वर्तमान हठयोग -- नाथ संप्रदाय की देन है। महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्रों में कहीं भी हठयोग नहीं सिखाया है। आक्रामक रूप से इसे पतंजलि के नाम से प्रचारित करना असत्य और दुराग्रह है। पतंजलि के योगसूत्रों का सर्वश्रेष्ठ भाष्य - "व्यास भाष्य" है।
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हठयोग के सिर्फ तीन ही प्रामाणिक ग्रंथ हैं ---
(१) "शिव संहिता" -- नाथ संप्रदाय के आचार्यों के अनुसार इसके लेखक योगी मत्स्येन्द्रनाथ हैं, जो गुरु गोरखनाथ के गुरु थे।
(२) "हठयोग प्रदीपिका" -- इसके रचयिता गुरु गोरखनाथ के शिष्य स्वामी स्वात्माराम थे। हठयोग के ग्रन्थों में यह सर्वाधिक प्रभावशाली ग्रन्थ है।
(३) "घेरण्ड संहिता" -- इसके लेखक घेरण्ड मुनि हैं। उनके कालखंड के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इनकी भाषा से लगता है कि या तो नाथ संप्रदाय इनसे प्रभावित है, या ये स्वयं ही नाथ संप्रदाय के थे। "कश्मीर शैव दर्शन" पर भी इनका प्रभाव लगता है। "घेरण्ड संहिता" -- हठयोगविद्या का सबसे अधिक प्रामाणिक ग्रंथ है। घेरण्ड संहिता में सबसे पहले महर्षि घेरण्ड व चण्डकपालि राजा के बीच में संवाद है। राजा चण्डकपालि को महर्षि घेरण्ड योगविद्या का ज्ञान देते हैं।
अंग्रेज और मार्क्सवादी इतिहासकार दुर्भावनावश इनका कालखंड १७ वीं शताब्दी बताते हैं, जो गलत है।
इनके अनेक भाष्य हैं। "बिहार स्कूल ऑफ योग" मुंगेर (बिहार) के अध्यक्ष परमहंस स्वामी निरंजनानन्द सरस्वती का भी लिखा हुआ साहित्य इस विषय पर उपलब्ध है।
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योग क्या है? --- कुंडलिनी महाशक्ति को जागृत कर परमशिव से उसका मिलन ही योग है। योगियों की यह अवधारणा ही मेरी अवधारणा है। यह एक गुरुमुखी ब्रह्मविद्या है जो किसी श्रौत्रीय ब्रह्मनिष्ठ सिद्ध योगी आचार्य द्वारा अपने शिष्य को अपने सामने बैठाकर ही सिखलाई जा सकती है।
योग विद्या और सारी साधनाओं का मूल स्त्रोत कृष्ण यजुर्वेद है। श्वेताश्वतरोपनिषद का स्वाध्याय एक बार कर लेना चाहिए।
पुस्तकों और लेखों को पढ़कर यह समझ में नहीं आ सकती। फ़ेसबुक पर ब्रह्मज्ञान नहीं मिल सकता। इसके लिए किसी सिद्ध ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु की शरण लेनी होगी।
ॐ तत्सत्
१९ जनवरी २०२३
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