भौतिक जगत में जैसे सभी गिद्ध, चील-कौए, लकड़बग्घे और कुछ राजनेता मृत लाशों
को ही ढूँढ़ते रहते हैं, और अवसर मिलते ही उन पर टूट पड़ते है, वैसे ही
मनुष्य का मन भी एक गिद्ध है जो विषय-वासनाओं का चिंतन और उनकी पूर्ति के
अवसर ढूँढ़ता रहता है और अवसर मिलते ही उन पर टूट पड़ता है |
अपने विचारों के प्रति सदा सजग रहें और निरंतर सत्संग (सत्य यानी परमात्मा का संग) करें | तभी रक्षा होगी |
ॐ ॐ ॐ ||
अपने विचारों के प्रति सदा सजग रहें और निरंतर सत्संग (सत्य यानी परमात्मा का संग) करें | तभी रक्षा होगी |
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