हमें अपने से मिलाने की ज़िम्मेदारी भगवान की है, हमारी नहीं| हमारा काम तो उन्हें अपने हृदय में, और स्वयं को उन के हृदय में बैठाये रखना है| जो भी साधना या जो कुछ भी करना है, वे ही करेंगे| जैसे माता-पिता अपनी संतान के बिना नहीं रह सकते, वैसे ही भगवान भी हमारे बिना नहीं रह सकते|
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जो समय बीत गया सो बीत गया, वह तो बापस आ नहीं सकता| उसे भूल जाओ| जब जागो तभी सबेरा| अब और समय मत नष्ट करो| भगवान श्रीकृष्ण इसी समय यहीं पर बिराजमान हैं| पूर्ण भक्ति के साथ अपना सारा अन्तःकरण (मन बुद्धि चित्त अहंकार) उन्हें समर्पित कर दो| हमारे लिए सारी साधना वे स्वयं कर रहे हैं| अपना सब कुछ उन्हें सौंप दो| न कोई राग, न द्वेष, और न अहंकार| हमें कुछ भी नहीं करना है| जो कुछ भी करना है, वे ही करेंगे| बस जाकर उन के हृदय में बैठ जाओ, और भूल से भी बाहर मत निकालो| अब वे ही वे हैं, और कोई नहीं| उनकी बांसुरी की मनमोहक ध्वनि को सुनते रहो, और उन्हें निहारते रहो|
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!
११ दिसंबर २०२०
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