Sunday, 10 November 2024

अगले पचास वर्षों बाद सम्पूर्ण विश्व में केवल सनातन धर्म ही होगा। पूरा विश्व ही एक राष्ट्र होगा ---

 अगले पचास वर्षों बाद सम्पूर्ण विश्व में केवल सनातन धर्म ही होगा। पूरा विश्व ही एक राष्ट्र होगा।

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सनातन को ही आजकल हिन्दू धर्म कहते है। सनातन और हिन्दुत्व में क्या भेद है? कुछ भी नहीं। पूरी सृष्टि ही सनातन धर्म से चल रही है। हम शाश्वत आत्मा है, जिसका स्वधर्म -- परमात्मा की प्राप्ति है। इसके दस लक्षण मनुस्मृति में दिए हैं, कणाद सूत्रों में जिसे परिभाषित किया गया है, वही सत्य सनातन धर्म है। वही हमारी रक्षा करेगा।
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धर्म एक ही है, वह सनातन है। अन्य सब मत और पन्थ हैं, जिन्हें हम रिलीजन और मजहब कहते हैं। धर्म वह है जिसे धारण किया जाता है। पन्थ और रिलीजन -- मान्यताओं पर आधारित होते हैं। मान्यता सनातन नहीं हो सकती, वह नश्वर है। केवल सनातन ही शाश्वत है। पूरा विश्व ही एक राष्ट्र होगा।
ॐ तत्सत्!! 🌹🍂💐🙏🕉️🙏💐🍂🌹
कृपा शंकर
१ अक्टूबर २०२४

ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही दिवस का आरम्भ प्रभु श्रीराम के स्मरण और ध्यान से कीजिए। कुछ देर कीर्तन करें - -

 

🙏🌹🕉️🕉️🕉️🌹🙏 मंगलमय सुप्रभात !
ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही दिवस का आरम्भ प्रभु श्रीराम के स्मरण और ध्यान से कीजिए। कुछ देर कीर्तन करें - -
🙏🙏🙏 सीताराम सीताराम सीताराम सीताराम। सीताराम राम राम सीताराम राम राम। सीताराम राम राम सीताराम राम राम - - - -
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अब पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह रखते हुए, ध्यान के आसन पर बैठकर साकार रूप में सर्वव्यापी भगवान श्रीराम का खूब देर तक ध्यान कीजिए। मेरूदण्ड उन्नत, ठु्ड्डी भूमि के समानांतर, और दृष्टिपथ भ्रूमध्य की ओर रहे। निराकार रूप में वे ज्योतिर्मय ब्रह्म हैं। साकार रूप में उनका ध्यान "रां" बीज मंत्र से करें, निराकार रूप में प्रणव से। स्वयं के अस्तित्व को उनमें पूरी तरह विलीन कर दें।
पूरे दिन उन्हें स्मृति में रखें। किसी भी तरह की कामना का जन्म न हो, केवल समर्पण का भाव और अभीप्सा हो। रात्रि को शयन से पूर्व तो अनिवार्य है। जब थोड़ा सा भी समय मिले, उनका ध्यान अजपा-जप द्वारा करें। किसी भी परिस्थिति में कुसंग का त्याग करें। साथ उन्हीं का करें जिनका आचरण और विचार सात्विक हों।
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आप का जीवन कृतार्थ हो। आप कृतकृत्य हों।।
ॐ तत्सत्!! ॐ ॐ ॐ!!
कृपा शंकर
४ अक्टूबर २०२४ .
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मंगलमय सुप्रभात ! ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही दिवस का आरम्भ प्रभु श्रीराम के पवित्र नाम-स्मरण और ध्यान से कीजिये।
🙏🙏🙏 मानसिक रुप से बोलिए मेरे साथ --
"जय श्रीराम" "जय श्रीराम" "जय श्रीराम"।
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अब ध्यान के आसन पर बैठकर साकार रूप में सर्वव्यापी भगवान श्रीराम का ध्यान कीजिए। मेरूदण्ड उन्नत, ठु्ड्डी भूमि के समानांतर, दृष्टि भ्रूमध्य में रहे।
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आज नवरात्रों का आरंभ है। शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कीजिए। शास्त्रोक्त विधि से अपनी गुरु-परम्परानुसार भगवती की उपासना कीजिए। आप का जीवन कृतार्थ हो। आप कृतकृत्य हों।। ॐ तत्सत्!! ॐ ॐ ॐ!!
कृपा शंकर
३ अक्टूबर २०२४

हम क्या उपासना करें? किस देवता की आराधना करें? कौन सा मार्ग सर्वश्रेष्ठ है?

 

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(प्रश्न) :--- हम क्या उपासना करें? किस देवता की आराधना करें? कौन सा मार्ग सर्वश्रेष्ठ है?
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(उत्तर) :--- जिस उपासना से मन की चंचलता शांत हो, परमात्मा से प्रेम और समर्पण का भाव बढ़े, वही उपासना सार्थक है, अन्य सब निरर्थक हैं।
स्वभाविक रूप से भगवान का जो भी रूप हमें सब से अधिक प्रिय है, उसी की आराधना करें।
जो हमें इसी जीवन में भगवत्-प्राप्ति करा दे, वही पंथ/सिद्धांत/मत सर्वश्रेष्ठ है।
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ध्यान या तो हम भगवान शिव का करते हैं, या भगवान विष्णु या उनके अवतारों का। अधिकांश योगी ज्योतिर्मय ब्रह्म के साथ साथ प्रणव का भी ध्यान करते हैं। यह भगवान का निराकार रूप है। निराकार का अर्थ है -- सारे आकार जिसके हों।
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उपदेश हम किसी ब्रहमनिष्ठ श्रौत्रीय (जिसे श्रुतियों का ज्ञान हो) आचार्य से ही ग्रहण करें। अंत में एक बात याद रखें कि बिना भक्ति (परमप्रेम) व सत्यनिष्ठा के कोई साधना सफल नहीं होती।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
४अक्टूबर २०२४ 💐🌹🙏🌹💐