धनतेरस/धन्वन्तरि-जयंती की मंगलमय शुभ कामनाएँ ---
Saturday, 13 November 2021
धनतेरस/धन्वन्तरि-जयंती की मंगलमय शुभ कामनाएँ ---
हम परमात्मा की दृष्टि में क्या हैं? सिर्फ इसी का महत्व है ---
हम परमात्मा की दृष्टि में क्या हैं? सिर्फ इसी का महत्व है। अपने विचारों और भावों के प्रति सजग और सचेत रहो, क्योंकि अवचेतन मन में छिपी वासनायें -- गिद्ध, चील-कौओं और लकड़बघ्घों की तरह मृत लाशों को ढूँढ़ती रहती हैं, और अवसर मिलते ही उन पर टूट पड़ती हैं। इस लौकिक संसार में मनुष्य के वेश में बहुत सारे परभक्षी ठग घुमते हैं, जिन से विष की तरह दूर रहो।
रूप-चतुर्दशी/ नर्क-चतुर्दशी/ छोटी दीपावली का मंगलमय अभिनंदन ---
आज का दिन ज्ञान के प्रकाश से जगमगाने का दिन है.
इस संसार में सबसे अधिक दया का पात्र कौन है? ---
(प्रश्न) :-- इस संसार में सबसे अधिक दया का पात्र कौन है?
दीपावली की मंगलमय शुभ कामनायें, बधाई और अभिनंदन ---
दीपावली की मंगलमय शुभ कामनायें,
भारत की पकिस्तान व चीन से निकट भविष्य में युद्ध की पूरी संभावना है ---
भारत की पकिस्तान व चीन से निकट भविष्य में युद्ध की पूरी संभावना है ---
किसी की शवयात्रा में -- "राम नाम सत्य है" का उद्घोष क्यों करते हैं? --- .
किसी की शवयात्रा में -- "राम नाम सत्य है" का उद्घोष क्यों करते हैं? ---
जब भी युवावस्था में भगवान की थोड़ी सी भी झलक मिले, उसी समय विरक्त हो जाना चाहिए ---
यह सृष्टि भगवान की है, जिसे उनकी प्रकृति अपने नियमानुसार चला रही है। उन नियमों को न समझना हमारी अज्ञानता है। सनातन धर्म के अनुसार हमारे जीवन का सर्वप्रथम लक्ष्य भगवत्-प्राप्ति है। जब तक भगवत्-प्राप्ति नहीं होती तब तक अपने कर्मफलों को भोगने के लिए बार-बार जन्म लेते रहेंगे।
मैं कौन हूँ? ---
मैं कौन हूँ?
सनातन-धर्म व स्वयं की रक्षा के लिए हम क्या कर सकते हैं? ---
(प्रश्न). सनातन-धर्म व स्वयं की रक्षा के लिए हम क्या कर सकते हैं? ---
दूसरों की कमियों का चिंतन न करके, अपने स्वयं के गुण देखें, और उनका प्रकाश चारों ओर फैलाएँ ---
दूसरों की कमियों का चिंतन न करके, अपने स्वयं के गुण देखें, और उनका प्रकाश चारों ओर फैलाएँ ---
मज़हबी कट्टरता का अंत महिला शिक्षा के द्वारा ही होगा ---
आध्यात्मिक दृष्टि से "स्वार्थ" और "परमार्थ" शब्दों में कोई अंतर नहीं है, साकार और निराकार में भी कुछ भेद नहीं है ---
आध्यात्मिक दृष्टि से "स्वार्थ" और "परमार्थ" शब्दों में कोई अंतर नहीं है। ऐसे ही "साकार" और "निराकार" में भी कुछ भेद नहीं है।
पूर्णता शिव में है, जीव में नहीं ---
पूर्णता शिव में है, जीव में नहीं ---
यतः कृष्णस्ततो धर्मो, यतो धर्मस्ततो जयः ---
यतः कृष्णस्ततो धर्मो, यतो धर्मस्ततो जयः ---
निरंतर उनका चिंतन सुखदायी है ---
भगवान की जो और जैसी भी छवि मेरे समक्ष है, मैं उनके प्रति पूर्णतः समर्पित हूँ। जब से भगवान से प्रेम हुआ है, और उनकी प्रत्यक्ष अनुभूति होने लगी है, तब से सारे सिद्धान्तों और सारे दर्शन-शास्त्रों का मेरे लिए कोई महत्व अब नहीं रहा है। भगवान हैं, उनकी अनुभूति अवर्णनीय है। निरंतर उनका चिंतन सुखदायी है।
जीवन का एक भी पल भगवान की स्मृति के बिना व्यतीत न हो ---
जीवन का एक भी पल भगवान की स्मृति के बिना व्यतीत न हो। भगवान की कृपा से हरेक बाधा के मध्य कोई न कोई मार्ग निकल ही आता है। चारों ओर चाहे अंधकार ही अंधकार और मुसीबतों के पहाड़ हों, भगवान की कृपा उन अंधकारमय विकराल पर्वतों को चीर कर हमारा मार्ग प्रशस्त कर देती है। भगवान का शाश्वत् वचन है --
हे परमशिव, तुम अब और छिप नहीं सकते ---
हे परमशिव, तुम अब और छिप नहीं सकते। तुम्हें यहीं, और इसी समय मुझे अपने साथ एक करना ही होगा। तुम्हारे से कुछ भी माँगना भी एक दुराग्रह है, लेकिन जायें तो जायें कहाँ? तुम्हारे सिवाय अन्य कुछ है ही नहीं।
हमें भगवान की प्रत्यक्ष उपस्थिती चाहिये ---
हमें भगवान की प्रत्यक्ष उपस्थिती चाहिये, न कि मीठी मीठी बातें या किसी भी तरह का कोई उपदेश। सत्संग भी प्रत्यक्ष भगवान का ही चाहिये, न कि उनके बारे में बात करने वालों का। हमारे हृदय की भक्ति, अभीप्सा, तड़प, और समर्पण सिर्फ भगवान के लिए है, न कि किसी अन्य के लिए।