मकर-संक्रांति - उर्ध्वगति का उत्सव और आत्मसूर्य की ओर प्रयाण है; निरंतर सर्वव्यापी कूटस्थ-चैतन्य में रहें, जिसमें स्थिति ही ब्राह्मी-स्थिति है जिसका उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में दिया है ---
Friday, 20 January 2023
मकर-संक्रांति - उर्ध्वगति का उत्सव और आत्मसूर्य की ओर प्रयाण है ---
भगवान से भूल कर भी कभी कुछ मांगों मत ---
सभी को धन्यवाद !! मेरी हरेक साँस के साथ, और बिना साँस के भी समष्टि का निरंतर कल्याण हो रहा है। अपनी चेतना को हर समय भ्रूमध्य पर रखो। चेतना को वहीं पर रखते हुए संसार में अपने सारे कर्तव्यों का निर्वहन होने दो। हमारा सारा काम भगवान स्वयं कर रहे हैं, हम तो उनके एक उपकरण यानि निमित्त मात्र हैं। भगवान एक प्रवाह हैं, जिन्हें अपने माध्यम से प्रवाहित होने दो। कर्ताभाव सबसे बड़ी बाधा है। सारी आध्यात्मिक साधना भी भगवान स्वयं ही कर रहे हैं, हम नहीं।
उपसंहार ---
उपसंहार ---
हिन्दू समाज बिल्कुल भी सोया हुआ या असंगठित नहीं है ---
हिन्दू समाज इस समय बिल्कुल भी सोया हुआ या असंगठित नहीं है। विश्व का सबसे अधिक जागृत समाज है। सिर्फ धर्म-शिक्षा का अभाव है, जिससे हिंदुओं को पहले तो अंग्रेजों व पूर्तगालियों ने, फिर काँग्रेस सरकार ने वंचित किया। अभी भी गुरुकुलों की शिक्षा को मान्यता प्राप्त नहीं है, जब कि मदरसों व कॉन्वेंटों की शिक्षा को है। भारत का संविधान हिंदुओं को अपने धर्म की शिक्षा का अधिकार सरकारी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में नहीं देता, क्योंकि हमारा संविधान यथार्थ में बुहुविधान है, न कि संविधान (समान कानून और नीति-नियम)।
हमें धर्म और अधर्म से भी ऊपर उठना पड़ेगा ---
सभी को धन्यवाद !! मेरी हरेक साँस के साथ, और बिना साँस के भी समष्टि का निरंतर कल्याण हो रहा है। अपनी चेतना को हर समय भ्रूमध्य पर रखो। चेतना को वहीं पर रखते हुए संसार में अपने सारे कर्तव्यों का निर्वहन होने दो। हमारा सारा काम भगवान स्वयं कर रहे हैं, हम तो उनके एक उपकरण यानि निमित्त मात्र हैं। भगवान एक प्रवाह हैं, जिन्हें अपने माध्यम से प्रवाहित होने दो। कर्ताभाव सबसे बड़ी बाधा है। सारी आध्यात्मिक साधना भी भगवान स्वयं ही कर रहे हैं, हम नहीं।
उपासना ---
उपासना ---
रामनाम मणि दीप धरु, जीह देहरी द्वार। तुलसी भीतर बाहिरऊ, जो चाहसि उजियार॥
रामनाम मणि दीप धरु, जीह देहरी द्वार। तुलसी भीतर बाहिरऊ, जो चाहसि उजियार॥
ये कयामत का दिन कैसा होगा?
ये कयामत का दिन कैसा होगा?
भगवान एक कल्पवृक्ष हैं, जिसके नीचे हम जैसा भी सोचते हैं, वैसा ही हो जाता है ---
भगवान एक कल्पवृक्ष हैं, जिसके नीचे हम जैसा भी सोचते हैं, वैसा ही हो जाता है
बिना सत्यनिष्ठा और वैदिक धर्माचरण के
बिना सत्यनिष्ठा और वैदिक धर्माचरण के कितने भी साधन कर लो, ब्रह्म लाभ (आत्म-साक्षात्कार) किसी भी परिस्थिति में नहीं हो सकता। अपने आराध्य देव का हर समय सर्वत्र सब में दर्शन करें। कहीं कुछ भी कमी हो तो उसे दूर करने के लिए अपने आराध्य देव से प्रार्थना करें। प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है। हमारा एकमात्र लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति है, और कुछ भी नहीं। जो भी इसमें बाधक है उसका तत्क्षण त्याग कर दो।
धन्य हैं वे ब्रह्मस्वरूप भजनानन्दी ---
धन्य हैं वे ब्रह्मस्वरूप भजनानन्दी, जो भगवान का अनन्य भाव से दिन-रात निरंतर भजन करते हैं। मैं उन्हें कोटि कोटि प्रणाम करता हूँ। वे धन्य हैं। वे धन्य हैं। वे धन्य हैं।
वर्तमान हठयोग -- नाथ संप्रदाय की देन है ---
वर्तमान हठयोग -- नाथ संप्रदाय की देन है। महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्रों में कहीं भी हठयोग नहीं सिखाया है। आक्रामक रूप से इसे पतंजलि के नाम से प्रचारित करना असत्य और दुराग्रह है। पतंजलि के योगसूत्रों का सर्वश्रेष्ठ भाष्य - "व्यास भाष्य" है।
परमात्मा की अनंतता में परमात्मा से एकाकार होकर ही हम समष्टि की वास्तविक सेवा कर सकते हैं ---
परमात्मा की अनंतता में परमात्मा से एकाकार होकर ही हम समष्टि की वास्तविक सेवा कर सकते हैं ---