ये प्रश्न उन लोगों से है जिन्होंने देश पर छः दशकों से अधिक तक राज्य किया है .......
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(१) जब हम "राम जन्मभूमि" की बात करते थे तो कहा जाता था कि मामला न्यायालय में है| पर अब नेशनल हेराल्ड का मामला क्या न्यायालय में नहीं है जो संसद को नहीं चलने दिया जा रहा है ? यह मुकदमा न्यायालय में तब से चल रहा है जब भाजपा सत्ता में नहीं थी, और माननीय श्री सुब्रमनियम स्वामी भी भाजपा में नहीं थे|
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(२) आज संसद में नारे लगे .... मोदी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी ..... | भारत के समझदार लोगों से निवेदन हैं कि वे स्वविवेक से निर्णय करें की तानाशाह कौन कौन थे ?
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(३) जो लोग तानाशाह थे उन्होंने जी हजूरी न करने पर अपने ही सम्माननीय लोगों के साथ क्या व्यवहार किया?
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देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद के साथ, और दो बार कार्यकारी प्रधानमन्त्री और बहुत लम्बे समय तक केन्द्रीय मंत्री रहे श्री गुलझारीलाल नंदा के साथ, और अन्य कई सम्माननीय लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया गया ?
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जब 12 वर्षों तक देश के रा्ष्ट्रपति रहने के पश्चात राजेन्द्र बाबू राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के पश्चात् पटना जाकर रहने लगे तो उनके लिए वहाँ पर एक सरकारी आवास तक की व्यवस्था नहीं की.गयी| उनके पास अपना कोई निजी मकान नहीं था| उनके स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखा गया| दिल्ली से पटना पहुंचने पर वे बिहार विद्यापीठ, सदाकत आश्रम के एक सीलनभरे कमरे में रहने लगे थे| उनकी तबीयत पहले से खराब रहती थी जो पटना जाकर ज्यादा खराब रहने लगी| वे दमा के रोगी थे| सीलनभरे कमरे में रहने के बाद उनका दमा ज्यादा बढ़ गया| उनके उपचार की कोई व्यवस्था नहीं की गयी|
जब उनका देहांत हो गया तब देश के तत्कालीन प्रधानमन्त्री ने उनकी अंत्येष्टि में जाना भी उचित नहीं समझा| डा,संपूर्णानंद ने लिखा था कि उन्हें देश के प्रधानमन्त्री ने डा.राजेंद्र प्रसाद के अंतिम दर्शनों के लिए नहीं जाने दिया| दिल्ली से अन्य नेताओं को भी नहीं जाने दिया गया|
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केंद्र में गृहमंत्री और दो बार कार्यकारी प्रधान मंत्री रह चुके श्री गुलझारी लाल नंदा पद मुक्त होने के पश्चात एक किराये के मकान में रहे जिसका किराया चुकाने के रुपये भी उनके पास नहीं थे| मकान मालिक ने सामान फुटपाथ पर फेंक दिया पर सरकार ने उनकी कोई सुध नहीं ली| अपना इलाज़ कराने के रूपये भी उनके पास नहीं थे|
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देश के प्रधानमंत्री रहे श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु का रहस्य भी अभी नहीं खुला है|
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विचारों से सहमती नहीं होने के कारण अपने ही लोगों के साथ कांग्रेस के नेताओं ने बहुत दुर्व्यवहार किया|
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जब माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस समय कोई भी ऐसा आरोप नहीं है जो उन पर नहीं लगाया गया था, कोई भी ऐसी निंदा नहीं है जो उनकी नहीं की गयी थी, और कोई भी ऐसी जाँच नहीं है जो उनके विरुद्ध नहीं बैठाई गयी थी| उनकी जितनी बुराई की गयी थी उतनी तो स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी की भी नहीं की गयी थी| फिर भी वे विचलित नहीं हुए और हर परिस्थिति का डटकर सामना किया| उन्होंने पलट कर किसी से कुछ नहीं कहा और देवाधिदेव महादेव की तरह चुपचाप विषपान किया| यह उनकी महानता का लक्षण है|
दूसरी ओर न्यायालय के एक सम्मन मात्र से पूर्व राजमाता मैडम एंटोनिया माईनो उर्फ़ सोनिया गांधी विचलित हो गयी हैं| वे ही नहीं उनके राजकुमार और सारे चेले चेलियाँ धुआँ फेंकने लगे हैं| सम्मन तो कोर्ट से मिला है और उत्तर संसद में दे रहे हैं| पूरी कांग्रेस पार्टी ही पागलों की तरह उन्मादग्रस्त हो गयी है|
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भगवन देशवासियों को सद्बुद्ध दे| ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
१० दिसंबर २०१५
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