Wednesday 8 January 2020

जिन्होंने इस पूरी सृष्ट का भार उठा रखा है, जब वे हमारा भी भार उठा लें तो हमें और क्या चाहिए?

जिन्होंने इस पूरी सृष्ट का भार उठा रखा है, जब वे हमारा भी भार उठा लें तो हमें और क्या चाहिए?
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आजकल शीत ऋतु परमात्मा पर ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ है| प्रकृति भी शांत है, न तो पंखा चलाना पड़ता है ओर न कूलर, अतः उनकी आवाज़ नहीं होती| कोई व्यवधान नहीं है| प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही प्रकृति में जो भी सन्नाटे की आवाज सुनती है उसी को आधार बनाकर गुरु प्रदत्त बीज मन्त्र या प्रणव की ध्वनि को सुनते रहो|
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जैसे एक अबोध बालक अपनी माँ की गोद में बैठकर स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है, वैसे ही अपने भाव-जगत में, जगन्माता की गोद में बैठकर साधना करें| हमें तो कुछ भी नहीं करना है, जो कर रहे हैं, वह जगन्माता ही कर रही है| रात्री को माँ की गोद में ही सोएँ और प्रातःकाल उन्हीं की गोद से उठें| सारे दिन यही भाव रखें कि सारा कार्य हमारे माध्यम से भगवती जगन्माता ही कर रही हैं| इन आँखों से वे ही देख रही हैं, कानों से वे ही सुन रही हैं, इन हाथों से वे ही कार्य कर रही हैं, और इन पैरों से वे ही चल रही हैं| इस हृदय में वे ही धड़क रही हैं और इन नासिकाओं से वे ही सांसें ले रही हैं| जो जगन्माता सारी प्रकृति का संचालन कर रही है, उसने जब स्वयं हमारा भार उठा लिया है तब हमें और क्या चाहिए?
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ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
७ जनवरी २०२०

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