हम एक माध्यम हैं जिन से भगवान प्रवाहित होते हैं, लेकिन हम अपने अहंकार व लोभ के वशीभूत होकर भगवान के उस प्रवाह को अवरुद्ध कर देते हैं| यह बात वही सत्यनिष्ठ श्रद्धालु समझ सकता है जिस के हृदय में भगवान को पाने की अतृप्त प्यास, तड़प और प्रेम है| हम अधिकाधिक निष्ठावान बनने का प्रयास करें| किसी भी तरह की कोई कुटिलता और असत्यता हम में न रहे| एक दिन हम पाएंगे कि हम भगवान के साथ एक हैं, कहीं कोई भेद नहीं है| किसी को भगवान की भक्ति नहीं करनी है, तो वह मत करे| भगवान उसकी प्रतीक्षा करेंगे| ॐ तत्सत् !!
Sunday, 2 January 2022
पिछली दो शताब्दियों में हुई कुछ प्रमुख घटनाएँ ---
पिछली दो शताब्दियों में हुई कुछ प्रमुख घटनाएँ --- (Edited & Re posted)
आध्यात्मिक साधना का अर्थ है "आत्म-साधना" यानि अपने वास्तविक स्वयं, अपनी आत्मा को जानना ---
आध्यात्मिक साधना का अर्थ है "आत्म-साधना" यानि अपने वास्तविक स्वयं, अपनी आत्मा को जानना। यह आत्मज्ञान ही मोक्ष का हेतु है। मनुष्य के जब पाप-कर्मफल क्षीण होने लगते हैं, और पुण्य-कर्मफलों का उदय होता है, तब परमात्मा को जानने की एक अभीप्सा जागृत होती है। तब करुणा व प्रेमवश परमात्मा स्वयं, एक सद्गुरु के रूप में मार्गदर्शन करने आ जाते हैं, और हृदय में इस सत्य का बोध तुरंत हो जाता है। साधक को उसकी पात्रतानुसार ही मार्गदर्शन प्राप्त होता है जिसका अतिक्रमण नहीं हो सकता। साधना के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा हमारा लोभ और अहंकार है। परमात्मा के सिवाय अन्य किसी भी लाभ की आकांक्षा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा पतन सुनिश्चित है।
भारत में विदेशी स्वामित्व वाली सभी टीवी-चैनलें और समाचार-पत्र बंद हों ---
भारत में विदेशी स्वामित्व वाली सभी टीवी-चैनलें और समाचार-पत्र बंद हों| भारत की अधिकाँश टीवी समाचार चैनलें और अंग्रेजी के समाचार पत्र विदेशी स्वामित्व के हैं जिनका उद्देश्य ही अपने विदेशी स्वामियों के भारत विरोधी उद्देश्यों को पूरा करना है| ये हमारे दिमाग में एक धीमा जहर डालने का कार्य कर रहे हैं| हमारी सारी प्रेस विदेशियों के हाथों बिकी हुई है|
मेरा स्वास्थ्य अधिक अच्छा नहीं रहता है ---
मेरा स्वास्थ्य इतना अच्छा नहीं रहता है कि मैं सोशियल मीडिया पर पूछे जाने वाले हर प्रश्न का उत्तर दे सकूँ| मैं अपनी अधिकांश मेल देख भी नहीं पाता| मेरे दो बार हृदयाघात हुआ है और एंजिओप्लास्टी भी हो चुकी है| इन दिनों आर्थिक रूप से भी बहुत ही अधिक हानि हुई है| डॉक्टरों ने तनाव- मुक्त जीवन जीने का निर्देश दे रखा है इसलिए तनाव-मुक्त जीवन जी रहा हूँ| भक्ति मेरा स्वभाव है इसलिए कोई असंतोष या शिकायत नहीं है| जीवन जैसा भी है, भगवान को समर्पित है|
प्रधान मंत्री जी से भविष्य की हमारी अपेक्षाएँ ---
प्रधान मंत्री जी से भविष्य की हमारी अपेक्षाएँ ---
भगवान की भक्ति -- सबसे अधिक संक्रामक छूत का रोग है ---
"भगवान की भक्ति" सबसे अधिक संक्रामक छूत का रोग है| इसका वायरस, कोरोना से भी अधिक संक्रामक और खतरनाक है| अन्य रोगों का उपचार तो है, लेकिन इसका कोई उपचार नहीं है| आज तक कोई ऐसा डॉक्टर नहीं जन्मा है जो इस संक्रामक रोग का उपचार कर सके| अतः ऐसी महफ़िलों में मत जाइये जहाँ भगवान के भक्त जाते हैं| उन से दूरी बनाकर रखें| आज तक मैं सब को यही उपदेश देता था कि भगवान की भक्ति करो, भक्ति करो, भक्ति करो आदि आदि| पर आज कह रहा हूँ कि भगवान से अधिक खतरनाक अन्य कोई नहीं है|




