गुजरात राज्य की समृद्धि और शांति का रहस्य क्या श्रीविद्या की साधना है?
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जहाँ तक मैं जानता हूँ, पूरे भारत में श्रीविद्या और क्रियायोग के सबसे अधिक साधक गुजरात में हैं। गुजरात एक गुप्त तपोभूमि और आध्यात्मिक उन्नति का क्षेत्र है। गिरनार पर्वत के आसपास का क्षेत्र, और नर्मदा का तट बहुत अधिक जागृत है। मन में एक प्रश्न जागृत हुआ है कि क्या गुजरात की समृद्धि और शांति के पीछे श्रीविद्या और क्रियायोग की साधना है? पूरे भारत में भगवान की सबसे अधिक भक्ति भी मैं गुजराती लोगों में ही देखता हूँ।
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पुनश्च: (बाद में जोड़ा हुआ) :--- श्रीविद्या कोई रुपया-पैसा कमाने की विद्या नहीं है। आचार्य शंकर जैसे महापुरुष, स्वामी करपात्री जैसे धर्म-सम्राट, व लगभग सभी विरक्त दंडी स्वामी जिसकी उपासना करते हों, क्या वह धन कमाने या आर्थिक समृद्धि की विद्या हो सकती है? अगस्त्य ऋषि और उनकी पत्नी लोपामुद्रा -- श्रीविद्या के उपासक थे। कालखंड में यह विद्या लुप्त हो गई थी जिसे योगियों ने पुनर्जीवित किया और आचार्य शंकर को इसमें दीक्षित किया। आचार्य शंकर ने इस पर "सौन्दर्य लहरी" नामक ग्रन्थ लिखा है।
अंग्रेजों ने भारतीयों को नीचा दिखाने के लिए भारत का गलत इतिहास लिखवाया। नवीनतम गणनाओं के अनुसार आचार्य शंकर का जन्म जीसस क्राइस्ट से ५०८ वर्ष पूर्व हुआ था। उनका देहांत ४७४ BC में हुआ था। गुरु गोरखनाथ का जन्म उनसे भी पूर्व हुआ था।
श्रीविद्या कुंडलिनी महाशक्ति के जागरण, सूक्ष्मदेह के मेरुदंदस्थ सभी चक्रों के भेदन, और परमशिव से उनके मिलन की विद्या है। कुंडलिनी महाशक्ति और परमशिव के मिलन को ही योग कहते हैं। श्रीविद्या -- भगवती राजराजेश्वरी श्रीललिता महात्रिपुरसुंदरी -- प्राण-तत्व के रूप में स्वयं कुंडलिनी महाशक्ति हैं। परमशिव के साथ उनका संयोग ही योग है।
१३ नवम्बर २०२३