भारतवर्ष और सनातन/हिन्दू धर्म रक्षार्थ
अब धर्माचरण और धर्मजागरण अति आवश्यक है ----
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परम दानव आसुरी शक्तियों द्वारा सनातन हिन्दू धर्म और संस्कृति पर योजनाबद्ध रूप से वर्तमान में जितने मर्मान्तक प्रहार हो रहे हैं उससे हमारे भावी अस्तित्व पर एक प्रश्नचिह्न लगता दिखाई दे रहा है| हिन्दुओं को अपने धर्म का ज्ञान भी बढ़ाना होगा और कट्टर (जो कट कर भी ना टरे) बन कर उस पर आचरण भी करना पडेगा| साथ साथ दैवीय शक्तियों का जागरण भी करना होगा|
हमें अपनी संख्या भी बढ़ानी होगी क्योंकि हिन्दुओं के अल्पसंख्यक होने पर अब पाकिस्तान नहीं बल्कि खुरासान नाम से इराक बनेगा| फिर भारत में यज़ीदियों के स्थान पर हिन्दू होंगे और वो ही घटनाक्रम दोहराया जाएगा जो वर्तमान में इराक में हो रहा है और विगत में भारत में होता रहा है|
खुल कर डंके की चोट हिन्दू संगठनों को 'घर वापसी' का कार्यक्रम करना चाहिए| कोई अपराध बोध नही होना चाहिए| अन्यथा न संविधान होगा न पार्लियामेंट , तब सिर्फ एक ऐसा कानून होगा जिसमे संशोधन का सवाल ही नही और हिन्दुओं के लिए के लिए उसमे मृत्यु के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नही होगा|
कुछ बिछुड़े हुए भाइयों की घर वापसी पर रुदन प्रलाप करने वाले उस समय कहाँ मर जाते हैं जब ईसाई मिशनरियां आदिवासी क्षेत्रों में हिन्दुओं के धर्म परिवर्तन करती हैं| अब हिन्दू चुप नहीं बैठेगा| यह परिवर्तन नहीं परावर्तन है| पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू कहाँ लुप्त हो गए? उन्हें आसमान खा गया या धरती निगल गयी?
निकट भविष्य में देवासुर संग्राम निश्चित है ..सही समय की प्रतीक्षा है|
वैसे भी अत्यधिक लोभ के कारण विनाश मंडरा रहा है| जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न वैश्विक उष्णता से ध्रुवों की बर्फ पिघल कर पृथ्वी को अस्थिर कर रही है| अकाल और प्रलय का खतरा मंडरा रहा है| तीसरा विश्व युद्ध भी अवश्यम्भावी है|
पर एक बात निश्चित है कि सनातन धर्म ही भारत का भविष्य है, भारत का भविष्य ही इस पृथ्वी का भविष्य है, और इस पृथ्वी का भविष्य ही इस सृष्टि का भविष्य है| यदि सनातन हिन्दू धर्म ही नष्ट हो गया तो यह सृष्टि भी नष्ट हो जायेगी| फिर नई सृष्टि ही बसेगी|
धर्म का आचरण ही धर्म की रक्षा है| भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि थोड़ी-बहुत अल्प मात्रा में भी धर्म का आचरण महा भय से हमारी रक्षा करता है| हमारे सब कष्टों का कारण धर्म का आचरण नहीं करना ही है| हम धर्म का आचरण करेंगे तभी भगवान हमारी रक्षा करेंगे, अन्यथा विनाश के लिए तैयार रहें|
ॐ नमः शिवाय| जय श्रीराम| ॐ ॐ ॐ ||
१० दिसंबर २०१४
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