Tuesday, 10 December 2024

जब हम साँस लेते हैं तब वास्तव में स्वयं सृष्टिकर्ता परमात्मा ही अपनी सम्पूर्ण सृष्टि के साथ ये साँसें हमारे माध्यम से लेते हैं ---

 जब हम साँस लेते हैं तब वास्तव में स्वयं सृष्टिकर्ता परमात्मा ही अपनी सम्पूर्ण सृष्टि के साथ ये साँसें हमारे माध्यम से लेते हैं। उनसे पृथकता का बोध एक भ्रम है। हम यह मनुष्य देह नहीं, उन की अनंत ज्योतिर्मय सर्वव्यापकता हैं।

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यह देह तो उनका एक उपकरण है जो हमें अपनी लोकयात्रा के लिए मिला हुआ है। भगवान न तो किसी को पुरष्कृत करते हैं, और न दंडित। हम अपने विगत कर्मों का भोग भोगते हैं। सारी व्यवस्था उनकी प्रकृति की है। यह बड़े से बड़ा तंत्र है।
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प्राणऊर्जा के विचरण और स्पंदन की प्रतिक्रिया से ही हमारी साँसे चल रही हैं, जो अपने आप में एक बहुत बड़ा विज्ञान है। जब यह बात समझ में आ जाये तभी से अपना अधिक से अधिक समय परमात्मा के ध्यान में ही बिताना चाहिए।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
११ दिसंबर २०२३

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