जीव भगवान का अंश है तो मरता कौन है?
८४ लाख योनियों में कौन जाता है?
स्वर्ग-नर्क में कौन जाता है?
भोगों को कौन भोगता है?
जन्म कौन लेता है?
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"न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता"
यदि मैं नहीं होता तो कितना अच्छा होता !! तब सिर्फ भगवान खुद ही होते। मेरे होने ने ही भगवान को मुझ से दूर करने का अनर्थ कर दिया। मैं नहीं रहूँगा, तो मेरे स्थान पर सिर्फ भगवान ही होंगे।
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अब भगवान से कुछ भी नहीं चाहिये. जो कुछ वे दे सकते थे, वह तो वे दे चुके हैं, और क्या बाकी है?
अपना प्रेम वे मुझे दे चुके हैं, अब और कुछ है ही नहीं उनके पास देने के लिए।
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