Saturday 12 August 2017

परमात्मा पर नित्य ध्यान की आवश्यकता ......

परमात्मा पर नित्य ध्यान की आवश्यकता ......
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बाहरी संसार का एक प्रबल नकारात्मक आकर्षण है जो हमारी चेतना को अधोगामी बनाता है | इस अधोगामी चुम्बकत्व से रक्षा सिर्फ ध्यान साधना कर सकती है | ध्यान का समय और गहराई निरंतर बढाएँ | जिन लोगों की नकारात्मक चेतना हमारे मार्ग में बाधक है, उन लोगों का साथ विष की तरह तुरंत त्याग दें | कौन क्या सोचता है इसकी बिलकुल भी परवाह न करें | किसी भी नकारात्मक टिप्पणी पर ध्यान न दें और उसे अपनी स्मृति से निकाल दें | अपना लक्ष्य सदा सामने रहे | किसी भी अनुभव या परिस्थिति से हमारे साथ क्या होता है इसका महत्व नहीं है | हम उससे क्या बनते हैं इसी का महत्त्व है |
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कोई भी कठिनाई हो तो गुरु महाराज से प्रार्थना करें | गुरु महाराज सर्वत्र हैं | उनकी चेतना सर्वव्यापी है | वे एक मानव देह मात्र नहीं हैं |
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सदा निष्ठावान और अपने ध्येय के प्रति अडिग रहें | वासनात्मक विचार उठें तो सावधान हो जाएँ और अपनी चेतना को सूक्ष्म प्राणायाम द्वारा ऊर्ध्वमुखी कर लें | सदा प्रसन्न रहें | शुभ कामनाएँ |
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ॐ तत्सत् | गुरु ॐ | ॐ ॐ ॐ ||