Friday, 3 October 2025

 सम्पूर्ण सृष्टि, उसकी अनंतता, और उसके सारे प्राणी मेरे साथ एक हैं। भगवान उन्हें मेरे साथ एक कर के, मुझ निमित्त के माध्यम से स्वयं अपनी साधना कर रहे हैं। परमात्मा की ज्योति का विस्तार चारों ओर हो रहा है। असत्य का अंधकार धीरे धीरे दूर हो रहा है।

ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही दिवस का आरम्भ प्रभु श्रीराम के स्मरण और ध्यान से कीजिए। कुछ देर कीर्तन करें - -

मंगलमय सुप्रभात ! ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही दिवस का आरम्भ प्रभु श्रीराम के स्मरण और ध्यान से कीजिए। कुछ देर कीर्तन करें - -

अब पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह रखते हुए, ध्यान के आसन पर बैठकर साकार रूप में सर्वव्यापी भगवान श्रीराम का खूब देर तक ध्यान कीजिए। मेरूदण्ड उन्नत, ठु्ड्डी भूमि के समानांतर, और दृष्टिपथ भ्रूमध्य की ओर रहे। निराकार रूप में वे ज्योतिर्मय ब्रह्म हैं। साकार रूप में उनका ध्यान "रां" बीज मंत्र से करें, निराकार रूप में प्रणव से। स्वयं के अस्तित्व को उनमें पूरी तरह विलीन कर दें।
पूरे दिन उन्हें स्मृति में रखें। किसी भी तरह की कामना का जन्म न हो, केवल समर्पण का भाव और अभीप्सा हो। रात्रि को शयन से पूर्व तो अनिवार्य है। जब थोड़ा सा भी समय मिले, उनका ध्यान अजपा-जप द्वारा करें। किसी भी परिस्थिति में कुसंग का त्याग करें। साथ उन्हीं का करें जिनका आचरण और विचार सात्विक हों।
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आप का जीवन कृतार्थ हो। आप कृतकृत्य हों।।
ॐ तत्सत्!! ॐ ॐ ॐ!!
कृपा शंकर
४ अक्टूबर २०२४