♦️साधना में तीन सबसे बड़ी बाधायें हैं .....
🔹(१) यश यानि प्रसिद्धि की चाह,🔹(२) दीर्घसूत्रता यानि कार्य को आगे के लिए टालने की प्रवृत्ति, और
🔹(३) उत्साह का अभाव|
♥️सभी बाधाओं को दूर करने के लिए दो ही उपाय हैं .....
♦️ (१) सात्विक आहार व शास्त्रोक्त विधि से भोजन,
♦️(२)कुसंग का त्याग व निरंतर सत्संग|
🔹भोजन पूरी तरह से सात्विक होना चाहिए| हर किसी के हाथ का बना हुआ, या हर किसी के साथ बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए| भोजन करने की शास्त्रोक्त विधि है उसका पालन करना चाहिए|
♦️किसी भी परिस्थिति में कुसंग का त्याग अनिवार्य है| कोई भी व्यक्ति या परिस्थिति जो हमें हरिः से विमुख करती है, उसका दृढ़ निश्चय से अविलंब त्याग करना होगा| साथ उन्हीं का करें जो आध्यात्मिक साधना में सहायक हैं, अन्यथा चाहे अकेले ही रहना पड़े| निरंतर हरिःस्मरण हमारा स्वभाव हो|
👏हरिः ॐ तत्सत् | 👏ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
८ जनवरी २०२०
🔹(१) यश यानि प्रसिद्धि की चाह,🔹(२) दीर्घसूत्रता यानि कार्य को आगे के लिए टालने की प्रवृत्ति, और
🔹(३) उत्साह का अभाव|
♥️सभी बाधाओं को दूर करने के लिए दो ही उपाय हैं .....
♦️ (१) सात्विक आहार व शास्त्रोक्त विधि से भोजन,
♦️(२)कुसंग का त्याग व निरंतर सत्संग|
🔹भोजन पूरी तरह से सात्विक होना चाहिए| हर किसी के हाथ का बना हुआ, या हर किसी के साथ बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए| भोजन करने की शास्त्रोक्त विधि है उसका पालन करना चाहिए|
♦️किसी भी परिस्थिति में कुसंग का त्याग अनिवार्य है| कोई भी व्यक्ति या परिस्थिति जो हमें हरिः से विमुख करती है, उसका दृढ़ निश्चय से अविलंब त्याग करना होगा| साथ उन्हीं का करें जो आध्यात्मिक साधना में सहायक हैं, अन्यथा चाहे अकेले ही रहना पड़े| निरंतर हरिःस्मरण हमारा स्वभाव हो|
👏हरिः ॐ तत्सत् | 👏ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
८ जनवरी २०२०