Sunday 2 January 2022

हम एक माध्यम हैं जिन से भगवान प्रवाहित होते हैं ---

हम एक माध्यम हैं जिन से भगवान प्रवाहित होते हैं, लेकिन हम अपने अहंकार व लोभ के वशीभूत होकर भगवान के उस प्रवाह को अवरुद्ध कर देते हैं| यह बात वही सत्यनिष्ठ श्रद्धालु समझ सकता है जिस के हृदय में भगवान को पाने की अतृप्त प्यास, तड़प और प्रेम है| हम अधिकाधिक निष्ठावान बनने का प्रयास करें| किसी भी तरह की कोई कुटिलता और असत्यता हम में न रहे| एक दिन हम पाएंगे कि हम भगवान के साथ एक हैं, कहीं कोई भेद नहीं है| किसी को भगवान की भक्ति नहीं करनी है, तो वह मत करे| भगवान उसकी प्रतीक्षा करेंगे| ॐ तत्सत् !!

कृपा शंकर
३ जनवरी २०२१

पिछली दो शताब्दियों में हुई कुछ प्रमुख घटनाएँ ---

 पिछली दो शताब्दियों में हुई कुछ प्रमुख घटनाएँ --- (Edited & Re posted)

.
कई बार संसार में घटित होने वाली कुछ क्रांतिकारी घटनाएँ विश्व की चिंतनधारा पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ जाती हैं। पिछले दो सौ वर्षों में अनेक क्रांतिकारी घटनाएँ हुई हैं, जिन की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, जिन्होने विश्व में बहुत बड़े बदलाव किए है। उनमें से मुख्य ये हैं ---
.
(१) सुदूर पूर्व में सन १९०५ में जापान द्वारा रूस को पराजित करना ---
एक युद्ध में जापान ने त्सूशीमा जलडमरूमध्य में रूस की सारी नौसेना को डुबो दिया, और रूस से मंचूरिया और सुदूर पूर्व का बहुत बड़ा भाग छीन लिया था। यह एक बहुत बड़ी घटना थी, जिससे प्रेरणा लेकर भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारियों के संघर्ष आरंभ हुए, और रूस में बोल्शेविक क्रांति की नींव पड़ी। भारत में क्रांतिकारियों का आत्म-विश्वास जगा कि जब एक जापान जैसा छोटा सा देश रूस को हरा सकता है तो भारत से भी अंग्रेजों को हराया जा सकता है। रूस की बोल्शेविक क्रान्ति एक धोखा थी। मूलतः वह एक नेतृत्वविहीन सैनिक विद्रोह था जो वोल्गा नदी में खड़े औरोरा नाम के युद्धपोत से आरंभ हुआ। जापान द्वारा पराजित होने, व प्रथम विश्वयुद्ध में हुई दुर्गति के कारण रूस की सेना में असंतोष था। उनके पास न तो अच्छे अस्त्र-शस्त्र थे, न अच्छे गर्म वस्त्र, और न अच्छा भोजन। जो विद्रोही बहुमत में थे वे बोल्शेविक कहलाए, और जो अल्पमत में वफ़ादार थे वे मेन्शेविक। लेनिन तो ब्रिटेन में निर्वासित जीवन जी रहा था। जर्मनी आदि पश्चिमी देशों की सहायता से वह रूस में आया और इस विद्रोह को सर्वहारा की साम्यवादी/मार्क्सवादी क्रांति में बदल दिया। न तो लेनिन या स्टालिन को, और न ही चीन में माओ को मार्क्सवाद से कोई मतलब था। इन का लक्ष्य सिर्फ सत्ता प्राप्त करना था। मार्क्सवाद तो जनता को मूर्ख बनाने का एक अस्त्र था।
.
(२) सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) का पतन ---
तुर्की की उस्मानिया सल्तनत उस समय विश्व का छः शताब्दियों से सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसके आधीन पूरा पूर्वी योरोप, पूरा अरब, मिश्र, फिलिस्तीन, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया था। उसके आधीन दर्रा-दानियल और बास्फोरस जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण स्थान थे, जो उस क्षेत्र के वाणिज्य पर पूर्ण नियंत्रण रखते थे। उस सल्तनत का विखंडन और वहाँ के खलीफ़ा महमूद (छठे) का भागकर इटली में शरण लेना --- एक अति महत्वपूर्ण घटना थी, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। निर्वासित जीवन जी रहे उसी के बेटे अंतिम खलीफ़ा अब्दुल मजीद, जो फ्रांस में शरण लिए हुए था, को बापस तुर्की का खलीफ़ा बनाने के लिए गांधी जी ने भारत में खिलाफत आंदोलन आरंभ किया, जिसकी परिणिती पाकिस्तान के निर्माण और केरल में मोपला विद्रोह के रूप में हुई, जिनमें लाखों निरपराध हिंदुओं की हत्या हुई। खलीफा अब्दुल मजीद की बेटी की शादी हैदराबाद के आख़िरी निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान सिद्दीक़ी उर्फ़ आसिफ़ जाह (सातवें), के पोते प्रिंस मुकर्रम जाह सिद्दीकी के साथ हुई थी। वह उसकी पाँच बीबियों में से पहली थी।
.
(३) द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय और तत्कालीन परिस्थितियों से विवश होकर अंग्रेजों का भारत छोड़ना ---
ये दोनों घटनायें भी ऐसी थीं जिनकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी।
.
(४) भारत का विभाजन ---
सन १९३० तक किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि भारत का विभाजन होगा|। सन १९३० में प्रयागराज में मुस्लिम लीग का एक अधिवेशन हुआ, जहाँ अल्लामा इक़बाल ने ही पाकिस्तान का विचार रखा था। हक़ीक़त में वे ही पाकिस्तान के जनक थे क्योंकि पाकिस्तान उन्हीं के दिमाग की उपज थी। वहीं उन्होने कहा था कि -- "हो जाये अगर शाहे खुरासां का इशारा, सिजदा न करूँ हिन्द की नापाक़ जमीं पर।" यानि अगर तुर्की के खलीफा का संकेत भी हो जाये तो मैं हिंदुस्तान की अपवित्र भूमि पर नमाज़ भी नहीं पढ़ूँ।
.
(५) सोवियत संघ का बिखराव ---
कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली देश सोवियत संघ बिखर जाएगा। उस पूरे घटनाक्रम का मुझे ज्ञान है।
.
(६) फिर और भी अनेक घटनायें हुई हैं जिनकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी, जैसे विएतनाम में अमेरिका की पराजय, जर्मनी का एकीकरण, बांग्लादेश का निर्माण, युगोस्लाविया का विखंडन आदि।
.
समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता, यह परिवर्तन प्रकृति का नियम है। आने वाले निकट भविष्य में बहुत अधिक परिवर्तन होंगे, और भारत अखंड और विश्वगुरु होगा। कई बार संसार में घटित होने वाली कुछ क्रांतिकारी घटनाएँ विश्व की चिंतनधारा पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ जाती हैं। कश्मीर में धारा ३७०ए व ३५ए और रामजन्मभूमि का फैसला बहुत बड़ी क्रांतिकारी घटनाएँ थीं। अब निकट भविष्य में बहुत सारी क्रांतिकारी घटनाएँ और बदलाव आने वाले हैं, जैसे समान नागरिक संहिता, एक देश एक कानून, जनसंख्या नियंत्रण, पाकिस्तान और चीन द्वारा अधिकृत भारत की भूमि को बापस लेना, तिब्बत की स्वतन्त्रता, पाकिस्तान का विखंडन आदि, जिनकी हम सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं।
भारत माता की जय | वंदे मातरम् !!
कृपा शंकर
२ जनवरी २०२२

आध्यात्मिक साधना का अर्थ है "आत्म-साधना" यानि अपने वास्तविक स्वयं, अपनी आत्मा को जानना ---

आध्यात्मिक साधना का अर्थ है "आत्म-साधना" यानि अपने वास्तविक स्वयं, अपनी आत्मा को जानना। यह आत्मज्ञान ही मोक्ष का हेतु है। मनुष्य के जब पाप-कर्मफल क्षीण होने लगते हैं, और पुण्य-कर्मफलों का उदय होता है, तब परमात्मा को जानने की एक अभीप्सा जागृत होती है। तब करुणा व प्रेमवश परमात्मा स्वयं, एक सद्गुरु के रूप में मार्गदर्शन करने आ जाते हैं, और हृदय में इस सत्य का बोध तुरंत हो जाता है। साधक को उसकी पात्रतानुसार ही मार्गदर्शन प्राप्त होता है जिसका अतिक्रमण नहीं हो सकता। साधना के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा हमारा लोभ और अहंकार है। परमात्मा के सिवाय अन्य किसी भी लाभ की आकांक्षा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा पतन सुनिश्चित है।

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ जनवरी २०२२

भारत में विदेशी स्वामित्व वाली सभी टीवी-चैनलें और समाचार-पत्र बंद हों ---

भारत में विदेशी स्वामित्व वाली सभी टीवी-चैनलें और समाचार-पत्र बंद हों| भारत की अधिकाँश टीवी समाचार चैनलें और अंग्रेजी के समाचार पत्र विदेशी स्वामित्व के हैं जिनका उद्देश्य ही अपने विदेशी स्वामियों के भारत विरोधी उद्देश्यों को पूरा करना है| ये हमारे दिमाग में एक धीमा जहर डालने का कार्य कर रहे हैं| हमारी सारी प्रेस विदेशियों के हाथों बिकी हुई है|

जब हम कोई बगीचा लगाते हैं तो उसमें कंकर पत्थर नहीं डालते| हमारा मन भी एक बगीचा है जिस में हमने अपने विचारों, चिंतन और भावनाओं के सुन्दर वृक्ष लगा रखे हैं| इस बगीचे में अतिथि के रूप में हम परमात्मा को आमंत्रित कर रहे हैं, अतः इसे साफ़ सुथरा रखना हमारा परम दायित्व है| फेसबुक और इन्टरनेट का भी नब्ब प्रतिशत तो दुरुपयोग ही हो रहा है| कोई दस प्रतिशत लोग ही इसका सदुपयोग कर रहे हैं| इसमें छाई अश्लीलता और कामुकता से बचें|
यदि आप एक आध्यात्मिक साधक हैं और अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो टीवी पर समाचार चैनलों के जहरीले व्याख्यान सुनने और अंग्रेजी के अखबार पढने तो बंद ही कर दीजिये| कुछ दिनों में आप पायेंगे कि आपको बहुत शांति मिल रही है| धन्यवाद|
कृपा शंकर
२ जनवरी २०२०

मेरा स्वास्थ्य अधिक अच्छा नहीं रहता है ---

मेरा स्वास्थ्य इतना अच्छा नहीं रहता है कि मैं सोशियल मीडिया पर पूछे जाने वाले हर प्रश्न का उत्तर दे सकूँ| मैं अपनी अधिकांश मेल देख भी नहीं पाता| मेरे दो बार हृदयाघात हुआ है और एंजिओप्लास्टी भी हो चुकी है| इन दिनों आर्थिक रूप से भी बहुत ही अधिक हानि हुई है| डॉक्टरों ने तनाव- मुक्त जीवन जीने का निर्देश दे रखा है इसलिए तनाव-मुक्त जीवन जी रहा हूँ| भक्ति मेरा स्वभाव है इसलिए कोई असंतोष या शिकायत नहीं है| जीवन जैसा भी है, भगवान को समर्पित है|

.
चैतन्य में कूट कूट कर भक्ति और राष्ट्रवाद भरा पड़ा है, इसलिए स्वभाववश आध्यात्म और राष्ट्रवाद पर कुछ न कुछ लिखता रहता हूँ| कब तक लिखता रहूँगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं है| भौतिक आयु ७२ वर्ष की हो चुकी है|
.
भारत के भविष्य के बारे में मैं आश्वस्त हूँ| भारत माँ अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बैठेगी| असत्य और अंधकार की शक्तियाँ पराभूत होंगी व धर्म की पुनर्स्थापना होगी| हो सकता है यह मेरे जीवन काल में ही हो जाये| यही देखना चाहता हूँ|
.
आप सब को नमन| भारत माता की जय| सत्य सनातन धर्म की जय|
ॐ तत्सत् | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२ जनवरी २०२०

प्रधान मंत्री जी से भविष्य की हमारी अपेक्षाएँ ---

 प्रधान मंत्री जी से भविष्य की हमारी अपेक्षाएँ ---

----------------------------------------
माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी को भगवान लंबी आयु, अच्छा स्वास्थ्य, पूर्ण कार्यकुशलता, पूर्ण विवेक, लगन और उत्साह प्रदान करें| वे अब तक के सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हैं| उन्हीं से कुछ अपेक्षाएँ हैं|
मैंने मेरे जीवन काल में कभी सोचा भी नहीं था कि कश्मीर से धारा ३७० और ३५A हटेगी भी क्या? पिछले पाँच सौ वर्षों में मेरे पूर्वजों की पता नहीं कितनी पीढ़ियाँ राममंदिर की आशा लिए-लिए दिवंगत हो गईं| मैं भाग्यशाली हूँ कि मेरे जीवन काल में यह आशा पूरी हुई है| अब उनसे निम्न अपेक्षाएँ हैं ---
.
(१) समान नागरिक संहिता लागू हो| हिन्दू कोड बिल समाप्त हो| हिंदुओं के विरुद्ध हो रहा सब तरह का पक्षपात समाप्त हो| एक देश, एक कानून हो|
.
(२) जनसंख्या नियंत्रण कानून बड़ी कठोरता से सबके लिए समान रूप से लागू हो|
.
(३) विदेशी घुसपैठियों की पहिचान कर उन्हें देश से बाहर निकाला जाये|
.
(४) पाक अधिकृत कश्मीर को बापस लिया जाये| चीन ने भारत की जो भूमि दबा रखी है, वह बापस ली जाये और तिब्बत को चीन से छीनकर उसे एक सार्वभौमिक स्वतंत्र देश बनाया जाये| कैलाश-मानसरोवर, भारत के अधिकार में हों|
.
निकट भविष्य में भारत में अनेक क्रांतिकारी घटनायें होंगी जिनकी अभी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है| पिछले सौ-सवासौ वर्षों में अनेक क्रांतिकारी घटनाएँ हुई हैं, जिन की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, जिन्होने विश्व में बहुत बड़े बदलाव किए है| उनमें मुख्य ये हैं ---
.
(१) सुदूर पूर्व में सन १९०५ में जापान द्वारा रूस को पराजित करना ---
एक युद्ध में जापान ने त्सूशीमा जलडमरूमध्य में रूस की सारी नौसेना को डुबो दिया, और रूस से मंचूरिया और सुदूर पूर्व का बहुत बड़ा भाग छीन लिया था| यह एक बहुत बड़ी घटना थी, जिससे प्रेरणा लेकर भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारियों के संघर्ष आरंभ हुए, और रूस में बोल्शेविक क्रांति की नींव पड़ी| भारत में क्रांतिकारियों का आत्म-विश्वास जगा कि जब एक जापान जैसा छोटा सा देश रूस को हरा सकता है तो भारत से भी अंग्रेजों को हराया जा सकता है| रूस की बोल्शेविक क्रान्ति एक धोखा थी| मूलतः वह एक नेतृत्वविहीन सैनिक विद्रोह था जो वोल्गा नदी में खड़े औरोरा नाम के युद्धपोत से आरंभ हुआ| जापान द्वारा पराजित होने, व प्रथम विश्वयुद्ध में हुई दुर्गति के कारण रूस की सेना में असंतोष था| उनके पास न तो अच्छे अस्त्र-शस्त्र थे, न अच्छे गर्म वस्त्र, और न अच्छा भोजन| जो विद्रोही बहुमत में थे वे बोल्शेविक कहलाए, और जो अल्पमत में वफ़ादार थे वे मेन्शेविक कहलाए| लेनिन तो ब्रिटेन में निर्वासित जीवन जी रहा था| जर्मनी आदि पश्चिमी देशों की सहायता से वह रूस में आया और इस विद्रोह को सर्वहारा की साम्यवादी/मार्क्सवादी क्रांति में बदल दिया| न तो लेनिन या स्टालिन को, और न ही चीन में माओ को मार्क्सवाद से कोई मतलब था| इन का लक्ष्य सिर्फ सत्ता प्राप्त करना था| मार्क्सवाद तो जनता को मूर्ख बनाने का एक अस्त्र था|
.
(२) सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) का पतन ---
तुर्की की उस्मानिया सल्तनत उस समय विश्व का छः शताब्दियों से सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसके आधीन पूरा पूर्वी योरोप, पूरा अरब, मिश्र, फिलिस्तीन, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया था| उसके आधीन दर्रा-दानियल और बास्फोरस जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण स्थान थे, जो उस क्षेत्र के वाणिज्य पर पूर्ण नियंत्रण रखते थे| उस सल्तनत का विखंडन और वहाँ के खलीफ़ा महमूद (छठे) का भागकर इटली में शरण लेना --- एक अति महत्वपूर्ण घटना थी, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी| निर्वासित जीवन जी रहे उसी के बेटे अंतिम खलीफ़ा अब्दुल मजीद, जो फ्रांस में शरण लिए हुए था, को बापस तुर्की का खलीफ़ा बनाने के लिए गांधी जी ने भारत में खिलाफत आंदोलन आरंभ किया, जिसकी परिणिती पाकिस्तान के निर्माण और केरल में मोपला विद्रोह के रूप में हुई, जिनमें लाखों निरपराध हिंदुओं की हत्या हुई| खलीफा अब्दुल मजीद की बेटी की शादी हैदराबाद के आख़िरी निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान सिद्दीक़ी उर्फ़ आसिफ़ जाह (सातवें), के पोते प्रिंस मुकर्रम जाह सिद्दीकी के साथ हुई थी| वह उसकी पाँच बीबियों में से पहली थी|
.
(३) द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय और तत्कालीन परिस्थितियों से विवश होकर अंग्रेजों का भारत छोड़ना ---
ये दोनों घटनायें भी ऐसी थीं जिनकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी|
.
(४) भारत का विभाजन ---
सन १९३० तक किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि भारत का विभाजन होगा| सन १९३० में प्रयागराज में मुस्लिम लीग का एक अधिवेशन हुआ, जहाँ अल्लामा इक़बाल ने ही पाकिस्तान का विचार रखा था| हक़ीक़त में वे ही पाकिस्तान के जनक थे क्योंकि पाकिस्तान उन्हीं के दिमाग की उपज थी| वहीं उन्होने कहा था कि -- "हो जाये अगर शाहे खुरासां का इशारा, सिजदा न करूँ हिन्द की नापाक़ जमीं पर|" यानि अगर तुर्की के खलीफा का संकेत भी हो जाये तो मैं हिंदुस्तान की अपवित्र भूमि पर नमाज़ भी नहीं पढ़ूँ|
.
(५) सोवियत संघ का बिखराव ---
कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली देश सोवियत संघ बिखर जाएगा| उस पूरे घटनाक्रम का मुझे ज्ञान है|
.
(६) फिर और भी अनेक घटनायें हुई हैं जिनकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी, जैसे विएतनाम में अमेरिका की पराजय, जर्मनी का एकीकरण, बांग्लादेश का निर्माण, युगोस्लाविया का विखंडन आदि|
.
आज भी कोई विश्वास करने को तैयार नहीं है कि कभी भारत से अंग्रेज़ी व्यवस्था समाप्त होगी| समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता, यह परिवर्तन प्रकृति का नियम है|
आने वाले निकट भविष्य में बहुत अधिक परिवर्तन होंगे, और भारत अखंड और विश्वगुरु होगा|
भारत माता की जय | वंदे मातरम् !!
कृपा शंकर
२ जनवरी २०२१

भगवान की भक्ति -- सबसे अधिक संक्रामक छूत का रोग है ---

 "भगवान की भक्ति" सबसे अधिक संक्रामक छूत का रोग है| इसका वायरस, कोरोना से भी अधिक संक्रामक और खतरनाक है| अन्य रोगों का उपचार तो है, लेकिन इसका कोई उपचार नहीं है| आज तक कोई ऐसा डॉक्टर नहीं जन्मा है जो इस संक्रामक रोग का उपचार कर सके| अतः ऐसी महफ़िलों में मत जाइये जहाँ भगवान के भक्त जाते हैं| उन से दूरी बनाकर रखें| आज तक मैं सब को यही उपदेश देता था कि भगवान की भक्ति करो, भक्ति करो, भक्ति करो आदि आदि| पर आज कह रहा हूँ कि भगवान से अधिक खतरनाक अन्य कोई नहीं है|

.
भगवान सबसे पहिले तो किसी का दिल चुराते हैं, फिर उसका मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार सब कुछ इस तरह चुपचाप चुरा लेते हैं कि अगले को पता ही नहीं चलता| जब तक वह होश में आता है तब तक पाता है कि मुझका-मेरा कुछ भी नहीं बचा है, सब कुछ लुट चुका है|
.
अतः सावधान रहें| दुनियाँ में खूब कमाओ, खूब खाओ, खूब मजे लो और खूब मौज-मस्ती करो| भगवान के चक्कर में पड़ गये तो खुद के पास कुछ भी नहीं बचेगा, सब कुछ भगवान का हो जाएगा| जिस किसी को भगवान की भक्ति की बीमारी लग जाती है, उसे सर्वत्र भगवान ही भगवान दिखाई देने लगते हैं, दुनियादारी के किसी काम का वह नहीं रहता| मैं खुद भुक्तभोगी हूँ इसलिए सबको सावधान कर रहा हूँ| अब तो मजबूर हूँ, भगवान, दिल और दिमाग सब पर छा गये हैं, दुनियाँ के किसी काम का नहीं रहा हूँ|
.
आप सब ने मेरा यह आलेख बड़े प्रेम से मन लगाकर पढ़ा है, इसके लिए मैं आप सब का आभारी हूँ| भगवान आप सब का भला करे|
ॐ तत्सत्!! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय!! ॐ नमः शिवाय!! ॐ ॐ ॐ!! 🌹🙏🕉🙏🌹
कृपा शंकर
२ जनवरी २०२१