदुओं को संगठित करना था| वर्तमान में आप संघ के प्रखर विचारकों में से एक हैं जिनका कार्य देश के प्रबुद्ध लोगों से मिलकर उन्हें संगठित करना है| .
हमारा अन्नदाता कौन है?
कृषि एक व्यवसाय है जो कृषक का धर्म है, कोई समाजसेवा नहीं| कृषक खेती कर के अन्न का उत्पादन करता है, अपने स्वयं का और अपने परिवार का पेट भरने के लिए| अतिरिक्त अन्न को बेचकर वह अपनी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करता है|
जिनके मन में नन्दलाल बसे, तिन और को नाम लियो न लियो ---
"जिनके मन में नन्दलाल बसे, तिन और को नाम लियो न लियो।