कौन सी ऐसी बाधा है जो दूर नहीं हो सकती ? .....
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राष्ट्र में व्याप्त असत्य रूपी अन्धकार घनीभूत पीड़ा दे रहा है| भूतकाल तो हम बदल नहीं सकते, उसका रोना रोने से कोई लाभ नहीं है| वास्तव में यह हमारे भीतर का ही अंधकार है जो बाहर व्यक्त हो रहा है| इसे दूर करने के लिए तो स्वयं के भीतर ही प्रकाश की वृद्धि करनी होगी, तभी यह अन्धकार दूर होगा| इसके लिए आध्यात्मिक साधना द्वारा आत्मसाक्षात्कार करना होगा|
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परमात्मा ने अपनी परम कृपा कर के पूरी स्पष्टता से मुझे मेरी सारी कमियाँ और उन्हें दूर करने के उपाय भी बताए हैं, और उनका पालन करने या न करने की छूट भी दी है| पर जब स्वयं भगवान की ही आज्ञा है तो उस दिशा में अग्रसर भी होना ही होगा| यही राम काज है जिसे पूरा किये बिना कोई विश्राम नहीं हो सकता है|
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"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम"|
जब धनुर्धारी भगवान श्रीराम, सुदर्शन चक्रधारी भगवान श्रीकृष्ण, और पिनाकपाणी देवाधिदेव महादेव स्वयं हृदय में बिराजमान हैं तब कौन सी ऐसी बाधा है जो पार नहीं हो सकती? जीवन की बची खुची सारी ऊर्जा एकत्र कर के "प्रबिसि नगर कीजे सब काजा हृदयँ राखि कोसलपुर राजा" करना ही होगा| तभी "गरल सुधा रिपु करहिं मिताई गोपद सिंधु अनल सितलाई" होगी|
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महादेव महादेव महादेव ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१० फरवरी २०१८
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पुनश्चः : -- उपरोक्त लेख को लिखने के पश्चात् कुछ लिखने योग्य बचा ही नहीं है|
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राष्ट्र में व्याप्त असत्य रूपी अन्धकार घनीभूत पीड़ा दे रहा है| भूतकाल तो हम बदल नहीं सकते, उसका रोना रोने से कोई लाभ नहीं है| वास्तव में यह हमारे भीतर का ही अंधकार है जो बाहर व्यक्त हो रहा है| इसे दूर करने के लिए तो स्वयं के भीतर ही प्रकाश की वृद्धि करनी होगी, तभी यह अन्धकार दूर होगा| इसके लिए आध्यात्मिक साधना द्वारा आत्मसाक्षात्कार करना होगा|
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परमात्मा ने अपनी परम कृपा कर के पूरी स्पष्टता से मुझे मेरी सारी कमियाँ और उन्हें दूर करने के उपाय भी बताए हैं, और उनका पालन करने या न करने की छूट भी दी है| पर जब स्वयं भगवान की ही आज्ञा है तो उस दिशा में अग्रसर भी होना ही होगा| यही राम काज है जिसे पूरा किये बिना कोई विश्राम नहीं हो सकता है|
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"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम"|
जब धनुर्धारी भगवान श्रीराम, सुदर्शन चक्रधारी भगवान श्रीकृष्ण, और पिनाकपाणी देवाधिदेव महादेव स्वयं हृदय में बिराजमान हैं तब कौन सी ऐसी बाधा है जो पार नहीं हो सकती? जीवन की बची खुची सारी ऊर्जा एकत्र कर के "प्रबिसि नगर कीजे सब काजा हृदयँ राखि कोसलपुर राजा" करना ही होगा| तभी "गरल सुधा रिपु करहिं मिताई गोपद सिंधु अनल सितलाई" होगी|
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महादेव महादेव महादेव ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१० फरवरी २०१८
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पुनश्चः : -- उपरोक्त लेख को लिखने के पश्चात् कुछ लिखने योग्य बचा ही नहीं है|