Friday 4 November 2016

आपके बिना हम नाक कटी हुई सुन्दर नारी की तरह हैं ......

आपके बिना हम नाक कटी हुई सुन्दर नारी की तरह हैं ......
.
"बुद्धि बडी चतुराई बडी सुख सुन्दरता तन सों लिपटी है |
मान बडो धन धाम बडो यश कीरति हूँ जग में प्रगटी है ||
झूमत द्वार मतंग अनेक सुरेशहुँ ते कछु नाहिं घटी है |
तुलसी राम सनेह बिना मानो सुन्दर नारि की नाक कटी है ||"
.
सब ओर से निराश होकर बड़ी कठिनाई से आप के सम्मुख तो हम आ गये हैं, अब इसे शरणागति मानकर हमारा समर्पण स्वीकार करो| अब कुछ भी साधन होता ही नहीं है| कुछ करने की ऊर्जा भी नहीं रही है| अब तो आप स्वयं हमारे ह्रदय मंदिर में पधार कर यहीं अपना स्थायी डेरा डाल दें| सारी प्रार्थनाएँ हम भूल गए हैं|
.
अब कोई साधना नहीं होती| हम तो आपके उपकरण मात्र हैं, जिसे आप ही संभालो| हमारे वश में कुछ नहीं है|
.
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

No comments:

Post a Comment