पिछली दो शताब्दियों में हुई कुछ प्रमुख घटनाएँ --- (Edited & Re posted)
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कई बार संसार में घटित होने वाली कुछ क्रांतिकारी घटनाएँ विश्व की चिंतनधारा पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ जाती हैं। पिछले दो सौ वर्षों में अनेक क्रांतिकारी घटनाएँ हुई हैं, जिन की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, जिन्होने विश्व में बहुत बड़े बदलाव किए है। उनमें से मुख्य ये हैं ---
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(१) सुदूर पूर्व में सन १९०५ में जापान द्वारा रूस को पराजित करना ---
एक युद्ध में जापान ने त्सूशीमा जलडमरूमध्य में रूस की सारी नौसेना को डुबो दिया, और रूस से मंचूरिया और सुदूर पूर्व का बहुत बड़ा भाग छीन लिया था। यह एक बहुत बड़ी घटना थी, जिससे प्रेरणा लेकर भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारियों के संघर्ष आरंभ हुए, और रूस में बोल्शेविक क्रांति की नींव पड़ी। भारत में क्रांतिकारियों का आत्म-विश्वास जगा कि जब एक जापान जैसा छोटा सा देश रूस को हरा सकता है तो भारत से भी अंग्रेजों को हराया जा सकता है। रूस की बोल्शेविक क्रान्ति एक धोखा थी। मूलतः वह एक नेतृत्वविहीन सैनिक विद्रोह था जो वोल्गा नदी में खड़े औरोरा नाम के युद्धपोत से आरंभ हुआ। जापान द्वारा पराजित होने, व प्रथम विश्वयुद्ध में हुई दुर्गति के कारण रूस की सेना में असंतोष था। उनके पास न तो अच्छे अस्त्र-शस्त्र थे, न अच्छे गर्म वस्त्र, और न अच्छा भोजन। जो विद्रोही बहुमत में थे वे बोल्शेविक कहलाए, और जो अल्पमत में वफ़ादार थे वे मेन्शेविक। लेनिन तो ब्रिटेन में निर्वासित जीवन जी रहा था। जर्मनी आदि पश्चिमी देशों की सहायता से वह रूस में आया और इस विद्रोह को सर्वहारा की साम्यवादी/मार्क्सवादी क्रांति में बदल दिया। न तो लेनिन या स्टालिन को, और न ही चीन में माओ को मार्क्सवाद से कोई मतलब था। इन का लक्ष्य सिर्फ सत्ता प्राप्त करना था। मार्क्सवाद तो जनता को मूर्ख बनाने का एक अस्त्र था।
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(२) सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) का पतन ---
तुर्की की उस्मानिया सल्तनत उस समय विश्व का छः शताब्दियों से सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसके आधीन पूरा पूर्वी योरोप, पूरा अरब, मिश्र, फिलिस्तीन, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया था। उसके आधीन दर्रा-दानियल और बास्फोरस जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण स्थान थे, जो उस क्षेत्र के वाणिज्य पर पूर्ण नियंत्रण रखते थे। उस सल्तनत का विखंडन और वहाँ के खलीफ़ा महमूद (छठे) का भागकर इटली में शरण लेना --- एक अति महत्वपूर्ण घटना थी, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। निर्वासित जीवन जी रहे उसी के बेटे अंतिम खलीफ़ा अब्दुल मजीद, जो फ्रांस में शरण लिए हुए था, को बापस तुर्की का खलीफ़ा बनाने के लिए गांधी जी ने भारत में खिलाफत आंदोलन आरंभ किया, जिसकी परिणिती पाकिस्तान के निर्माण और केरल में मोपला विद्रोह के रूप में हुई, जिनमें लाखों निरपराध हिंदुओं की हत्या हुई। खलीफा अब्दुल मजीद की बेटी की शादी हैदराबाद के आख़िरी निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान सिद्दीक़ी उर्फ़ आसिफ़ जाह (सातवें), के पोते प्रिंस मुकर्रम जाह सिद्दीकी के साथ हुई थी। वह उसकी पाँच बीबियों में से पहली थी।
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(३) द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय और तत्कालीन परिस्थितियों से विवश होकर अंग्रेजों का भारत छोड़ना ---
ये दोनों घटनायें भी ऐसी थीं जिनकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी।
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(४) भारत का विभाजन ---
सन १९३० तक किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि भारत का विभाजन होगा|। सन १९३० में प्रयागराज में मुस्लिम लीग का एक अधिवेशन हुआ, जहाँ अल्लामा इक़बाल ने ही पाकिस्तान का विचार रखा था। हक़ीक़त में वे ही पाकिस्तान के जनक थे क्योंकि पाकिस्तान उन्हीं के दिमाग की उपज थी। वहीं उन्होने कहा था कि -- "हो जाये अगर शाहे खुरासां का इशारा, सिजदा न करूँ हिन्द की नापाक़ जमीं पर।" यानि अगर तुर्की के खलीफा का संकेत भी हो जाये तो मैं हिंदुस्तान की अपवित्र भूमि पर नमाज़ भी नहीं पढ़ूँ।
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(५) सोवियत संघ का बिखराव ---
कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली देश सोवियत संघ बिखर जाएगा। उस पूरे घटनाक्रम का मुझे ज्ञान है।
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(६) फिर और भी अनेक घटनायें हुई हैं जिनकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी, जैसे विएतनाम में अमेरिका की पराजय, जर्मनी का एकीकरण, बांग्लादेश का निर्माण, युगोस्लाविया का विखंडन आदि।
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समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता, यह परिवर्तन प्रकृति का नियम है। आने वाले निकट भविष्य में बहुत अधिक परिवर्तन होंगे, और भारत अखंड और विश्वगुरु होगा। कई बार संसार में घटित होने वाली कुछ क्रांतिकारी घटनाएँ विश्व की चिंतनधारा पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ जाती हैं। कश्मीर में धारा ३७०ए व ३५ए और रामजन्मभूमि का फैसला बहुत बड़ी क्रांतिकारी घटनाएँ थीं। अब निकट भविष्य में बहुत सारी क्रांतिकारी घटनाएँ और बदलाव आने वाले हैं, जैसे समान नागरिक संहिता, एक देश एक कानून, जनसंख्या नियंत्रण, पाकिस्तान और चीन द्वारा अधिकृत भारत की भूमि को बापस लेना, तिब्बत की स्वतन्त्रता, पाकिस्तान का विखंडन आदि, जिनकी हम सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं।
भारत माता की जय | वंदे मातरम् !!
कृपा शंकर
२ जनवरी २०२२
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