Thursday, 20 November 2025

जो हम स्वयं की दृष्टि में हैं, भगवान की दृष्टि में भी वही हैं। अतः निरंतर अपने शिव-स्वरूप में रहने की उपासना करें। यही हमारा स्वधर्म है।

 जो हम स्वयं की दृष्टि में हैं, भगवान की दृष्टि में भी वही हैं। अतः निरंतर अपने शिव-स्वरूप में रहने की उपासना करें। यही हमारा स्वधर्म है।

भगवान को हम वही दे सकते हैं, जो हम स्वयं हैं। जो हमारे पास नहीं है वह हम भगवान को नहीं दे सकते। हम भगवान को प्रेम नहीं दे सकते क्योंकि हम स्वयं प्रेममय नहीं हैं।
गीता के सांख्य योग में भगवान हमें -- "निस्त्रैगुण्य", "निर्द्वन्द्व", "नित्यसत्त्वस्थ", "निर्योगक्षेम", व "आत्मवान्" बनने का आदेश देते हैं --
"त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन।
निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्॥२:४५॥"
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इसे और भी अधिक ठीक से समझने के किए भगवान का ध्यान करें। आचार्य शंकर व अन्य आचार्यों के भाष्य पढ़ें। इसका चिंतन, मनन, व निदिध्यासन करें। बनना तो पड़ेगा ही, इस जन्म में नहीं तो अनेक जन्मों के पश्चात। मंगलमय शुभ कामनाएँ !!
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२१ नवम्बर २०२३
जो हम स्वयं की दृष्टि में हैं, भगवान की दृष्टि में भी वही हैं। अतः निरंतर अपने शिव-स्वरूप में रहने की उपासना करें। यही हमारा स्वधर्म है।
भगवान को हम वही दे सकते हैं, जो हम स्वयं हैं। जो हमारे पास नहीं है वह हम भगवान को नहीं दे सकते। हम भगवान को प्रेम नहीं दे सकते क्योंकि हम स्वयं प्रेममय नहीं हैं।
गीता के सांख्य योग में भगवान हमें -- "निस्त्रैगुण्य", "निर्द्वन्द्व", "नित्यसत्त्वस्थ", "निर्योगक्षेम", व "आत्मवान्" बनने का आदेश देते हैं --
"त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन।
निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्॥२:४५॥"
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इसे और भी अधिक ठीक से समझने के किए भगवान का ध्यान करें। आचार्य शंकर व अन्य आचार्यों के भाष्य पढ़ें। इसका चिंतन, मनन, व निदिध्यासन करें। बनना तो पड़ेगा ही, इस जन्म में नहीं तो अनेक जन्मों के पश्चात। मंगलमय शुभ कामनाएँ !!
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२१ नवम्बर २०२३

जो लोग फ्रांस में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा कर रहे हैं, क्या उन्होंने भारत में हुए आतंकी हमलों की कभी निंदा की है ??? यदि नहीं तो यह उनका ढोंग और पाखण्ड है|

 सभी से एक प्रश्न .....

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जो लोग फ्रांस में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा कर रहे हैं, क्या उन्होंने भारत में हुए आतंकी हमलों की कभी निंदा की है ??? यदि नहीं तो यह उनका ढोंग और पाखण्ड है|
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अमेरिका को तो आतंकवाद क्या होता है इसका पता ही तब चला जब स्वयं उसके ऊपर हमला हुआ|
"जब हम चीखे बार बार तब तुमने ध्यान दिया होता
बम्बई के विस्फोटो पर यदि तुमने कान दिया होता
लादेनो के बाप पाक को जो ना मान दिया होता
तो तेरा दिल भी खुश होता यूं खंडित मान नही होता
हंसता गाता अमरीका यूं लहूलुहान नही होता" .... (अनामिका मिश्रा की कविता)
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भारत में हुए आतंकी हमलों के लिए किसी ने भी पाकिस्तान की निंदा नहीं की है| भारत अभी तक दुनिया को सबूत दिखाता फिर रहा है| कोई भारत की नहीं सुन रहा है| सारे पश्चिमी देश अपना हित साध रहे हैं|
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पाकिस्तान के विरुद्ध ये कुछ नहीं बोलते जबकि वास्तव में पाकिस्तान ही आतंकवाद की फैक्ट्री है| पाकिस्तान में हाफिज सईद कई मदरसे चला रहा है जहाँ बच्चों के दिमाग में भारत के विरुद्ध जहर भर भर कर हर वर्ष हज़ारों ओसामा बिन लादेन तैयार किए जा रहे हैं|
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फिलहाल भारत युद्ध के पक्ष मे तो नही है पर हां किसी आतताई के सामने सर झुकाना भी किसी भारतीय को नही आता| दर्प से भरे सर को हम उतार भी सकते हैं ...हम युद्ध के पोषक नही है पर यदि द्वार पर यदि कोई आने का दु: साहस कर ही बैठे तो उसको नर्कलोक पहुंचाने का प्रबंध हम भारतवासी करना जानते है| ईश्वर सभी को सद्बुद्धि दे ...
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अब भारत को आतंकवाद को जड़मूल से ही नाश करना होगा| अब पूरे विश्व को एकजूट होकर वर्त्तमान परिप्रेक्ष्य में आतंकवाद के कारणों की खोज कर उन्हें समाप्त करना ही होगा |
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फ़्रांस और रूस ने सीरिया और इराक में निर्दयता से इस्लामिक स्टेट की कमर तोड़ दी है, अब उसे समाप्त करने की कगार पर हैं| न तो कोई सबूत जुटाए, न मुकदमा चलाया, न दुनिया के स्वघोषित पुलिसमेन व न्यायाधीश अमेरिका की स्वीकृति ली, और न दुनिया के आगे हाथ जोड़े, सीधे ही आतंकवाद पर प्रहार कर दिया|
ॐ तत्सत | ॐ ॐ ॐ ||
२० नवंबर २०१५

"परमात्मा से पृथकता का भ्रम" हमारी एकमात्र समस्या है ---

 "परमात्मा से पृथकता का भ्रम" हमारी एकमात्र समस्या है। अपने लिए हम स्वयं ही समस्या बन गये हैं। भगवान की कृपा अवश्य ही हमें मुक्त करेगी।

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(भजन) "मेरे श्यामल कृष्ण आओ, मेरे श्यामल कृष्ण आओ,
मेरे श्यामल कृष्ण आओ,
हे मेरे कृष्ण, हे मेरे कृष्ण, हे मेरे कृष्ण, हे मेरे कृष्ण,
श्यामल कृष्ण आओ, राधे कृष्ण आओ।
हे मेरे कृष्ण, हे मेरे कृष्ण, हे मेरे कृष्ण, हे मेरे कृष्ण,
राधे-कृष्ण आओ, मेरे श्यामल कृष्ण आओ॥"
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परमात्मा को पाने की एक प्रबल अभीप्सा, भक्ति, स्वस्थ शरीर और मन, व लगन और ब्रह्मचर्य की आवश्यकता है। इसके लिए योग्य गुरु का मार्गदर्शन, सत्संग, कुसंग का त्याग, और नित्य नियमित अभ्यास चाहिए। इस मार्ग पर हठयोग व तंत्र भी साधना होगा। सबसे बड़ी आवश्यकता तो एक प्रबल अभीप्सा की है। अभीप्सा का अर्थ है -- भगवान को पाने की एक तड़प और अतृप्त प्यास। उसके बिना काम नहीं बनेगा। यह अभीप्सा आपमें है तो इस मार्ग पर आइये, अन्यथा नहीं। भगवान हमारी रक्षा करें।
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परमात्मा का मार्ग है 'परमप्रेम' यानि 'भक्ति'। जो विचार हमें किसी से भी नफरत यानि घृणा या द्वेष करना सिखाता है वह अधर्म यानि शैतान का राक्षसी मार्ग पाप है। न तो किसी से अत्यधिक राग यानि लगाव हो, न द्वेष, और न अहंकार। राग, द्वेष और अहंकार से मुक्ति 'वीतरागता' है जो हमें 'स्थितप्रज्ञ' बनाती है। अहंकार, लोभ और घृणा -- हिंसा की जननी हैं, इनसे मुक्ति अहिंसा है जो परमधर्म कहलाती है।
महादेव महादेव महादेव !! ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२० नवंबर २०२५

"गोपी" शब्द का अर्थ ---

 "गोपी" शब्द का अर्थ .....

गोपी किसी महिला का नाम नहीं है| जिन का प्रेम गोपनीय यानि किसी भी प्रकार के दिखावे से रहित स्वाभाविक होता है, और जो परमात्मा के प्रेम में स्वयं प्रेममय हो जाए वह "गोपी" है| हर समय निरंतर परमात्मा का चिंतन ध्यान करने वाले गोपी कहलाते हैं| ऐसी भक्ति के प्राप्त होने पर मनुष्य न किसी वस्तु की इच्छा करता है, न द्वेष करता है, न आसक्त होता है, और न उसे विषय-भोगों में उत्साह होता है| नारद भक्ति सूत्रों के प्रथम अध्याय का इक्कीसवां सूत्र है ..... यथा व्रजगोपिकानाम् | नारद जी कहते हैं .... जैसी भक्ति व्रज के गोपिकाओं को प्राप्त हुई, वैसी ही भक्ति हम सब को प्राप्त हो|
२० नवंबर २०१९