राष्ट्र और धर्म की रक्षा हम स्वयं के सद् आचरण से ही कर सकते हैं .....
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>>>हमारा संकल्प और हमारी आस्था महासागर में खड़ी उस चट्टान की तरह हो जो अति प्रचंड लहरों की मार खाकर भी अडिग रहती है|
>>>हमारा अस्तित्व उस परशु कि तरह हो जिस पर कोई प्रहार करे तो वह स्वयं ही तुरंत कट जाए|
>>>हमारा आचरण और चरित्र स्वर्ण की तरह पवित्र हो जिसमें कोई खोट ना हो|
>>>हमारे जीवन का केंद्र बिंदु परमात्मा हो|
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फिर प्रकृति की प्रत्येक शक्ति हमारा सहयोग करने के लिए बाध्य होगी क्योंकि यह सृष्टि परमात्मा के संकल्प से निर्मित हुई है, और सूक्ष्मतम स्तर पर परमात्मा से एकाकार होकर ही हम अपना संकल्प साकार कर सकते हैं|
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सत्य सनातन धर्म और राष्ट्र पर आसन्न संकट को मिटाने के लिए एक ब्रह्मशक्ति का अवतरण नितांत आवश्यक है| जब ब्रह्मशक्ति अवतरित होगी तब क्षातृशक्ति भी अवतरित होगी| इसके लिए लाखों लोगों को समष्टि साधना करनी होगी|
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जागिये .... उठिए .... अपने भीतर सोये हुए निश्चय के बल को जगाइये। सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करिये । आत्मा में अथाह सामर्थ्य है। अपने को दीन-हीन मान बैठे तो विश्व में ऐसी कोई सत्ता नहीं जो आप को ऊपर उठा सके। अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गये तो त्रिलोक में ऐसी कोई हस्ती नहीं जो आपको दबा सके।
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ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
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>>>हमारा संकल्प और हमारी आस्था महासागर में खड़ी उस चट्टान की तरह हो जो अति प्रचंड लहरों की मार खाकर भी अडिग रहती है|
>>>हमारा अस्तित्व उस परशु कि तरह हो जिस पर कोई प्रहार करे तो वह स्वयं ही तुरंत कट जाए|
>>>हमारा आचरण और चरित्र स्वर्ण की तरह पवित्र हो जिसमें कोई खोट ना हो|
>>>हमारे जीवन का केंद्र बिंदु परमात्मा हो|
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फिर प्रकृति की प्रत्येक शक्ति हमारा सहयोग करने के लिए बाध्य होगी क्योंकि यह सृष्टि परमात्मा के संकल्प से निर्मित हुई है, और सूक्ष्मतम स्तर पर परमात्मा से एकाकार होकर ही हम अपना संकल्प साकार कर सकते हैं|
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सत्य सनातन धर्म और राष्ट्र पर आसन्न संकट को मिटाने के लिए एक ब्रह्मशक्ति का अवतरण नितांत आवश्यक है| जब ब्रह्मशक्ति अवतरित होगी तब क्षातृशक्ति भी अवतरित होगी| इसके लिए लाखों लोगों को समष्टि साधना करनी होगी|
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जागिये .... उठिए .... अपने भीतर सोये हुए निश्चय के बल को जगाइये। सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करिये । आत्मा में अथाह सामर्थ्य है। अपने को दीन-हीन मान बैठे तो विश्व में ऐसी कोई सत्ता नहीं जो आप को ऊपर उठा सके। अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गये तो त्रिलोक में ऐसी कोई हस्ती नहीं जो आपको दबा सके।
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आगे का मार्ग आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, लेकिन पहला कदम आपको ही लेना है|
शूली ऊपर सेज पीया की , नौपत बाजे हजार !
.शूली ऊपर सेज पीया की , नौपत बाजे हजार !
ॐ तत्सत् | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||