कामनाओं से मुक्ति ही जीवनमुक्ति है .......
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निष्कामता हमारा स्वभाव ही बन जाए तो हम जीवनमुक्त ही हैं| आत्मा वास्तव में नित्य जीवनमुक्त है, सिर्फ अज्ञान का ही आवरण है| शिवभाव में स्थित होने से अज्ञान नहीं रहता|
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आजकल के मनोविज्ञान में यही सिखाया जाता है कि यदि मन में कोई कामना हो, और
जिस से किसी की कोई हानि नहीं हो तो वह कामना पूरी कर लेनी चाहिए, अन्यथा
मन कुंठित हो जाएगा| यह एक धोखा है|----------------------------------------
निष्कामता हमारा स्वभाव ही बन जाए तो हम जीवनमुक्त ही हैं| आत्मा वास्तव में नित्य जीवनमुक्त है, सिर्फ अज्ञान का ही आवरण है| शिवभाव में स्थित होने से अज्ञान नहीं रहता|
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कामना कभी भी तृप्त नहीं होती| कामनाओं का शमन होना चाहिए, न कि पूर्ती|
कामनाएँ ही सब बंधनों का कारण हैं| कामनाएँ छूटने पर ही जीवात्मा मुक्त होती है|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||