Monday 9 April 2018

मेरा धर्म और मेरी राजनीति ......

अब तक मेरे इस लौकिक जीवन का अधिकाँश भाग व्यतीत हो चुका है, बहुत थोड़ा सा समय बाकी है, वह भी अनिश्चित है| जो समय बीत चुका है वह तो बापस आ नहीं सकता, पर जितना भी अनिश्चित समय बचा है, उसमें मेरा इसी क्षण से एक ही धर्म है और एक ही राजनीति है, वह है ..... निरंतर ईश्वर में रमण, उसी का चिंतन और उसी का ध्यान, उसके अतिरिक्त अन्य कुछ भी नहीं|

आध्यात्मिक और बौद्धिक रूप से कहीं भी कण मात्र की भी कोई शंका या संदेह नहीं है, और भगवान की परम कृपा से आगे का पूरा मार्ग स्पष्ट है| एक परावस्था की मैं कल्पना किया करता था, पर अब पाता हूँ कि जहाँ मैं अवस्थित हूँ वही परावस्था है| जहाँ पर मैं हूँ वहीं भगवान स्वयं हैं, कहीं पर भी कोई भेद नहीं है| अब कहीं भी कोई यात्रा नहीं है, सारी यात्राएँ पूर्ण हो चुकी हैं|

हर तरह की अन्य सामाजिकता, राजनीति और मनोरंजन से दूर हट रहा हूँ| अनावश्यक लेख भी नहीं लिखूंगा, और संपर्क व सम्बन्ध भी सिर्फ समान विचारधारा के लोगों से ही रहेगा| अब तक जीवन में भगवान स्वयं ही मित्रों, सम्बन्धियों व अन्य सब के रूप में आये| उन सब के रूप में भगवान परमशिव को नमन !

किसी की भी निंदा, आलोचना , उलाहना, प्रतिवाद व शिकायत करने को मेरे पास अब कुछ भी नहीं है|
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
१० अप्रेल २०१८

सांसारिक भोगों में आसक्त मनुष्यों का प्रेम भगवान से नहीं हो सकता .....

सांसारिक भोगों में आसक्त मनुष्यों का प्रेम भगवान से नहीं हो सकता .....
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जैसे अन्धकार और प्रकाश एक साथ नहीं रह सकते वैसे ही सांसारिक भोगों में आसक्ति और भगवान की भक्ति एक साथ कभी भी नहीं हो सकती| भगवान शत-प्रतिशत प्रेम माँगते हैं| अन्यत्र भी कहीं आसक्ति होती है तो भक्ति व्यभिचारिणी हो जाती है|
गीता में भगवान कहते हैं .....
भोगैश्वर्यप्रसक्तानां तयापहृतचेतसाम्| व्यवसायात्मिका बुद्धिः समाधौ न विधीयते||२:४४||
अर्थात् उस पुष्पित वाणीसे जिसका अन्तःकरण हर लिया गया है अर्थात् भोगोंकी तरफ खिंच गया है और जो भोग तथा ऐश्वर्यमें अत्यन्त आसक्त हैं उन मनुष्योंकी परमात्मामें निश्चयात्मिका बुद्धि नहीं होती|

जो भोग तथा ऐश्वर्य में आसक्त हैं, जो सांसारिक भोगों और ऐश्वर्य को ही पुरुषार्थ मानते हैं, उनके अंतःकरण में भगवान के प्रति प्रेम नहीं ठहर सकता| हम भोगी मनुष्य और तो कर ही क्या सकते हैं, भगवान से निरंतर प्रार्थना तो कर ही सकते हैं कि हे प्रभु, हमारी आसक्ति इस संसार से हटा कर स्वयं में ही लगाओ|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
९ अप्रेल २०१८