कृषि एक व्यवसाय है जो कृषक का धर्म है, कोई समाजसेवा नहीं| कृषक खेती कर के अन्न का उत्पादन करता है, अपने स्वयं का और अपने परिवार का पेट भरने के लिए| अतिरिक्त अन्न को बेचकर वह अपनी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करता है|
जिस काम के बदले में हमें धन मिलता है, वह व्यापार है, समाजसेवा नहीं| यह किसान-अन्नदाता, किसान-अन्नदाता का ढकोसला अब समाप्त होना चाहिए| किसान -- भगवान है क्या? अगर किसान पेट भरता है तो पिछले आठ-नौ महीनों से कोविड-१९ महामारी के काल में सरकार गरीबों को मुफ्त में राशन क्यों बाँट रही है? अन्नदाता यदि किसान है तो वह स्वयं अन्न क्यों नहीं बाँट रहा?
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यदि किसान भगवान है तो जुलाहे, बुनकर और दर्जी भी भगवान हैं| ये अपना धर्म नहीं निभाते तो हम क्या नंगे घूमते? जिसने बर्तन बनाए वह भी भगवान है, अन्यथा हम खाना किस में बनाते और खाते? जिसने बिजली बनाई, सड़कें बनाईं, और अन्य सब कुछ बनाया, वे सब भी फिर भगवान ही हैं| जिसने दवाइयाँ बनाईं, कागज, कलम आदि बनाए, वे भी भगवान हैं| मेडिकल, शिक्षा, सफाई आदि से जुड़े सभी व्यवसायों के लोग भी भगवान ही हैं, सिर्फ किसान ही क्यों? सृष्टि में हर कार्य का अपना-अपना महत्व है| जब धरती पर खेती-बाडी़ नहीं होती थी तब भी लोग जीवित थे|
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सृष्टि का पेट भगवान भरता है जिसने यह सृष्टि बनाई है| मेरे लिए तो मेरी अन्नदाता, माँ भगवती अन्नपूर्णा है| वे ही इस सृष्टि का पालन-पोषण कर रही हैं| जगन्माता के सब रूप उन्हीं के हैं| मैं तो उन्हीं का भिक्षान्न खाता हूँ|
"भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताऽन्नपूर्णेश्वरी||"
सार की बात :--- हम सभी का अन्नदाता स्वयं परमात्मा है, जिस ने इस सृष्टि की रचना की है और सभी प्राणियों का पालन-पोषण कर रहा है|
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पुनश्च: --- तैत्तिरीयोपनिषद् में अन्न को ब्रह्म बताया गया है ---
"सः अन्नं ब्रह्म इति व्यजानात् हि |"
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१० दिसंबर २०२०
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पुनश्च: ---
1― बीज खरीदने के लिए सब्सिडी।
2― कृषि उपकरण खरीदने के लिए सब्सिडी।
3― यूरिया (खाद) खरीदने के लिए सब्सिडी।
5― पशुधन खरीदने पर सब्सिडी।
6― खेती पर लगने वाले अन्य खर्च के लिए सब्सिडी युक्त कर्ज।
7― किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज।
8― जैविक खेती करने पर सब्सिडी।
9― खेत में डिग्गी बनाने हेतू सब्सिडी।
10― फसल प्रदर्शन हेतू सब्सिडी।
11― फसल का बीमा।
12― सिंचाई पाईप लाईन हेतू सब्सिडी।
13― स्वचालित कृषि पद्धति अपनाने वाले किसानों को सब्सिडी।
14― जैव उर्वरक खरीदने पर सब्सिडी।
15― नई तरह की खेती करने वालो को फ्री प्रशिक्षण।
16― कृषि विषय पर पढ़ने वाले बच्चों को अनुदान।
17― सोलर एनर्जी के लिए सब्सिडी।
18― बागवानी के लिए सब्सिडी।
19― पंप चलाने हेतु डीजल में सब्सिडी।
20― खेतो में बिजली उपयोग पर सब्सिडी।
इसके अलावा
21― सूखा आए तो मुआवजा।
22― बाढ़ आए तो मुआवजा।
23― टिड्डी-कीट जैसे आपदा पर मुआवजा।
24― सरकार बदलते ही सभी तरह के कर्ज माफी।
25― सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर व सशक्त बनाने के लिए अनेकों और तरह की योजनाएं बनाई है, जिसमें डेयरी उत्पाद मत्स्य पालन बागवानी फल व सब्जी पर भी अनेकों प्रकार की सब्सिडी दे रही है।
और इसके अलावा
26― इन्हीं से 20 रुपए किलो गेहूं खरीद कर 2 रुपए किलो में इन्हें दिया जा रहा है।
27― पक्के मकान बनाने के लिए 3 लाख रुपए तक सब्सिडी दी जा रही है।
28― शौचालय निर्माण फ्री में किया जा रहा है।
29― घर पर गंदा पानी की निकासी के लिए होद फ्री में बनवाई जा रही है।
30― साफ पीने का पानी फ्री में दिया जा रहा है।
31― बच्चों को पढ़ने खेलने व अन्य तरह के प्रशिक्षण फ्री में करवाए जा रहे हैं।
32― साल के 6000 रुपए खाते में फ्री में आ रहे हैं।
33― तरह-तरह की पेंशन वगैरा आ रही है।
34― मनरेगा में बिना कार्य किए रुपए दिए जा रहे हैं।
अगर उसके बावजूद भी इस देश के किसानों को सरकार से अपना हक नहीं मिल रहा तो शायद कभी नहीं मिलेगा।
एक निगाह उन मजदूरों, छोटे रेहड़ी वालों, छोटे व्यवसायियों दुकानदार, वकीलों, डॉक्टर, ड्राइवर, सुरक्षा बल, pvt नौकरी वाले, पढ़े-लिखे बेरोजगारों, कचरा बीन कर पेट पालने वालों पर डालो।
रोज नई नई समस्या से जूझते हैं, रोज रोज मरते हैं परन्तु कभी भीड इकट्ठा कर क़ानून को बंधक नही बनाया ।
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