Sunday, 2 January 2022

प्रधान मंत्री जी से भविष्य की हमारी अपेक्षाएँ ---

 प्रधान मंत्री जी से भविष्य की हमारी अपेक्षाएँ ---

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माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी को भगवान लंबी आयु, अच्छा स्वास्थ्य, पूर्ण कार्यकुशलता, पूर्ण विवेक, लगन और उत्साह प्रदान करें| वे अब तक के सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हैं| उन्हीं से कुछ अपेक्षाएँ हैं|
मैंने मेरे जीवन काल में कभी सोचा भी नहीं था कि कश्मीर से धारा ३७० और ३५A हटेगी भी क्या? पिछले पाँच सौ वर्षों में मेरे पूर्वजों की पता नहीं कितनी पीढ़ियाँ राममंदिर की आशा लिए-लिए दिवंगत हो गईं| मैं भाग्यशाली हूँ कि मेरे जीवन काल में यह आशा पूरी हुई है| अब उनसे निम्न अपेक्षाएँ हैं ---
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(१) समान नागरिक संहिता लागू हो| हिन्दू कोड बिल समाप्त हो| हिंदुओं के विरुद्ध हो रहा सब तरह का पक्षपात समाप्त हो| एक देश, एक कानून हो|
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(२) जनसंख्या नियंत्रण कानून बड़ी कठोरता से सबके लिए समान रूप से लागू हो|
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(३) विदेशी घुसपैठियों की पहिचान कर उन्हें देश से बाहर निकाला जाये|
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(४) पाक अधिकृत कश्मीर को बापस लिया जाये| चीन ने भारत की जो भूमि दबा रखी है, वह बापस ली जाये और तिब्बत को चीन से छीनकर उसे एक सार्वभौमिक स्वतंत्र देश बनाया जाये| कैलाश-मानसरोवर, भारत के अधिकार में हों|
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निकट भविष्य में भारत में अनेक क्रांतिकारी घटनायें होंगी जिनकी अभी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है| पिछले सौ-सवासौ वर्षों में अनेक क्रांतिकारी घटनाएँ हुई हैं, जिन की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी, जिन्होने विश्व में बहुत बड़े बदलाव किए है| उनमें मुख्य ये हैं ---
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(१) सुदूर पूर्व में सन १९०५ में जापान द्वारा रूस को पराजित करना ---
एक युद्ध में जापान ने त्सूशीमा जलडमरूमध्य में रूस की सारी नौसेना को डुबो दिया, और रूस से मंचूरिया और सुदूर पूर्व का बहुत बड़ा भाग छीन लिया था| यह एक बहुत बड़ी घटना थी, जिससे प्रेरणा लेकर भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांतिकारियों के संघर्ष आरंभ हुए, और रूस में बोल्शेविक क्रांति की नींव पड़ी| भारत में क्रांतिकारियों का आत्म-विश्वास जगा कि जब एक जापान जैसा छोटा सा देश रूस को हरा सकता है तो भारत से भी अंग्रेजों को हराया जा सकता है| रूस की बोल्शेविक क्रान्ति एक धोखा थी| मूलतः वह एक नेतृत्वविहीन सैनिक विद्रोह था जो वोल्गा नदी में खड़े औरोरा नाम के युद्धपोत से आरंभ हुआ| जापान द्वारा पराजित होने, व प्रथम विश्वयुद्ध में हुई दुर्गति के कारण रूस की सेना में असंतोष था| उनके पास न तो अच्छे अस्त्र-शस्त्र थे, न अच्छे गर्म वस्त्र, और न अच्छा भोजन| जो विद्रोही बहुमत में थे वे बोल्शेविक कहलाए, और जो अल्पमत में वफ़ादार थे वे मेन्शेविक कहलाए| लेनिन तो ब्रिटेन में निर्वासित जीवन जी रहा था| जर्मनी आदि पश्चिमी देशों की सहायता से वह रूस में आया और इस विद्रोह को सर्वहारा की साम्यवादी/मार्क्सवादी क्रांति में बदल दिया| न तो लेनिन या स्टालिन को, और न ही चीन में माओ को मार्क्सवाद से कोई मतलब था| इन का लक्ष्य सिर्फ सत्ता प्राप्त करना था| मार्क्सवाद तो जनता को मूर्ख बनाने का एक अस्त्र था|
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(२) सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) का पतन ---
तुर्की की उस्मानिया सल्तनत उस समय विश्व का छः शताब्दियों से सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसके आधीन पूरा पूर्वी योरोप, पूरा अरब, मिश्र, फिलिस्तीन, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया था| उसके आधीन दर्रा-दानियल और बास्फोरस जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण स्थान थे, जो उस क्षेत्र के वाणिज्य पर पूर्ण नियंत्रण रखते थे| उस सल्तनत का विखंडन और वहाँ के खलीफ़ा महमूद (छठे) का भागकर इटली में शरण लेना --- एक अति महत्वपूर्ण घटना थी, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी| निर्वासित जीवन जी रहे उसी के बेटे अंतिम खलीफ़ा अब्दुल मजीद, जो फ्रांस में शरण लिए हुए था, को बापस तुर्की का खलीफ़ा बनाने के लिए गांधी जी ने भारत में खिलाफत आंदोलन आरंभ किया, जिसकी परिणिती पाकिस्तान के निर्माण और केरल में मोपला विद्रोह के रूप में हुई, जिनमें लाखों निरपराध हिंदुओं की हत्या हुई| खलीफा अब्दुल मजीद की बेटी की शादी हैदराबाद के आख़िरी निज़ाम मीर उस्मान अली ख़ान सिद्दीक़ी उर्फ़ आसिफ़ जाह (सातवें), के पोते प्रिंस मुकर्रम जाह सिद्दीकी के साथ हुई थी| वह उसकी पाँच बीबियों में से पहली थी|
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(३) द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय और तत्कालीन परिस्थितियों से विवश होकर अंग्रेजों का भारत छोड़ना ---
ये दोनों घटनायें भी ऐसी थीं जिनकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी|
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(४) भारत का विभाजन ---
सन १९३० तक किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि भारत का विभाजन होगा| सन १९३० में प्रयागराज में मुस्लिम लीग का एक अधिवेशन हुआ, जहाँ अल्लामा इक़बाल ने ही पाकिस्तान का विचार रखा था| हक़ीक़त में वे ही पाकिस्तान के जनक थे क्योंकि पाकिस्तान उन्हीं के दिमाग की उपज थी| वहीं उन्होने कहा था कि -- "हो जाये अगर शाहे खुरासां का इशारा, सिजदा न करूँ हिन्द की नापाक़ जमीं पर|" यानि अगर तुर्की के खलीफा का संकेत भी हो जाये तो मैं हिंदुस्तान की अपवित्र भूमि पर नमाज़ भी नहीं पढ़ूँ|
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(५) सोवियत संघ का बिखराव ---
कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली देश सोवियत संघ बिखर जाएगा| उस पूरे घटनाक्रम का मुझे ज्ञान है|
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(६) फिर और भी अनेक घटनायें हुई हैं जिनकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी, जैसे विएतनाम में अमेरिका की पराजय, जर्मनी का एकीकरण, बांग्लादेश का निर्माण, युगोस्लाविया का विखंडन आदि|
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आज भी कोई विश्वास करने को तैयार नहीं है कि कभी भारत से अंग्रेज़ी व्यवस्था समाप्त होगी| समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता, यह परिवर्तन प्रकृति का नियम है|
आने वाले निकट भविष्य में बहुत अधिक परिवर्तन होंगे, और भारत अखंड और विश्वगुरु होगा|
भारत माता की जय | वंदे मातरम् !!
कृपा शंकर
२ जनवरी २०२१

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